Monday 28 July 2014

और महादलित मुसहर समुदाय की किस्मत गड्ढे में



पटना। आखिर कौन निकालेगा ? गड्ढे के पाले में पड़े महादलित मुसहर समुदाय को। अब किस्मत का मारा गड्ढे वालों को चाहिए किनारा। वह तो बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ही कर सकते हैं। मुख्यमंत्री नौकरशाहों को आदेश देंगे। नौकरशाह कांपते - कांपते आदेश को पालन करके महादलित मुसहर समुदाय के लोगों को गड्ढे में से निकाल देंगे। काफी परेशान और दुःखी हैं। अपने स्तर से महादलित कुछ करने में अक्षम साबित हो रहे हैं।
जिले के दानापुर प्रखंड के कौथवा ग्राम पंचायत में अभिमंयु नगर है। यहां पर गैर मजरूआ जमीन है। 59 लोगों को जमीन का परवाना सरकार ने दी है। अधिकांश लोग परवाना मिलते ही जमीन पर काबिज हो गए हैं। कुछेक लोग जमीन पर काबिज नहीं होने दे रहे हैं। ऐसे लोगों ने परवानाधारियों की जमीन में से मिट्टी निकलवाकर रोड बना लिए हैं। जेसीबी मशीन से मिट्टी निकलवाकर रोड बनाने से गड्ढा उत्पन्न हो गया है। उस गड्ढे में बरसात नहीं होने के बावजूद भी गड्ढे में पानी भरा मिलता है। कारण यह है कि आसपास के लोग पानी भर देते हैं। अगर गड्ढे में पानी नहीं रहेगा तो जमीन का सीमांकन करके परवानाधारियों को सरकार के द्वारा देने की योजना है। इसी आसपास के लोग सदैव गड्ढे में पानी भरकर रखना चाहते हैं। इस तरह गड्ढे में पानी रहने के कारण मुसहर समुदाय को हक नहीं मिल पा रहा है। दानापुर के एसडीओ और सीओ चाहते हैं कि मुसहर समुदाय को जमीन पर काबिज करवा दें। मगर गड्ढे में पानी रहने के कारण सीमांकन कराने में असफल हो जा रहे हैं। एक ही उपाय है कि मनरेगा से गड्ढे में मिट्टी भरा दें। मिट्टी भरने के बाद मुसहर समुदाय की जमीन पर काबिज करा दें। यह मामला 19 साल से लम्बित है।
दूसरी ओर कटिहार जिले के समेली प्रखंड में डूमर ग्राम पंचायत की समस्या है। इस पंचायत में बकिया मुसहरी एवं पश्चिम टोला , वार्ड नम्बर -12 है। इस टोले में 260 घरों में महादलित मुसहर रहते हैं। इनकी जनसंख्या 1100 है। यहां पर सभी तरह की जमीन पर महादलित रहते हैं। कुछ के पास रैयती जमीन है। कुछ मालिकाना जमीन पर रहते हैं। हां , गैर मजरूआ भूमि पर भी रहते हैं। इंदिरा आवास योजना के तहत 30 मकान बना है। वह भी अधूरा ही रह गया है। फिर भी किसी तरह से लोग रहते हैं। टूटे - फूटे घरों में गुजारा करने वाले महादलितों की तरफ नौकरशाहों की नजरे गयी। नौकरशाहों ने आवासहीन की श्रेणी में लाकर महादलितों को जमीन खरीदकर देने की योजना बनायी। बिहार सरकार की संकल्प संख्या 01 (8) रा 0 दिनांक 01.01.2010 से निर्गत बिहार महादलित विकास योजनान्तर्गत रैयती भूमि की क्रय की नीति , Two thousand and nine of the commensurate State government by 3 ( तीन ) डिसमिल जमीन स्थायी बंदोबस्ती करने हेतु जमीन की आवश्यकता थी। राज्य सरकार की ओर से जमीन मालिक से 16200/ रू . में जमीन खरीदने की बात तय की गयी।
इस टोले से 1 किलोमीटर की दूरी कोलहा हरिणकोल की जमीन है। जो समान्य जमीन से 6 फीट गड्ढे में है। बरसाती पानी का संग्रह स्थल है। गड्ढा भर जाने के बाद ही पानी बहकर अन्यत्र जाता है। इस पानी से पटवन भी होता है। इसका बहाव पश्चिम से पूरब दिशा की तरफ है। यह स्वभाविक है कि बरसात के बाद महादलित मुसहर इस गड्ढे में से मछली भी मारते हैं। इसी गड्ढे को जमीन मालिक ने बेच दिया है। इसी गड्ढे में किस तरह से घर बनाकर मुसहर लोग रहेंगे ! ठस संदर्भ में महादलित महिलाओं ने कहा कि ' हमनी सबके ऊपर वाले जमीन वा दिखाय के हरिकोल के गड्वा वाली जमीन देयके ठग देयके। हमनी सबके धोखवा देयके सीओ साहब ने ऊपर वाली जमीन के बदले गड्ढा वाला जमीन दाय के छुटकारा पाय लैलके। हो भैया , मूर्खे होके कारण हमनी सबके धोखा देकर ठग लैलकें। हो मालिक धोखा दैय के गड्ढवे ढकैयल दैयले हो भैया , अब हमनी सबके घरवा गड्वा में केसह बनते हो भैया !
अब बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को चाहिए कि महादलित मुसहर समुदाय के लोगों को गड्ढे में से निकाल दें। काफी परेशान और दुःखी हैं। अपने स्तर से महादलित कुछ करने में अक्षम साबित हो रहे हैं।
Alok Kumar


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