Friday 2 May 2014

जन प्रतिनिधि और नौकरशाहों के मकरजाल में उलझकर रह गयीं चमेली


पटना। महादलित डोम महाराज की श्रेणी में हैं चमेली देवी। रामसेवक राम की विधवा हैं। राम के सेवक होने के बावजूद भी विधवा तकलीफ में हैं। उसकी तकलीफ बढ़ाने में उम्र और आंख की रोशनी खो जाना है। ऊपर से बढ़ती मंहगाई भी जिम्मेवार है। फिलवक्त जन प्रतिनिधि और नौकरशाहों के मकरजाल में उलझकर चमेली देवी रह गयी हैं। पति के परलोक सिधार चुकने के चार साल के बाद भी निःशक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन से लाभ नहीं मिल रहा है। मुखिया और पंचायत समिति के सदस्य के समक्ष चिरौली करने का भी असर नहीं पड़ा। बस उसे एक राह दिखायी दी। झोपड़पट्टी से निकलकर टेम्पों पर बैठों और लाठी के सहारे चलकर भीखमंगी करना। आज ऐसा ही करके दो जून की रोटी जुगाड़ करने में समर्थ हो पा रही है।
विख्यात कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल के सामने श्मशान घाट है। हॉस्पिटल और उत्तरी मैनपुरा, पश्चिमी मैनपुरा,पूर्वी मैनपुरा, पूर्वी दीघा और पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत में रहने वाले लोगों के परिजनों के मर जाने के बाद अंतिम दाह संस्कार में आग देने का कार्य किया करते थे। इसके एवज में लोग स्वैच्छा से दान दिया करते थे। गंगा सुरक्षा तटबंध के अंदर रहने वाले 20 डोम महाराज ने बारी-बारी से पाली में बंट कर आग देने का कार्य करते थे। इसी पर निर्भर थे। जब गंगा मइया रूठ कर राजधानी से बहुत चली गयी तो डोम महाराज भी आर्थिक संकट के घेरे में गये। वैकल्पिक व्यवस्था में मृत जानवरों के चमड़े उघेड़ने लगे। कुछ और आमदनी को अधिक बढ़ाने के लिए नाली आदि सफाई का कार्य करने लगे। यहां के श्रीकृष्ण राम कहते हैं कि काम के अनुसार विभक्त जाति को कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल के प्रबंधन ने कार्य नहीं दिया। यहां से कोई भी सरकारी कार्य नहीं करते हैं।
गरीबी के दलदल में फंसी चमेली देवी ने भीखमंगी करनी शुरू कर दी है। झोपड़ी से निकलती हैं। किसी तरह से सुरक्षा तटबंध की सीढ़ी से नीचे उतरकर टेम्पों पर बैठक सीधे संत माइकल उच्च विघालय के सामने चली जाती है। यहां पर टेम्पों से उतरकर प्रेरितों की रानी ईश मंदिर के राह किनारे बैठ जाती हैं। ईश मंदिर में पूजा करने आने और पूजा करके चले जाने वाले ईसाई धर्मावलम्बियों के सामने हाथ पसारकर भीख मांगती हैं। बस इसी भीखमंगी से चमेली की जिंदगी कट रही हैं। चमेली देवी के दो पुत्र है। एक बबलू राम की मौत हो गयी। श्रीकृष्णा राम जीर्वित हैं। उसी के साथ खाना खाती हैं।
आलोक कुमार



















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