Monday 6 January 2014

जब मनिका थाने के थानाध्यक्ष भी सहायक नहीं बने



 लातेहार। एक मां बावली की तरह मचल जाती है। जब किसी का मोबाइल की घंटी घनघनाने लगती है। चहक उठती है। आंख की रोशनी तेज और कान खड़ा कर देती हैं। कोई खुशखबरी सुना दें कि अरी पगली रोती क्यों हो? तुम्हारी बेटी फुलवा कुमारी दिल्ली से आ गयी है। इसी तरह का रातोंदिन देखती रहती हैं। काश यह सपना सच हो जाए। 
लातेहार जिले के डोंकी ग्राम पंचायत के बरियातु गांव में रहने वाले आदिवासी राजदेव उरांव और उनकी पत्नी कहकनी देवी परेशान हैं। उनकी बेटी फुलवा कुमारी को फुसलाकर दिल्ली महानगर में गुम कर दिया गया है। किसी के सहयोग से आवेदन लिखवाकर कहकनी देवी ने मनिका थाने के थानाध्यक्ष को 24/5/2013 को दी थीं। उनसे आग्रह किया गया कि मेरी लड़की फुलवा कुमारी को मुफ्त करा दें। मगर मनिका थाने के थानाध्यक्ष सहायता करने में आगे नहीं आयें।
काफी उदास होकर आपबीती में आदिवासी कहकनी देवी कहती हैं कि मेरी बेटी फुलवा कुमारी (13 साल) को डेढ़ साल से गायब कर दिया गया है। पहले फुलवा कुमारी मो.नम्बर 09818778730 पर बात करती थीं। वह फोन से बतायी कि वह दिल्ली आ गयी है। इसके कुछ दिनों के बाद से मोबाइल पर सर्म्पक नहीं हो पा रहा है। जब वह दिल्ली  पहुंचकर मोबाइल से बात की तो फुलवा कुमारी स्पष्ट तौर से बतायी थीं कि मनिका थाना अन्तर्गत ग्राम जुंगुर टोला, डुमरटांड़ की प्रमिला कुमारी, जिनका पिता जी का नाम नन्केश्वर लोहरा एवं प्रमिला कुमारी का सहयोगी आकाश कुमार  ने बहला-फुसलाकर दिल्ली लाये थे। आकाश कुमार भी 080002661703 पर बात करता था। उस कहता था कि दो-तीन महीने के बाद आपकी बेटी घर आ जाएगी। उसकी बात पर यकीन करके देखते-देखते 10 माह बीत गया। अब न फुलवा, प्रमिला और आकाश का ही फोन आता है। पता नहीं तीनों धरती पर है कि आकाश में चले गये? इतना कहकर जोरजोर से रोने लगी। वह आवेदन दिखाती है कि उसने मोनिका थाने के थानाध्यक्ष को 24/5/2013 को लिखी थीं।
    इस बीच खबर मिली है कि झारखण्ड से दिल्ली जैसे महानगर में लडकियों को बेचने का सिलसिला लगातार जारी है, जिन माँ-बाप की बेटियां दिल्ली में ले जाकर बेच दी गई है, सभी लड़कियां झारखण्ड के लातेहार ज़िला के मनिका प्रखंड के रहने वाली है। इन लड़कियों के माँ-बाप ने मनिका थाना में लिखित आवेदन दिये हैं, मगर थानेदार लड़कियों को दिल्ली में ले जाकर बेचने वाले दलालों के साथ मिल गये हैं। थानाध्यक्ष किसी तरह की कोई ठोस कार्रवाई करने की दिशा में कदम नहीं उठा रहे हैं। वैसे तो गैर सरकारी संस्थाओं के प्रयास से कुछ लड़कियां अपने घर वापस आ गयी हैं, मगर अभी तक पुलिस के द्वारा दलालों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गयी है। उलटे दलालों से पुलिस पैसा लेकर छोड़ दिया है। कम से कम ले जाने दलालों को सख्त हिदायत दी जा सकती थीं। उनके सहारे जो अभी भी कुछ लड़कियां दिल्ली में फंसी हुई हैं, उन लडकियों को बरामद कर लाती।
मनिका थाने के थानाध्यक्ष के व्यवहार से परेशान होकर दिल्ली से गायब होने वाली लड़कियों के  माता-पिता ने गैर सरकारी संस्थाओं की ओर रूख कर दी है। इस बीच गांव वाले स्थानीय बी.बी.सी. मीडिया एक्शन के मिथिलेश कुमार से भी मदद करने की अपील की है। इन लोगों ने जो आवेदन थानाध्यक्ष को दिए हैं। उनकी छायाप्रति भी मिथिलेश कुमार को दिए है, ताकि उनकी लाडली अपने घर आ सके।
मिथिलेश कुमार
सी- रिपोर्टर,
बी.बी.सी, मीडिया एक्शन
और
आलोक कुमार
पटना।