Saturday 29 November 2014

बिहार में स्वच्छता अभियान जोरों पर







          साहब को शौचालय नहीं सूझा तो ........

पटना। आप सू-सू करने वाले खाकी वर्दीधारी को क्या कहेंगे? दूसरों को सबक सीखाने वाले को ही सबक लेने की जरूरत पड़ गयी है। कर्तव्य निर्वाह करने वाले ही सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। सरकार ने शौचालय ही निर्माण नहीं करवा सकी है। तो कहां लोग जाएंगे? वंदे के कथन पर है दम। जगह-जगह व्यवस्था करनी चाहिए। इस संदर्भ में खाकी वर्दीधारियों के वरीय अधिकारियों को भी सोच और समझकर ही कदम उठना चाहिए।

प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक स्वच्छता अभियान से जुड़ गए हैं। इसमें मंत्री और सांसद भी जुड़ गए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता भी हाथ बटाने लगे हैं। बावजूद, इसके राजधानी में गंदगी का राज और कूड़ों का अम्बार है। सड़क तो दूर आवासीय खंडों के आसपास भी नारकीय स्थिति बरकरार है। मुख्यमंत्री जीतन राम के संगे मुसहरों के मुसहरी में प्रवेश करने लायक की स्थिति नहीं है। कैसे मुख्यमंत्री के संगे यारपुर मुसहरी में रहते हैं। भगवान ही रखवाला हैं। अब इस खाकी वर्दी वाले रखवाला को देख लें,जो गंदगी फैलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कारगिल चौक पर आंदोलन करने वाले जमे रहते हैं। गंदगी से बेहाल होने के बाद भी मांगों के समर्थन में आंदोलन करने के लिए बैठ जाते हैं।


सू-सू करने के बाद खाकी वर्दी वाले कहते हैं कि सरकार ने शौचालय बनाया ही नहीं है। तो क्या किया जाए। ड्यूटी पर तैनात हैं। अगर ड्यटी छोड़कर अन्यत्र गंदगी निकालने जाते हैं, तो वरीय अधिकारियों का कोपभाजन बन जाएंगे। ड्यूटी पर नहीं रहने के आरोप में निलम्बित कर दिए जाएंगे। अकेले ही ड्यूटी पर हैं। हिलने-डुलने का भी समय नहीं मिलता है। यह जगह संवेदनशील है। अधिकारियों की पैनी नजर रहती है। इसी के आलोक में कार्य निपटारा किया जाता है।

आलोक कुमार


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