Friday 28 November 2014

चार बच्चों के पिता और तीन बच्चों की मां से दिल मिला


जब छोटी बच्ची को ले जाने आयी मां को खदेड़ा गांव वालों ने                  


पटना। मोबाइल से मोहब्बत और मोहब्बत से विवाह का खेल खेलने की खबर है। यह खेल खेलने वाली विधवा है। रामजीचक नहर के किनारे बाल विवाही विधवा ने पहले दीघा मुसहरी में रहने वाले रूदल कुमार मांझी को मोबाइल नम्बर देकर मोहब्बत का खेल खेलने लगी। काफी खेल खेलने के बाद रूदल कुमार मांझी ने बाल विधवा की मोबाइल नम्बर को ममेरा भाई मनोज कुमार मांझी को दे दिया। मनोज कुमार मांझी विधवा के प्यार में अंधा हो गया। आखिरकार परवान पर चढ़े मोहब्बत को अंतिम परिणाम देने के लिए चार बच्चों के पिता मनोज कुमार मांझी ने तीन बच्चों की मां (विधवा) को दिल दे बैठा। दोनों इधर-उधर घुमने के बाद संगाई करके साथ-साथ रहने लगे हैं।

यह मामला दीघा थाना क्षेत्र का है। शबरी कॉलोनी,दीघा मुसहरी में मनोज कुमार मांझी रहते हैं। इनकी शादी रीता देवी के संग हुई है। इन दोनों को देखते ही देखते चार बच्चे हो गए। पत्नी रीता देवी और चार बच्चों का ख्याल न करके मनोज कुमार मांझी ने तीन बच्चों की मां रेश्मा देवी के संग संगाई कर लिया। रामजीचक नहर के किनारे रौद्धारी कुमार मांझी रहते हैं। अधिकाधिक शराब पीने से रौद्धारी कुमार को पीलिया रोग हो गया। अन्ततः उसकी मौत हो गयी। इसके बाद मोबाइल से कमसीन लड़को से मोहब्बत की बात करने लगी। इस खेल में रेश्मा देवी ने मनोज कुमार मांझी को फांस लिया।

इस समय दीघा मुसहरी में मनोज कुमार मांझी रहते हैं। मनोज की पत्नी रीता देवी भी चार बच्चों के साथ में रहती हैं। संगाई करने वाली रेश्मा देवी भी रहती हैं। पत्नी रहते द्वितीय विवाह रचाने वाले मनोज कुमार मांझी से रेश्मा देवी ने छोटकी बेटी को साथ में रखने का आग्रह किया। इसको मनोज ने स्वीकार कर लिया। तब रेश्मा देवी ने रामजीचक नहर के किनारे वाले घर में जाकर छोटकी बेटी को लाने गयी थीं। वहां के लोगों ने रेश्मा को खदेड़कर भगा दिया।इस समय मनोज की प्रथम बीबी रीता देवी बीमार चल रही हैं। उसे ठंड मार दी है। पति से रूपया दवा-दारू करवाने की मांग की थी। मगर मनोज ने नहीं दिया। उसने साफ तौर पर कह दिया कि तुम बीमार होकर ही मर जाओगी। गाल पर हाथ रखकर बैठी रहती हैं। रीता देवी कहती हैं कि पतिदेव मनोज 22 दिनों से सोने नहीं आते हैं। वह रेश्मी देवी के साथ रंगरेलियां करते हैं। हम तो दूध में पड़ी मक्खी तरह की हो गयी हूं। उसने जीवन बर्बाद ही कर दिया है। महुआ दारू बनाकर खाने-पीने का जुगाड़ करती हैं। कुछ रकम रीता देवी की मां देकर गयी हैं। उसी से महुआ दारू बनाती हैं। अब तो रीता देवी को खुदा ही रखवाला है।


आलोक कुमार

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