Wednesday 19 November 2014

सभी के लिए शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार की गारंटी देने की मांग



समाज में बढ़ते अपसंस्कृति के खिलाफ धरना

विभिन्न तरह के प्ले कार्ड भी प्रदर्शित किए

पटना। सर्वविदित है कि हमलोग लोक कल्याणकारी राज्य में रहते हैं। कल्याणकारी राज्य की सरकार का दायित्व बनता है कि नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें। इसके साथ ही नागरिकों की बुनियादी समस्याओं को दूर करें। विशेष शिक्षा,चिकित्सा और रोजगार उपलब्ध कराए। आजादी के 68 साल के बाद भी सरकार नागरिकों को बुनियादी सुविधा दिलवाने में कोसों दूर है। हरदम सरकार दावा और वादा करके पीछे मूड़ जाती हैं।

प्राथमिक स्तर से उच्च शिक्षा तक की स्थिति भयावहः ऑल इंडिया डी एस ओ, ऑल इंडिया डी वाई ओ और ऑल इंडिया एम एस एस बिहार राज्य कमिटी के बैनर तले धरना दिया गया। इस अवसर पर कहा गया कि आज संपूर्ण शिक्षा जगत ही ध्वस्त होने की कगार पर है। यह इतनी महंगी हो गयी है कि आम लोगों की पहुंच से बाहर है। केन्द्र की भाजपा सरकार पाठ्यक्रमों में तेजी के साथ उलट-फेर करने से बाज नहीं आ रही है। वहीं, इसके द्वारा शिक्षा का साम्प्रदायिकरण की जा रही है। ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि यह देश सेक्यूलर है। सभी धर्म के लोगों को साथ लेकर बढ़ने वाली देश है। एक रंगा स्वभाव शिक्षा में डालना बंद हो।

सूबे में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर स्थिति में हैः बिहार राज्य कमिटी का मानना है कि अभी भी राजकीय अस्पतालों में डाक्टर नहीं, नर्स नहीं और दवा भी नहीं है। यहां तक इलाज का इंतजाम नहीं है। यह हमेशा देखा और सुना भी जाता है। सूबे में मौसमी इंसेफ्लाटिस रोग से दर्जनों बच्चों की अकाल मौत हो जाती है। अभी डेंगू के डंक से रोगी बेहाल हैं। वहीं चिकित्सक और परिचारिकाओं का असमय हड़ताल से लोगों की मौत हो जाती है। इसमें सुधार लाने की जरूरत है।

नौकरियों की बाढ़ आ जाएगी?: भूमंडलीकरण जब आया था तो सभी सरकारों ने हो-हल्ला मचाया था कि नौकरियों की बाढ़ आ जाएगी, और अभी भी दावे किए जा रहे हैं। जितने दावे और वादे हो रहे हैं उतनी ही बेरोजगारी की फौज बढ़ती चली जा रही है। क्या मरणासन्न पूंजीवादी व्यवस्था में किसी भी सरकार के लिए यह काम कर पाना संभव है? यह सवाल धरना को संबोधित करते हुए, युवा और महिलाओं की नेताओं ने किया। 

शिक्षा,स्वास्थ्य और की सरकार ने अपसंस्कृति का हमला तेज कर दिया हैः रोजगार से वंचित लोग विद्रोही न बन जाए,इसलिए सरकार ने अपसंस्कृति का हमला तेज कर दिया है। अश्लीलता,नग्नता और नशाखोरी की दलदल में छात्रों-युवाओं को धकेला जा रहा है। अश्लील गाने,पोस्टर परोसे जा रहे हैं। छात्रों,युवाओं और महिलाओं का जुझारू आंदोलन करना वक्त की मांग और जरूरत है।

  इस अवसर पर ऑल इंडिया डी एस ओ के राज्य अध्यक्ष सूर्यकर जितेन्द्र,राज्य सचिव अनिल कुमार, ऑल इंडिया डी एस ओ के राज्य नेता उमाशंकर वर्मा, अनिल कुमार चांद,रूपेश कुमार, ए.आई.एम एस एस की अनामिका आदि थे। धरना का नेतृत्व ए.आई.एम एस एस की राज्य सचिव साधना मिश्रा ने किया। अन्य वक्ताओं में शिवचन्द्र पासवान, सरोज कुमार सुमन, विकास कुमार, राजू कुमार, सुमनलता मौर्या, निकोलाई शर्मा आदि प्रमुख थे। इस धरना को टी.के.घोष अकादमी के सेवा निवृत शिक्षक और मानवाधिकार कार्यकर्ता आर.एन.झा ने भी संबोधित किया।


आलोक कुमार

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