Wednesday 2 July 2014

गोलमाल है भाई, सब गोलमाल है!



दानापुर। गोलमाल है भाई, सब गोलमाल है! आप समझे नही! यह महिला हाथ से इंगित कर कह रही हैं कि इस जगह ध्यान से देखें। एक ही जगह में दो दृश्य इंगित हो रहा है। एक तरफ पानी का और तो दूसरी ओर सुखाड़ नजर रहा है। क्या हमारे गगन के देवता के द्वारा समान पानी नहीं दिया है! नहीं भगवान सभी लोगों के साथ इंसाफ करते हैं। मगर धरती के प्रभु लोग अन्याय करने पर तुल गए हैं। अपना मकसद पूर्ण करना चाहते हैं। इसी के कारण लगातार अन्याय और गलत कार्य करने पर उतारू हैं।

भाई साहब जरा देखेः केवल गड्ढे में पानी है। गड्ढे के भरने के बाद खेत में पानी चढ़ गया है। यह सब हरकत प्रभु लोगों के द्वारा किया गया है। पानी वाटर पम्प से गड्ढे में पानी भरा गया है। अगर भगवान के द्वारा बरसाया गया पानी होता तो संपूर्ण खेत में ही पानी जमा रहता और कीचड़ बन जाता है। जमीन गीली हो जाती। यहां तो जमीन सूखी हुई है।

आखिर माजरा क्या है!: सरकार ने आवासहीनों को 2 डिसमिल जमीन दी है। इसमें महादलित और पिछड़ी जाति के 49 लोग हैं। सभी लोगों बंदोबस्ती पर्चा है। बंदोबस्ती पर्चा लेने के बाद पिछड़ी जाति के लोग जमीन पर कब्जा करके रहने लगे। मगर महादलित मुसहर समुदाय के लोग कब्जा करने में असफल हो गए। महादलितों के अनुसार उनको जान से मारने की धमकी दी गयी। झोपड़ी में आग लगा दी गयी। एक अभिमन्यु नामक नौजवान की मौत भी हो गयी। इसी लिए शहीद अभिमन्यु के नाम पर अभिमन्यु नगर रख दिया गया। इसी अभिमन्यु नगर में 1986-87 में सरकार के द्वारा पर्चा दिया गया। जो 27 वर्षों के बाद भी महादलितों का जमीन पर कब्जा नहीं हो पा रहा है।

धरती के प्रभु लोग नहीं चाहतेः धरती के प्रभु नहीं चाहते हैं कि उनके घर के सामने मुसहर जाति के लोग रहे। वे नहीं चाहते हैं कि उनके खेत के सामने मुसहर समुदाय के लोग आकर रहे। वे नहीं चाहते हे कि जो जमीन पर कब्जा है उसे आसानी से छोड़ दे। इसी कारण से प्रभु लोग विभिन्न तरह के हथकंडे अपनाते हैं। दानापुर प्रशासन के द्वारा तीन बार प्रयास किया गया। परन्तु प्रभु लोग सफल नहीं होने दिए।
अब की बार मोदी सरकार के सदृश्य कार्य होने वाला थाः अब की बार मोदी सरकार की तरह सीओ,दानापुर के समक्ष दबाव बनाया गया। अव्वल 27 फरवरी 2013 को एकता परिषद के द्वारा रैली निकाली गयी। इस असवर दानापुर अंचल के अंचलाधिकारी कुमार कुदंन लाल ने कहा कि अभिमन्यु नगर में जाकर जमीन का मुआवना करेंगे। दो बार अभिमन्यु नगर में आए। सीओ साहब ने कहा कि गड्ढे में पानी है। गड्ढे से पानी निकलने के बाद जमीन का सीमांकन करके महादलितों को जमीन पर कब्जा दिलवा देंगे।

