पटना।
बिन्दटोली दीघा के लोग कहते हैं कि हमलोग रैयती जमीन पर रहते हैं। तो सरकार कहती
है कि जिस जमीन पर बिन्द समुदाय के लोग रहते हैं। वह मौजा दीघा दियारा थाना नं0
1/2 खाता सं0 82, 71, 36, 93, 196 का अंश है और खसरा सं0 272 से 276 का अंश है। जो खास महाल की भूमि है। जिसे सरकार ने दीघा रेल
पुल परियोजना हेतु हस्तान्तरित कर दी है। जिस पर आपलोग अनाधिकृत रूप से बसे हुए
हैं।
बताते चले
कि सोन और गंगा नदी के किनारे बिन्दटोली बसा है। 186 घरों में 18 सौ लोग रहते हैं। गरीबी रेखा के
नीचे जीवन बसर करने वाले बिन्द समुदाय के लोग पट्टा पर लेकर खेती करते हैं। लालटेन
युग में रहने वाले लोगों ने दीघा रेल पुल परियोजना हेतु हस्तान्तरित जमीन का ख्याल
ही नहीं किया। बस एक ही स्वर से अपनी-अपनी झोपड़ियों में बिजली बल्ब जलाने की बात
सोच सोचने लगे। सभी लोग हकीकत में बदलना शुरू कर दिए।
अंगुवाई
करने वाले मेघनाथ महतो कहते हैं कि कोई एक सौ लोग सहमत हो गए। नोटरी से 150 रू.देकर कागजात बना लिए। इस कागजात को तैयार होते ही एक सौ
लोगों ने आवेदन प्रपत्र तैयार करके पाटलिपुत्र औघोगिक प्रांगण में स्थित बिजली
विभाग में जमा कर दिए। बिजली विभाग ने आवेदकों को रकम जमा करने को कह दिया। प्रति
आवेदक को 875 रू.जमा करना था। 79 आवेदकों ने 875 रू. की रकम जमा
कर दिए। कुछ दिनों के बाद 42 लोगों को रकम
प्राप्ति का रसीद मिला। रकम जमा करने वाले 37 लोगों को रसीद नहीं दी गयी। आवेदकों के द्वारा बिजली विभाग को जमा 69125 रू.फंस गए।
इस संदर्भ
में मेघनाथ महतो कहते हैं कि बिन्दटोली दीघा के आवेदकों से बिजली विभाग ने दीघा
रेल परियोजना के अधिकारियों के द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र पेश करने को कहा गया।
इस समय सरकार के द्वारा बिन्दटोली के लोगों को हटाने की योजना बना दी है। इस संबंध
में 10.6.2015 को अंचल अधिकारी पटना सदर के साथ
बैठक होने वाली है। उस समय बिन्दटोली के लोग रैयती जमीन का दस्तावेज पेश करेंगे।
अगर बिन्दटोली के लोगों के द्वारा पेश दस्तावेज का दावा खोखला साबित होता है और
प्रशासन का दावा सही होता है तो खास महल की भूमि पर बसने वालों को भूमि पर से हट
जाना पड़ेगा। अगर जोर जर्बदस्ती किया गया तो जेसीबी लगाकर झोपड़ी को तहसनहस कर दिया
जाएगा। ऐसे में बिजली लगाने की बात अधर में लटक जाएगा। इस परिस्थिति में बिजली
विभाग से आवेदकों के द्वारा जमा की गयी रकम को वापस करने की मांग की जाएगी। एक जंग
जमीन की तो द्वितीय जंग बिजली विभाग से लड़नी पड़ेगी।
आलोक
कुमार
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