*‘गंगा घाट दूर है परन्तु चलना जरूर है’। इसके आलोक में व्रती के साथ तीन-चार लोग घर से बाहर निकलते हैं। हे छठी मइया पार लगा दें। सभी लोग छठी मइया के गीत गाने लगते हैं। ‘मारबौ रे सुगुवा धनुष सय, सुगुवा गिरी मुरझाय’। इसी गान से संपूर्ण माहौल भक्तिमय बन गया।
पटना। पवित्र गंगा के किनारे जाने की तैयारी। अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्यदान देना है। टोकरी में फल और अन्य समान रखा गया। परिवार के किसी मर्द को कहा गया। टोकरी को सिर पर लेकर गंगा किनारे चलना है। ‘गंगा घाट दूर है परन्तु चलना जरूर है’। इसके आलोक में व्रती के साथ तीन-चार लोग घर से बाहर निकलते हैं। हे छठी मइया पार लगा दें। सभी लोग छठी मइया के गीत गाने लगते हैं। ‘मारबौ रे सुगुवा धनुष सय, सुगुवा गिरी मुरझाय’। इसी गान से संपूर्ण माहौल भक्तिमय बन गया।
हां, आज दोपहर बाद से ही लोगों की रूख गंगा नदी की ओर हो गयी। काफी संख्या में कोई बोरिंग रोड, राजापुर, मैनपुरा,कुर्जी,आशियाना,राजीव नगर आदि जगहों से आये। ऐसे लोग वाहन से आये थे। इनके वाहनों को बेहतर ढंग से पार्किग कर दिया गया। स्थानीय लोग घर से निकले। कोई व्यक्ति के सिर पर टोकरी रखा गया। कुछ दूरी पर जाने के बाद अन्य व्यक्ति सिर पर टोकरी रख लेता था। इस तरह कर गंगा किनारे पहुंचे। जिस जगह को सुरक्षित करके रखा गया। वहां पर जाकर बैठ गये। पूर्व से किये निर्धारित स्थान पर आकर लोग बैठते चले गये। सभी की निगाहें भगवान भास्कर पर ही था। भगवान भास्कर को श्रद्धा निवेदित करने के लिए व्रती घंटों पानी में खड़े होकर ध्यान मग्न रहे। इसके बाद हाथ में सूप लेकर अर्घ्यदान किये। व्रति को सहयोग करने में सभी हाथ बढ़ाते रहे। कोई दूधदान कर रहा है। कोई सूप उठाने में सहयोग कर रहा है। कोई व्रती के कपड़ो को धोने में लग जाता है। सभी लोग सहयोगी की भूमिका में रहे।
भगवान भास्कर को जल में हेलकर अर्घ्यदान देने के बाद थल पर भी आकर नमन किये। हाथ जोड़कर शक्तिशाली भगवान भास्कर के पास कृतज्ञ बने। अधिकांश लोगों को भगवान भास्कर ने कल्याण किया है। एक व्यक्ति ने कहा कि अपने पुत्र की जिदंगी की मन्नत माना था। उदयीमान भगवान दिवाकर के सामने पुत्र का बाल मुंडन करेंगे।
आलोक कुमार