मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के कथनानुसार महादलित जमे रहेंगे
हालांकि एम्स से दीघा तक ऊपरी सड़क निर्माण
करना है। जो पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा निर्मित रेल सह सड़क सेतु से होकर सोनपुर
की ओर चला जाएगा। अभी तक एम्स से लेकर बेलीरोड के किनारे रहने वाले लोगों की
झोपड़ियों को तोड़ दी गयी है। इन प्रभावितों को न मुआवजा और न ही पुनर्वास की
व्यवस्था की गयी। इससे साबित होता है कि जब झोपड़ी तोड़ने वाले आएंगे और झोपड़ी तोड़ने
में कामयाब हो जाएंगे। केवल प्रभावित देखते ही रह जाएंगे।
इसके आलोक में बिहार सरकार और उनके
नौकरशाहों का कर्त्तव्य बनता है कि एम्स पटना से दीघा तक झोपड़पट्टी में रहने वालों
की सूची बनाकर जमीन देने की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाए।महादलित सुरेन्द्र मांझी ने सरकार से
आग्रह किया है। कि रामजीचक दीघा में गैर मजरूआ जमीन है। पटना सदर के सीओ को भेजकर
जमीन का मुआयना करके लोगों के बीच में समान रूप से वितरण कर दें। ऐसा करने से
महादलितों का कल्याण हो जाएगा। इसके बाद विकास की सीड़ी पर चढ़ने लगेंगे।
आलोक कुमार
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