Friday 30 May 2014

प्रकृति ने एक को किया खुश और दूसरे को कर दिया नाखुश


पटना। जी हां , यह लीला प्रकृति की है। उसके द्वारा एक को खुश किया जाता और दूसरे को नाखुश कर दिया जाता। इस तरह की वर्षा को किसान सोना समझ रहे हैं। तो शहर में रहने वाले बाबू लोग परेशानी के पर्याय समझ रहे हैं। उनको पानी में हेलकर आवाजाही करना पड़ रहा है।
रोहन नक्षत्र में वर्षा होना किसानों के लिए हरक्षण सुख का अनुभूति लेकर आता है। यूं कहे कि खेत के जुताई रोहन नक्षत्र में धान के बीज बोने से धान में खेती उत्तम होता है। और अधिक ऊपज होता है। मौसम सुहाना हो गया है। इस उमस से लोगों को राहत मिली। इस मौसम में किसानों को खेत में काम करने से आनन्द मिलता है। जमीन में नमी होने के कारण से जानवरों को चारा ग्रहण में आसानी हो जाता है। जो गर्मी वाले तापमान से पानी का सतह नीचे चला जाता है। सो पानी का सतह तालाब और कुओं में ऊपर जाता है। इस सुहावनी बेला में मोर भी नाचने लगता है। तो दूसरी ओर शहर में जलजमाव उत्पन्न हो जाता है। नगर निगम और सरकार को लोग कोसने लगते हैं। दीघा के पोस्ट ऑफिस का हाल बुरा हो चला है। वैसे तो दीघा के सभी मार्गों पर जल जमाव है। लोग परेशान हैं। यह सच है कि सड़क और नाला निर्माण किया गया है। जो बेहतर ढंग से नहीं किया गया और जल निकासी की राह नहीं चलने के कारण नानी में उबाल जाता है। इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए कि केवल नाला निर्माण कर देने से समस्या का समाधान नहीं होता है वरण निकासी का ध्यान देना चाहिए।
Alok Kumar

No comments: