Friday 20 June 2014

आंगनबाड़ी केन्द्र में मुआ गर्मी,बरसात,ठंडक आदि में छुट्टी नहीं

Radha Devi

गया। एक ओर दो जून की रोटी जुगाड़ करने में अभिभावक लगे रहते हैं। तो दूसरी ओर उनके कम उम्र के बच्चे आंगनबाड़ी केन्द्र में जून माह की गर्मी को झेलकर गरम - गरम खिचड़ी खाकर पापी पेट को भरने को बाध्य हैं। सरकार और मीडियाकर्मियों की नजर नहीं रहने के कारण आंगनबाड़ी केन्द्र में गर्मी की छुट्टी नहीं दी जाती है। कारण कि आंगनबाड़ी केन्द्र से आवाज बुलंद करने  वालों  में सेविका , सहायिका और बच्चे अक्षम साबित होते हैं। यहां पर आने वाले अधिकारी सदैव ' तीनों ' पर सवाल कर मनोबल को नीचे गिरा कर रख देते हैं।  
उफ् ! यह गर्मी बेहाल कर देने वालीः मुआ गर्मी से छोटा बाबू और बड़ा बाबू परेशान हो रहे हैं। इस गर्मी के आलोक में सरकारी कार्यालय और न्यायालय को डे शिफ्ट से मोर्निंग शिफ्ट में तब्दील कर दी गयी है। वहीं हुजूर के आदेशानुसार पब्लिक और प्रायवेट स्कूल को भी मोर्निंग शिफ्ट कर देना का हुक्म जारी कर दिया गया है। प्रचंड गर्मी के दस्तक से स्कूल को बंद करा दिया जाता है। जबकि साधन संपन्न क्षेत्र है। यहां पर एसी , एयर कुलर , वाटर कुलर , फैन आदि की सुविधा विराजमान है। बिजली रानी रूठकर चले जाने के बाद स्वतः इंवेटर और तो और तुरंत जेनरेटर स्टार्ट करने की सहुलियत है। फिर भी इस ओर सरकार और प्रेस की भी नजर रहती है। वहीं एक क्षेत्र सरकार और मीडिया की आंखों से औझल है। आंगनबाड़ी केन्द्र। जहां 40 बच्चे अध्ययनरत हैं।
आप आंगनबाड़ी केन्द्र में रिपोर्ट लेने गएः आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका कहती हैं कि आंगन और बाड़ी है। इसी तरह के आंगनबाड़ी केन्द्र में 40 बच्चों का भविष्य बनाने का प्रयास में लगे हुए हैं। कृत्रिम पंखा की हवा से तो नहीं प्राकृतिक हवा से गर्मी से निजात पा रहे हैं। उमस से परिपूर्ण वातावरण में सहायिका खिचड़ी बना रही हैं। पसीने से तर हो गयी हैं। अच्छी बात है कि आंगनबाड़ी केन्द्र में चापाकल नहीं रहने के बावजूद भी बाहर से बाल्टी में पानी भरकर लाती हैं और खाना खाने के पहले और खाना खाने के बाद साबून से बच्चों के हाथ धुलाती हैं। सेविका राधा देवी कहती हैं कि सरकार से सेविका को 3 हजार रू . और सहायिका को 1 हजार 500 सौ रू . मानदेय दिया जाता है। सभी जगहों में गर्मी की छुट्टी मिलती है। सिर्फ आंगनबाड़ी केन्द्र को ही छुट्टी से महरूम कर दिया गया है। इस ओर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सोच समझकर ठोस निर्णय लें। आखिर हमलोगों का कब अच्छे दिन आएंगे !

Alok Kumar

1 comment:

Unknown said...

Nice issue,, I applaud your encouragement to take this Vittel issues