Monday 16 February 2015

ईसाई समुदाय का दुखभोग 18 फरवरी से


3 अप्रैल को गुड फ्राइडे और 5 अप्रैल को ईस्टर संडे

गया। ईसाई समुदाय 17 फरवरी को गोस्त और भूजा का पर्व मनाएंगे। जोरदार ढंग से बिहार के पश्चिमी चम्पारण के ईसाई समुदाय गोस्त और भूजा का पर्व मनाते हैं। पश्चिमी चम्पारण से निकलकर गोस्त और भूजा पर्व का प्रसार देश-प्रदेश-विदेश में हुआ है। इस दिन पर्व का लुफ्त उठाते हैं। इसके बाद अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय 18 फरवरी से 4 अप्रैल तक रमको छोड़कर ईसा मसीह के दुखभोग के गम में समा जाते हैं। लगभग मदिरापान और लजीज भोजन त्याग देते हैं। घर से निकलकर चर्च जाते हैं। 18 फरवरी को राख बुधवारहै। इस दिन उपवास और परहेज दिवस है। सयाने उपवास और बच्चे परहेज करेंगे। इस दिन सुबह और शाम में धर्मावलम्बी चर्च जाएंगे। चर्च के पुरोहित शख्स के ललाट पर राख से क्रूस का चिन्ह बनाकर कहेंगे। हे! मनुष्य तू मिट्टी हो और मिट्टी में मिल जाओंगे। शाम को क्रूस का रास्ता है। इस क्रूस का रास्ता में ईसा मसीह के दुखों को समेटकर प्रार्थना की जाती है। चर्च में टंगे 14 तरह की झांकी के सामने जाकर प्रार्थना और गीत गाते हैं। इसका आयोजन प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को दोपहर में होता है। इसके बाद 29 मार्च को खजूर इतवार आता है। 3 अप्रैल को गुड फ्राइडे है। इस दिन ईसा मसीह को क्रूस पर चढ़ाकर मार दिया जाता है। पवित्र बाइबिल के अनुसार ईसा मसीह मृतकों में से तीन दिनों के बाद पुनःजीर्वित हो जाते हैं। इसे ईस्टर कहा जाता है। ईस्टर संडे 5 अप्रैल को है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक सिसिल साह कहते हैं कि पवित्र बाइबिल में उल्लेख है कि तब के राजाओं ने सत्ता सलामत करने के लिए ईसा मसीह को टारगेट बनाया था। उसके नाइंसाफी किया। ईसा मसीह के 12 शार्गिदों में 1 ने धोखा दिया। उसने चांदी के चंद सिक्के में ईसा मसीह को राजाओं के अधीन कर दिए। आखिरकार ईसा मसीह को क्रूस पर चढ़ाकर मार डाला। इस तरह ईसा मसीह के दुखों को समेटकर प्रार्थना की जाती है। इसे क्रूस का रास्ता कहा जाता है।

उन्होंने कहा कि आजकल चर्च और उनके मतावलम्बियों के साथ होने वाले अत्याचार और समस्याओं को जोड़कर क्रूस का रास्ता तय किया जाता है। हाल के दिनों में दिल्ली और बिहार में होने वाले हमलों को लेकर प्रार्थना की जाएगी।हां, ईसाई समुदाय के चर्च और स्कूल बदमाशों के निशाने पर आ गया है। ईसाई समुदाय सोचते और विचारते हैं कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में सुरक्षित रहते थे।केन्द्र में सत्ता परिवर्तन के बाद दिल्ली के चर्च और स्कूलों में 6 बार और बिहार के चर्च में 2 बार हमला किया गया। देश-प्रदेश में होने वाले हमले से ईसाई समुदाय दुखित हैं। खुद अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दिल्ली प्रवास के दौरान धार्मिक कटूता पर नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। यहीं नहीं अमेरिका जाने के बाद भी नाराजगी व्यक्त किए। इन हमलों और तकलीफों को ईसा समुदाय ईसा मसीह के दुख में शामिल करने की तैयारी करने लगे हैं।

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक सिसिल साह कहते हैं कि भागलपुर स्थित बिशप हाउस में 3 शक्तिशाली जीर्वित बम 2 दिसम्बर 2014 को पाया गया। काफी सर्तकता के बाद बम को निष्कृय किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में फरियाद दर्ज किए। इस पर कार्रवाही जारी है। इसके बाद 11 जनवरी,2015 को मसीही प्रार्थनालय में मसीही आंख बंद करके प्रार्थना कर रहे थे। इस बीच गुड न्यूज सेंटर में नामक प्रार्थनालय में 40-45 हमलावर प्रवेश कर गए। वहां पर उपस्थित मसीही को जमकर धुलाई कर दिए। अभी भी सेंटर के पास्टर कमलेश कुमार पिटायी से उभरे नहीं है। कान की झिल्ली फट जाने का इलाज दिल्ली में करा रहे हैं।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने 1 दिसम्बर 2014 को चर्च को आग के हवाले कर दिया, 5 दिसम्बर 2014 को वसंत कुंज स्थित चर्च पर, 7 दिसम्बर को चर्च में, 14 जनवरी 2015 को विकासपुरी में स्थित सेक्रेट हार्ट चर्च में , 2 फरवरी को संत स्ट्रेफन चर्च में और 13 फरवरी को होली चाइल्ड आक्जीलियम स्कूल में हमला होने पर परेशान हो उठे। तुरंत दिल्ली के पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी को बुलाकर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिए। वहीं चर्च और स्कूलों के चौखट के बाहर सुरक्षातंत्र मजबूत कर दी गयी है।

आलोक कुमार


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