Wednesday 4 March 2015

अब देखना है कि कितने दिनों के बाद मुख्यमंत्री रद्द फैसले को नए सिरे से लागू कर पाते है?


पटना। पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कह चुके थे। मुख्यमंत्री की कुर्सी प्राप्त करने के बाद लिए गए निर्णय को अमल नहीं करेंगे। इसके आलोक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्री मंडल में निर्णय ले लिए कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के द्वारा 10,18 और 19 फरवरी को लिए गए नीतिगत 36 फैसले को रद्द कर दिया जाए। साथ में यह भी कहा गया कि फैसले की समीक्षा की जाएगी। अगर सरकार और जनता के हित में फैसले होंगे। तो उसे नए सिरे से मंत्री मंडल से पारित करेंगे।
 इसमें पुलिसकर्मियों को 13 माह का वेतन, होमगार्ड के दैनिक व यात्रा भत्तों में बढ़ोतरी,सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण(गैड्ेजेट पदों को छोड़कर),पासवान जाति को महादलित में शामिल करना,नियोजित शिक्षकों को वेतनमान के लिए कमेटी का गठन,सरकारी स्कूलों में ललित कला और संगीत शिक्षकों के पदों का सृजन,किसान सलाहकारों का मानदेय बढ़ाकर रू0 7000 करना,मिड डे मील रसोइयों को एक हजार मानदेय देने की केन्द्र से अनुशंसा,स्वामी सहजानंद सरस्वती और कर्पूरी ठाकुर संस्थान की स्थापना,सभी 66 हजार राजस्व गांवों में एक-एक स्वच्छता कर्मी की बहाली,मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत राशि दो से तीन करोड़ करना,विभागों में उर्दू अनुवादक के खाली पदों पर नियुक्ति, मदरसों का कम्प्यूटरीकरण,शिया और सुन्नी वफ्फ बोर्ड को विशेष अनुदान,मुजफ्फरपुर में ट्रैफिक थाना,सांख्यिकी स्वयंसेवक को मानदेय देने के लिए कमेटी,सवर्णों को आरक्षण देने के लिए कमेटी का गठन,विकास मित्र और टोला सेवक की सेवाकाल 25 वर्ष करना,मधुबनी के सौराठ मेले को राजकीय मेले का दर्जा,पथ निर्माण विभाग में 25 लाख तक के ठेके में बीसी-इबीसी और महिलाओं को आरक्षण,बीसी-इबीसी वित्त विकास निगम की स्थापना, एससी-एसटी सफाई कर्मचारी आयोग गठन,301 नये प्रखंडों के सृजन की सैद्धांतिक स्वीकृति और मनरेगा कर्मियों को नियमित करने की पहल आदि शामिल है।
अब देखना है कि कितने दिनों के बाद रद्द फैसले को नए सिरे से लागू कर पाते है?

आलोक कुमार

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