पटना।
संजीवन प्रेस पोस्ट ऑफिस
के सामने जूता-चप्पल बनाते दिखते
हैं तेजस्वी राम।
मखदुमपुर मोहल्ले के सामने
पीपल पेड़ के
नीचे 7 साल से
धंधा करने में
लगे हैं। तेजस्वी
राम कहते हैं
कि जब 7 साल
के थे। तब
से जूता-चप्पल
बनाने के धंधे
में लगे हैं।
आज 75 साल के
हैं। इनके चार
बच्चे हैं। एक
बी.ए.उर्त्तीण
हैं। एक सरकारी
काम के लिए
90 हजार रू.की
मांग की गयी।
रकम के अभाव
में रविराज को
नौकरी नहीं लगी।
अनुसूचित जाति के
प्रमाण पत्र बनाकर
रखे हैं। सरकार
ने नौकरियों में
आरक्षण की सुविधा
दे रखी है।
मगर रकम के
आगे अनुसूचित जाति
के प्रमाण पत्र
बौना बनकर रह
गया।
बुजुर्ग
तेजस्वी राम कहते
हैं कि पेड़
के नीेचे ही
काम करना पड़ता
है। घर से
खाना आता है।
जब बुढ़ापे की
नींद आ जाती
है। तब सो
जाते हैं। नींद
खुलने के बाद
काम करने लगते
हैं। तेजस्वी राम
हां में हां
मिलाकर कहते हैं
कि भूख न
जाने सूखी रोटी
और नींद न
जाने टूटी खाट!
जब धरती पर
गिरते हैं तो
कोई आरामदायक समान
की जरूरत नहीं
पड़ती है। बस
सो ही जाते
हैं।
तेजस्वी
राम कहते हैं
कि पश्चिमी दीघा
ग्राम पंचायत की
मुखिया ने इंदिरा
गांधी सामाजिक सुरक्षा
पेंशन की सुविधा
दे दी है।
जो एक महीने
में मिलना चाहिए
मगर तीन माह
के बाद मिलता
है। यह राशि
बहुत ही कम
है। कम से
कम एक हजार
रू. कर देना
चाहिए था। जो
कुछ राहत दे
जाता। मुख्यमंत्री जीतन
राम मांझी तो
पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री
और विधायकों की
सुख सुविधा देख
रहे हैं। अप्रत्याशित
बढ़ोतरी कर दिए
है। उनको गरीबों
की ओर भी
नजर रखनी चाहिए।
आलोक
कुमार
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