Sunday 12 April 2015

13 साल से महज पेंशन पुस्तिका नष्ट हो जाने से पेंशन लेने से महरूम हो रहा है

शारीरिक चुनौती झेलने वाले विक्टर केरोबिन को मिला 16 साल पेंशन


वार्ड संख्या 13 की वार्ड सदस्या गुड़िया देवी ने जिलाधिकारी कार्यकर्मी के गुप्त मंत्रणा को पालन नहीं की

विक्टर केरोबिन 
पटना।जिलाधिकारी कार्यालय से कर्मचारी आए थे।अपने साथ पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत के वार्ड संख्या 13 की वार्ड सदस्या गुड़िया देवी को साथ में लेकर आए थे। उन कर्मचारियों ने वार्ड सदस्या गुड़िया देवी को गुप्त मंत्रणा दिए। वार्ड सदस्या को पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत की मुखिया ममता देवी के पास शारीरिक चुनौती झेलने वाले विक्टर केरोबिन को ले जाना था। वहां पर मुखिया ममता देवी से वार्ता करके पेंशन कार्ड बनवाकर पेंशन शुरू करवा देना था।मगर 5 साल के बाद भी वार्ड सदस्या ने अपना कर्त्तव्य निर्वाह नहीं की। इस तरह जिलाधिकारी कार्यालय से आने वाले कर्मचारियों के आदेश को ठेंगा दिखा दी।

हां, जन प्रतिनिधि के कारण ही शारीरिक चुनौती झेलने वाले विक्टर केरोबिन निशक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन से महरूम कर दिए गए हैं। इनको बिहार सरकार के सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पेशन (जिला पटना) के तहत पेंशन भुगतान किया जाता था। महज अपंग की पेंशन पुस्तिका नष्ट हो जाने से पेंशन मिलना बंद हो गया है। वह पेंशन लेने से 13 साल से महरूम हैं।

मजे की बात है कि विक्टर केरोबिन को 1 अप्रैल 1986 से पेंशन मिलना शुरू हुआ। पेंशन पुस्तिका नष्ट हो गया। मगर पेंशन पुस्तिका की छायाप्रति बना लिया गया है।इस पुस्तिका के अनुसार सितम्बर 2002 तक ही पेंशन मिला।इस तरह विक्टर केरोबिन को 1 अप्रैल 1986 से सितम्बर 2002 तक यानी 16 साल तक पेंशन मिला। इस बाबत गैर सरकारी संस्था चिंगारी ग्रामीण विकास केन्द्र के सचिव ने 18 मार्च 2010 को जिलाधिकारी के पास पत्र लिखकर जानना चाहा कि आखिरकार क्यों शारीरिक चुनौती से जूझने वाले विक्टर केरोबिन को पेंशन देना बंद कर दिया गया है? इस पत्र के आलोक में जिलाधिकारी कार्यालय से कर्मचारी विक्टर केरोबिन के घर आए। विक्टर के घर जाने के पहले वार्ड सदस्या गुड़िया देवी को भी साथ में लेकर आए।जिलाधिकारी को प्रेषित कागजात देखने के बाद इस क्षेत्र की वार्ड सदस्या को आदेश दिए कि विक्टर केरोबिन को ले जाकर पश्चिमी दीघा की मुखिया जी से पेंशन शुरू करने को कह दें। यह विडम्बना है कि वार्ड सदस्या ने 5 साल के बाद भी मुखिया जी के पास नहीं गयी और न ही जाकर वस्तुस्थिति से मुखिया जी को ही अवगत करवाया। इसके कारण विक्टर केरोबिन को पेंशन चालू नहीं हो सका है।

चिंगारी ग्रामीण विकास केन्द्र के सचिव ने अपने पत्र में 18 मार्च 2010 को लिखा है कि विक्टर केरोबिन पुत्र केरोबिन सोलोमन,ग्राम- बांसकोठी,पंचायत दीघा,प्रखंड पटना सदर,अनुमंडल पटना सदर और जिला पटना के मूल निवासी हैं। सरकार के द्वारा विक्टर केरोबिन को 1 अप्रैल 1986 को पेंशन देने की स्वीकृति प्रदान की गयी। इनका लेखा संख्या 1102/86-87 है। इनका अंतिम निकासी सितम्बर 2002 को है। कतिपय कारणों से फिलवक्त पेंशन की सुविधा बंद कर दी गयी है। आप से आग्रह है कि उक्त पेंशन पर निर्भर रहने वाले अपंग विक्टर केरोबिन को पेंशन चालू करने का कष्ट करेंगे। नये सिरे से निशक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन कार्यक्रम से लाभान्वित किया जाए। इस समय विक्टर केरोबिन के सिर पर से मां-बाप की छाया उठ चुकी है और भाई-भाभी के मखदुमपुर बगीचा,शिवाजी नगर मार्ग में स्थित घर में रहते हैं।अंत में लिखा गया है कि आप महोदय से आग्रह है कि लेखा संख्या 1102/86-87 की जांच करा लें। और इसे चालू करके पुराने समय की बकाये राशि को एकमुश्त आंवटन करने का कष्ट करेंगे।

आलोक कुमार


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