Sunday 21 September 2014

आठ साल से समान वेतनमान पाने का ख्याब पालने वाली नर्सेंस हड़ताल पर


सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में संविदा पर होती बहाली

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी करेंगे  शिष्टमंडल से वार्ता

पटना। हमलोग एक ही तरह का कार्य करते हैं। और तो और एक ही जगह पर पदासीन हैं। नियमित और अनुबंध वाले एक ही नल का पानी पीते हैं। मगर यह क्या इनके और उनके वेतनमानों में आसमान और जमीन का फर्क है। ऐसा होने से अनुबंध पर कार्य करने वालों के वर्तमान और ही भविष्य ही सुरक्षित है। आठ साल से समान वेतनमान पाने का ख्याब पालने वाली पी.एम.सी.एच. की नर्सेंस हड़ताल पर चली गयीं। हड़ताल की चिंगारी गया और दरभंगा में भी प्रसार हो गयी है। नर्सेंस की हड़ताल के कारण मरीजों का पलायन जारी है। मरीजों को भर्ती ही नहीं किया जा रहा है। परिजन मरीजों को लेकर प्रायवेट हॉस्पिटलों की ओर रूख करने लगे हैं।

बिहार ग्रेड नर्सेंस एसोसिएशन एवं बिहार अनुबंध परिचारिका संद्य की महामंत्री विथीका विश्वास और महासचिव प्रमिला कुमारी ने कहा कि हमलोग बिहार परिचारिका निबंधन परिषद के द्वारा आयोजित परीक्षा में उर्त्तीण होने वाली नर्सेंस हैं। बिहार सरकार के द्वारा संविदा पर नर्सेंस की बहाली की जाने लगी। बेकारी दूर करने के उद्देश्य से वर्ष 2000 में अगस्त माह में पी.एम.सी.एच. में बहाल किए गए। उस समय 6 हजार 500 रू. मानेदय दिया जाता था। तब से आजतक अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों में अपनी सेवा समर्पित करती रही हैं। आम आवाम की स्वास्थ्य सेवा कर रही हैं। यह सेवा आधुनिक नर्सिग की जननी फ्लोरेंस नाइटिगल की प्रेरणा से और उनके अधूरे सपना को साकार करने के लिए उनके बताए राह पर अग्रसारित हैं।

इस बीच अनेक बार सरकार ने संविदा पर कार्यशील नर्सेंस को नियमित करने की घुंटी पिलाती रही। लगातार आश्वासन देने के बाद भी सरकार नर्सेंस को नियमित करने की दिशा में पहल नहीं की। इसके आलोक में माननीय उच्च न्यायालय ने नियमित करने का आदेश प्रस्ताव पारित कर चुका है। जब चारों तरफ से असफल होने के बाद बेहाल नर्सेंस को राह दिखी। अपना हक की लड़ाई के लिए मैदान में उतर जाए। मैदान--जंग में उतरने के पहले सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया।
अन्ततः मानव सेवा करने वाली नर्सेंस ने दिल को कठोर करके 12 सितम्बर 2014 से बेमियादी हड़ताल करने में जुट गयी। बिहार ग्रेड नर्सेंस एसोसिएशन एवं बिहार अनुबंध परिचारिका संद्य के संयुक्त तत्वावधान में पी. एम. सी. एच. एवं इन्दिरा गाँधी हृदय रोग संस्थान की नर्सों का तीसरे दिन भी हड़ताल जारी है। मरीजों को मुस्कान बिखेड़कर तकलीफ पर मलहम लगाने वाली नर्सेंस कहती हैं। हमलोगों को हक चाहिए,भीख नहीं। हम ग्रेड नर्सें किसी तरह की परीक्षा का विरोध करते हैं। हमलोगों को एकमुस्त सीधी नियुक्ति चाहिए। जहां पर सेवा कार्य कर रही हैं। वहीं पर स्थायी कर दिया जाए।

 पी.एम.सी.एच. में 2500 बेड है। वेतनमान वाले करीब 200 नर्सेंस हैं। संविदा पर करीब 606 नर्सेंस हैं। प्रथम साल में 50 और द्वितीय साल में 50 प्रशिक्षु नर्सिंग छात्राएं हैं। इन्हीं लोगों के सहारे पी.एम.सी.एच. में मरीजों की सेवा की जा रही है। वास्तव में अनट्रेण्ड हैं। इनको मरीजों को सूई दिलवाया जा रहा है। 4 घंटे हॉस्पिटल में कार्य करने वाली प्रशिक्षुओं से दो से तीन शिफ्ट कार्य लिया जा रहा है। कई प्रशिक्षु लगातार कार्य करने से बेहोश होकर गिर भी गयी हैं। यहां के अधिकारियों के द्वारा जर्बदस्ती कार्य लिया जा रहा है। कथित अधिकारी धमकी देने से नहीं हिचक रहे हैं। अगर कोई कार्य करने का विरोध करेंगे तो 6 माह के लिए पीछे धकेल दिया जाएगा।
इस समय पी.एम.सी.एच. की 606, इन्दिरा गाँधी हृदय रोग संस्थान की 160 और एन.एम.सी.एच.की 200 संविदा वाली नर्सेंस हड़ताल पर हैं। इस बीच दरभंगा और भागलपुर की नर्सेंस हड़ताल पर हैं। मुजफ्फरपुर आधी रात में हड़ताल पर चली जाएगी। गया में जाने की तैयारी में हैं। इस बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि नर्सेंस की जायज मांग पूर्ण की जाएगी। मुख्यमंत्री शिष्टमंडल से वार्ता करेंगे।

आलोक कुमार


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