गड्ढे का पानी सूखने के इंतजारी में महादलितः सीओ साहब के आश्वासन पर महादलित आश लगाएं बैठे रहे। गड्ढे में पानी होने से मछली हो गया था। महादलित मुसहर समुदाय के बच्चों ने मछली पकड़ने के बहाने गड्ढे का पानी उपचकर बाहर फेंक दिए। उधर सूर्य भगवान की गर्मी से भी गड्ढे का पानी सूख गया। गड्ढे के पानी सूखने के बाद महादलित मुसहर समुदाय के लोग दानापुर अनुमंडल के अनुमंडलाधिकारी राहुल कुमार के जनता दरबार में जाकर फरियाद दर्ज कर दिए।

अनुमंडलाधिकारी राहुल कुमार ने कहाः जनता दरबार में गए सामाजिक कार्यकर्ता नरेश कुमार को एसडीओ साहब ने कहा कि आप एक घंटे के बाद सीओ साहब के पास जाए। इस बीच एसडीओ साहब ने सीओ को फोन घुमाया। उनसे कहा कि महादलितों को जमीन पर कब्जा दिलवा दें। सीमांकन कर लोगों को जमीन पर हक दिलवा दें। अगर विवाद होता है तो फोर्स के बल पर हक दिलवा देंगे।

19 जून को सीओ साहब कुमार कुदंन लाल ने समय निर्धारित किएः सीओ कुमार कुदंन लाल ने अभिमन्यु नगर में पर्चाधारियों को पर्चा के पास बुलाया भेजे। सभी हलका विभाग के लोगों को भी अनिवार्य रूप से 19 जून को अभिमन्यु नगर में आने का आदेश निर्गत किया। मगर 19 जून को पर्चाधारी लोग ही पहुंचे। बाकी हलका विभाग के कोई वंदा अभिमन्यु नगर में नहीं पहुंचे। 30 जून को बेली रोड में रोड जाम छुड़वाने के सिलसिले में एसडीओ और सीओ साहब आए थे। एसडीओ से बातचीत की गयी तो सीओ साहब से बात करने को कहकर पल्ला झार लिए। सीओ ने कहा कि 15 दिनों का समय लिया गया है। 4 या 5 जुलाई को पर्चाधारियों को जमीन पर हक दिलवा दिया जाएगा।

अभिमन्यु नगर से होकर आते समय देखा गया कि कुछ दिन पहले पूरब की ओर के ही गड्ढे में पानी भरा था। इसके बाद 30 जून को पश्चिम तरफ के गड्ढे में पानी भरा हुआ है। यह देखकर आश्चर्य लगा कि बिन बरसात के ही गड्ढों में पानी किस तरह से भर गया।
तब महिला ने कहा कि आप आश्चर्य में नहीं पड़े। पहले धरती के प्रभु ने महादलितों को डरा और धमकाके भगा दिए। जो झोपड़ी बनाए थे। उसमें आग लगा दिए। इसके बाद सड़क निर्माण करने के नाम पर जमीन से जेसीबी मशीन से मिट्टी खोंदकर रोड बना लिए। महादलितों की जमीन पर गड्ढा बन गया। गड्ढा में पानी है। इसके नाम पर अधिकारी गड्ढे का पानी सूखने की बात करके मामले को टालते चले जाते हैं। जब गड्ढे का पानी सूख गया। जमीन देने की बात जोर पकड़ने लगी। तो धरती के प्रभुओं ने वाटर पम्प से गड्ढा में पानी भर दिए। बाकी 1 जुलाई की बारिश ने पूरा कर दिया। यह बारिश ऐसी नहीं है कि गड्ढों को भर दें। यह कथन एकता परिषद बिहार संचालन समिति की सदस्या मंजू डुंगडुंग की है। जो इस प्रकरण में जुड़ी हुई हैं।लगभग इस मामले को गड्ढे में पानी है कहकर दफन करने की कोशिश की जा रही है।

अब महादलित मुसहर समुदाय से निकले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जी से आग्रह है कि इस प्रकरण को देंखे। कहीं गड्ढे में महादलितों का अरमानों का भी दफन हो जाए।

आलोक कुमार


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