श्रवण पुत्र की भूमिका में आरती पुत्री निर्वाह करतीं
बिन चेहरा लाल किए ही माँ की सेवा करती हैं आरती
पटना। अभी
पाँच साल हो रहा है। कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में मेरी मांग्दलेना काम करती
थीं। कुर्जी हॉस्पिटल से मेरी 1 जून 2010 को अवकाश ग्रहण की। दुर्भाग्य यह रहा कि
मेरी मांग्दलेना बीमार हो गयी। कुर्जी हॉस्पिटल के चिकित्सकों से दिखाया गया।
जाँचोपरांत ने चिकित्सकों ने मेरी को बॉन टी.बी.की रोगी करार दिए। लगातार 9 माह
दवा-दारू करने के बाद चिकित्सकों ने दवा बंद कर दिए। बॉन टी.बी. होने के बाद 9 माह
तक बिस्तर पर ही पड़े रहने के कारण पैरों में अकड़न आ गया। जो आज भी बरकरार है। इस
कारण उठ और बैठ नहीं सकती हैं। श्रवण पुत्र की भूमिका निर्वाह कर रही हैं आरती।
पाँच साल से आरती वंदना ही माँ की देखभाल करती हैं।
मेरी
मांग्दलेना और अशोक कुमार दास उर्फ पैट्रिक के बीच शादी हुई है। दोनों के सहयोग से
2 पुत्री हुईं। प्रथम पुत्री अंजलि कुमारी हैं। कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल से ए.एन.एम.
उर्त्तीण करके अंजलि कुमारी महावीर कैंसर संस्थान,फुलवारीशरीफ में कार्यरत हैं। वहीं द्वितीय
पुत्री आरती वंदना हैं। माँ की बीमारी के पूर्व तक अध्ययनरत थीं। 9 वीं कक्षा तक
पढ़ी हैं। अब माँ की सेवा में लग गयी हैं। 24 घंटे माँ की सेवा में लगी रहती हैं।
पुत्री की सेवा से माँ-बाप खुश हैं। सेवा से कृतज्ञ होकर माँ के चेहरे पर मुस्कान
बना रहता है।
बिस्तर पर
ही मेरी मांग्दलेना पड़ी रहती हैं।बिस्तर पर ही मेरी को दैनिक क्रियाकलाप कराया
जाता है। माँ को गोदी में उठाकर आरती
स्नान करवाने के लिए बाहर ले जाती हैं। स्नान करवाने के बाद गोदी में उठाकर बिस्तर
पर लेटा देती हैं। उसके बाद माँ को बेड सोर न हो। इसका ख्याल किया जाता है। अभी तक
बिस्तरी घाव नहीं हुआ है। बच्चों ने बिस्तर के सामने ही टी.वी. रख दिए हैं। वह
टी.वी. देखती हैं। उनकी पंसदगी धारावाहिक गोपी बहू है। वहीं बच्चे उड़ान देखते हैं।
पत्नी
मेरी मांग्दलेना के बगल में पति अशोक कुमार दास बैठे हैं। श्री दास कहते हैं कि
दानापुर अनुमंडल स्थित खासपुर में कार्यरत थे। वहाँ पर 7 हजार रू. मिल जाता था।
अभी 6 माह से बेरोजगार हैं। बेटी काम करती हैं। दोनों लोगों के सहयोग से रोगी का इलाज
किया जाता है। लाखों रूपए खर्च कर दिए हैं। अवकाश ग्रहण करने के बाद मेरी को
भविष्य निधि वाली पेंशन नहीं मिल पा रही है। वहीं इंदिरा गाँधी सामाजिक सुरक्षा
पेंशन भी नहीं मिल पा रही है। रोगी के परिजनों की माँग है कि सरकार व्हीलचेयर
उपलब्ध करा दें। व्हीलचेयर चलाकर बाहर जा और आ सकती हैं। इनलोगों के पास केवल आधार
कार्ड और निर्वाचन पहचान-पत्र उपलब्ध है। इसके अलावे राशन कार्ड नहीं है।
प्रेरितों की रानी ईश मंदिर से फादर लोग आकर पापस्वीकार करने के बाद परमप्रसाद
देते थे। 6 माह से नहीं आ रहे हैं।
आलोक
कुमार
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