अरवल। आजकल सूबे में एकता परिषद,बिहार के द्वारा पोस्टकार्ड अभियान चलाया जा रहा है। अब तक हजारों की संख्या में आवासीय भूमिहीन प्रधानमंत्री के नाम से पाती भेज चुके हैं। इसमें भूमिहीनों ने माननीय प्रधानमंत्री जी को याद दिला रहे हैं कि ग्वालियर से पांव-पांव चलकर सत्याग्रही 11 अक्तूबर,2012 को आगरा में पहुंचे थे। तब केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और जन सत्याग्रह 2012 के महानायक पी.व्ही.राजगोपाल के संग ऐतिहासिक समझौता किये। किये गये इस समझौते को प्रधानमंत्री को याद दिलाते हुए आवास भूमि अधिकार कानून बनाने की मांग की जा रही है।

विभिन्न जिलों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अरवल की राधिका देवी के नेतृत्व में 150 ,जमुई की मुनिया देवी के प्रयास से 75, मुजफ्फरपुर की रामशीला देवी ने 200, पूर्वी चम्पारण के हरिशंकर ने 500, पश्चिमी चम्पारण की ज्ञांति देवी ने 100 और सहरसा के संतोश सदा के नेतृत्व में 200 पोस्टकार्ड पोस्ट बॉक्स में डाले गये।
इस संदर्भ में एकता परिषद,बिहार संचालन समिति की सदस्य मंजू डुंगडुंग ने कहा कि भारत गांवों का देश है। जहां तक बिहार की बात है। तो लाखों की संख्या में महिलाओं के पास 1-2 धूर ही जमीन है। इसी अल्प जमीन के साथ परिवार में जीवन बसर कर रही हैं। महिला के परिवार के साथ सास-श्वसुर भी रहते हैं। यानी संयुक्त परिवार के पास रहने को काफी कम जमीन है। पूजा-पाठ,शौचालय,गृहवाटिका,आजीविका आदि के लिए जमीन ही नहीं है। इसके आलोक में प्रसि़द्ध गांधीवादी विचारक पी.व्ही.राजगोपाल जी के नेतृत्व में जल-जंगल-जमीन की मांग को लेकर अहिंसात्मक आंदोलन संचालित है। जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 में जन संगठनों के द्वारा की गयी मांगों को केन्द्रीय सरकार अनदेखी कर रही है। यूपीए सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री को स्मरण करवाने के लिए पोस्टकार्ड भेजा जा रहा है।
आलोक कुमार
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