Friday 9 January 2015

52 दिनों से बिहार अनुबंधित परिचारिका श्रेणी‘ए’ एसोसिएशन हड़ताल पर


9 दिनों से अनशन करने वाली नर्सेंज बेहाल, नौकरशाह लापरवाह
पटना। बिहार में सरकार के द्वारा ‘सत्याग्रह’ करने वालों की सुधि नहीं ली जाती है। महादलित मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की बात नौकरशाह सुनते ही नहीं है। उनके आदेश को अनसूना करके सही मिसाल नौकरशाह पेश नहीं कर रहे हैं। भारत रत्न पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को माने तो वह  अच्छी बात नहीं है।
सत्याग्रह करने वाले स्थल आर.ब्लॉक चौराहा और कारगिल चौक चौराहे से इतर राज्य की नर्सेंज पीएमसीएच परिसर में हड़ताल पर हैं। संविदा पर बहाल नर्सेंज  20 नवम्बर 2014 से हड़ताल पर हैं। इस बीच स्थायी नौकरी की मांग को नर्सेंज नौकरशाहों के समक्ष मनुहार करते रहे। सभी जगहों के द्वार पर दस्तक देकर हार-थक कर 3 जनवरी 2015 से अनशन करने को बाध्य हो गयीं। मानव सेवा करने वाली नर्सेंज कलतक मरीजों को अस्पताल में ग्लूकोज सलाइन चढ़ाते थे। आज सड़क पर नर्सेंज अपने वीरांगना सहेलियों को ग्लूकोज सलाइन चढ़ा रही हैं।
वर्तमान राजनीति माहौल को देखकर ही सूबे के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कहते हैं कि मैं टेस्ट मैच खेलने नहीं आया हूं। वनडे भी नहीं खेल रहे हैं। मैं तो टी-20 मैच खेल रहा हूं।मुख्यमंत्री की ऐसी स्थिति को भापकर मंत्री और अधिकारी सीएम को भाव देते नहीं हैं। हां,जबतक सीएम की संवैधानिक पद पर आसीन हैं तबतक मंत्री से लेकर संतरी तक को सीएम के हुक्म को पालन करना ही  चाहिए। अगर कोई सीएम की कुर्सी की महिमा का पालन नहीं करते हैं तो ऐसे लोगों को कैच आउट कर देना चाहिए।
मंत्री से संतरी तक वर्तमान सीएम के संदर्भ में कहते हैं कि जो सीएम खुद ही सलामत नहीं हैं तो दूसरे लोगों को क्या सलामत रखेंगे? इसी के आलोक में सीएम के आदेश को नौकरशाह भी व्यवहार किया करते हैं। नौकरशाह अभी सीएम के आदेश को लालफीताशाही के शिकार फाइल को खंगालने में लगे हैं। कैसे संविदा पर बहाल नर्सेंज लोगों के साथ ‘न्याय’किया जाए?
सही मायने में बिहार में सत्याग्रहियों की धैर्य की अग्नि परीक्षा की जाती है। इस समय आर.ब्लॉक चौहारे के समीप बिहार राज्य संविदा अमीन संद्य और पीएमसीएच परिसर में बिहार अनुबंधित परिचारिका श्रेणी‘ए’ एसोसिएशन सत्याग्रह पर डटे हैं। इस समय हाड़ कंपाने वाली हवा चल रही है। कंपकंपाने वाली हवाओं के थपेड़े खाकर सत्याग्रहियों का हाल बेहाल हैं। वहीं मंत्री और उनके नौकरशाह कार्यालय और अपने आवास में हिटर जलाकर उर्जा ग्रहण कर रहे हैं। रजाई और हिटर की गर्मी लेने वाले नौकरशाह हिटलर की तरह सत्याग्रहियों के साथ व्यवहार किया जा रहा है।अब तो केन्द्रीय और राज्य के नेताओं की तरह ही बोल बोलने लगे हैं नौकरशाह और आश्वासन भी देने लगे हैं।उन तथाकथित नेताओं की ही तरह तोल मोलकर बोली बोलकर पलटी मार दे रहे हैं। इससे सत्याग्रही नर्सेंज सर्तक हैं।आश्वासन को लिखित आश्वासन देने की मांग करने लगे हैं।

बिहार अनुबंधित परिचारिका श्रेणी‘ए’ एसोसिएशन की महासचिव और बिहार परिचारिका निबंधन परिषद की सदस्य प्रमिला कुमारी भी अनशन पर हैं। कहती हैं कि हमलोग आधुनिक नर्सिंग की जननी फ्लोरेंस नाइटिगल की बेटियां हैं। मानव सेवा करने की शपथ ग्रहण की हैं। सरकार के वादा खिलाफी करने पर हड़ताल पर हैं। इस पर मुख्य भूमिका स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मलहौत्रा ने निभायी है। इसके कारण हड़ताल को अनशन के रूप में तब्दील करना पड़ा। एकमात्र मांग है संविदा पर बहाल श्रेणी‘ए’ नर्सेंज को स्थायी नौकरी में बहाल कर लें। हमलोगों ने महात्मा गांधी के मार्ग पर चलकर विभिन्न तरह के सत्याग्रह किए। मानव ऋखंला बनाए। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन किए। नूतन वर्ष के अवसर पर नर्सेंज गांधीगीरी भी किए। नेताओं और नौकरशाहों को नव वर्ष की शुभकामनाएं देती रही । जल्द से जल्द जिद्द सरकार छोड़े और सत्याग्रहियों की मांग पूर्ण कर दें।

आलोक कुमार


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