मानदेय से ही वर्दी खरीदकर वर्दी पहनते हैं चालक सिपाही
5 साल से मानदेय में वृद्धि नहीं
गया। इस
जिले के शेरघाटी अनुमंडल के रोशनगंज थाना में कार्यरत चालक सिपाही उदय पासवान कहते
हैं कि दो मुहान के आगे मगध यूर्निवसिटी थानान्तर्गत मार्ग पर पूर्व डी.आई.जी.उमेश
कुमार के स्कॉट में दुर्घटना होने वाले संजीव कुमार की मौत 2011 में हो गयी। चालक सिपाही संजीव कुमार के परिजनों को सरकार के
द्वारा मुआवजा नहीं दिया गया। केवल रूखासूखा मानदेय ही मिलता है। किसी तरह का
भत्ता देय नहीं होता है।
बिहार
पुलिस एवं बिहार सैन्य पुलिस में चालक सिपाही के पद पर नियुक्ति हेतु चयन
प्रक्रिया के संशोधन का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है। नई चयन प्रक्रिया की
अधिसूचना अप्राप्त रहने के कारण चालक सिपाही की नियमित नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ
करने में विलंब हो रहा है। 2010 में संविदा के
आधार पर चालक सिपाही की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गयी। पुलिस विभाग में चालक
सिपाही के स्वीकृत पदों के विरूद्ध 610 पदों का
रोस्टर गृह (आरक्षी) विभाग के पत्र सं0- 4/ ब02-10-04/2010 गृ0आ0-4184 दिनांक 20 मई 2010 है।
विदित है
कि पुलिस आधुनिकीकरण योजनान्तर्गत काफी संख्या में नये वाहनों का क्रय किया जा
चुका है। बिहार पुलिस में गृह विभाग के उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार 2013 से 2015 के बीच करीब 1 हजार गाड़ियों की क्रय की गई। पहले से ही बिहार पुलिस संवर्ग
में छोटी गाड़ियों की संख्या में 3470 और बड़ी गाड़ियों
की संख्या में 721 विराजमान है। इसके आलोक में चालकों
की संख्या में भारी कमी रहने के कारण उक्त वाहन के संचालन एवं रख-रखाव में घोर
कठिनाई हो रही है। उक्त परिस्थितियों के समाधान के लिए संविदा के आधार पर नियुक्ति
की प्रक्रिया एक मात्र विकल्प रह जाता है। संविदा के आधार पर नियुक्ति की
प्रक्रिया वहीं होगी जो नियमित नियुक्ति के लिए निर्धारित है।
पुलिस
मुख्यालय के मापदंड के अनुसार अभ्यर्थियों को 6 मिनट में 1600 मीटर की दौड़, 12 फीट लम्बी कूद, 4 फीट ऊँची
कूद,16 पौण्ड का गोला फेंक कर शारीरिक मापदंड पेश
करना पड़ा। इसके बाद गाड़ी चलाने की टेस्ट प्रक्रिया,यातायात के चिन्हों, संकेतों, मोटर गाड़ी के नियमों से संबंधित पार्ट-पूर्जे, रख-रखाव, लूब्रिकेटिंग आदि
का सामान्य ज्ञान तथा वाहनों में यांत्रिक तकनीकी त्रुटियों का परीक्षण भी लिया
गया। इसके बाद मेडिकल टेस्ट और थाने से सत्यापन भी कराया गया। 610 अभ्यर्थियों में 399 ही सफल
हो घोषित किए गए।
इस संदर्भ
में अजीत कुमार का कहना है कि संविदा के आधार पर नियुक्त होने वालों को मानदेय
निर्धारित किया गया। पटना शहरी क्षेत्र में 10,500 और अन्य जगहों में कार्य करने वालों को 9,900 रू.मानदेय दिया गया। 5 साल के बाद भी
मानदेय में वृद्धि नहीं किया गया। 12 महीने कार्य
करते हैं और 11 महीने का मानदेय दिया जाता है। और
तो और चालक सिपाहियों को वर्दी भत्ता देय नहीं किया जाता है। खुद ही हमलोगों को
वर्दी खरीदकर वर्दी पहनना पड़ता है।
आलोक
कुमार
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