Sunday 5 July 2015

भले ही गरीबी के दलदल में फंसे हैं सामाजिक कार्य करते रहेंगेः दयाल

सिविल डिफेंस कोप्स, पटना के स्वयंसेवक चाहते हैं 

कि 365 दिन कार्य मिले

माँ-बाप की सेवा में लगे 42 साल के दयाल 

विवाह भी नहीं

पटना।सामाजिक कार्यकर्ता हैं दयाल शरण। वह द्वितीय श्रेणी से वर्ष 1986 में मैट्रिक उर्त्तीण हुआ। मात्र 10 की उम्र में 1983 में दिल्ली में आयोजित काँग्रेस सेवा दल की नेशनल रैली में भाग लिया।बिहार प्रदेश काँग्रेस सेवा दल में रहे।यहाँ पर बैंड टुकड़ी के प्रशिक्षण 1987 में ग्रहण किए।इसका फायदा नहीं मिला। ऐसा करने से परिवार की आर्थिक हालात खराब होती चली गयी। आज भी जर्जर आर्थिक स्थिति से उबर नहीं पाए हैं।

राजधानी के बगल में है उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत। इस पंचायत के मुखिया सुधीर कुमार सिंह हैं। फिलवक्त कुर्जी गाँव (मुंगेरी ग्राम) के गंगा किनारे में रामानंद शर्मा रहते हैं। रामानंद शर्मा और तारा देवी के सहयोग से 5 संतान हैं। 3 लड़के और 2 लड़कियां हैं। 2 लड़के और 2 लड़कियों को विवाह करने में सफल हो गए। इस बीच औघोगिक परिसर में स्थित ट्रेडिशनल फर्नीचर मेकिंग सेंटर में डाक्टर कम फीटर के पद पर कार्य करने वाले रामानंद शर्मा रिटायर हो गए। रिटायर करने के बाद पेंशन नहीं मिलने से रामानंद परेशान हैं। कई बार आवेदन दिए परन्तु सुनवाई नगणय है। इस बीच दुर्भाग्य से रामानंद शर्मा की धर्मपत्नी तारा देवी को लकवा मार दिया। आर्थिक विपन्नता से तार-तार हो गए परिवार को लकवाग्रस्त तारा देवी का इलाज करवाने में दिक्कत होने लगी है। रामानंद शर्मा के परिवार को सरकारी और गैर सरकारी सहयोग नहीं मिलने दयाल शरण भी परेशान हो गया है। माँ-बाप की सेवा में लगे 42 साल के दयाल शरण विवाह भी नहीं कर रहे हैं।

दयाल शरण कहते हैं कि किसी तरह के आर्थिक लाभ नहीं मिलते देख वर्ष 1991-1992 में पाटलिपुत्र औघोगिक प्रतिष्ठान में स्थित लघु उघोग विकास संगठन से विघुत कार्यशाला में भाग लेकर बिजली मिस्त्री बन गए। अन्य लोगों के घर में प्रकाश फैंलाने वाले दयाल शरण के घर में अंधेरा पसरा हुआ है। कुर्जी मोड़ के करीब सुपर मार्केट में फोटो फ्रेमिंग का धंधा खोल रखा है। प्रचार और लोगों की जानकारी से दूर रहने के कारण फोटा फ्रेमिंग का धंधा मंदा पर गया है।

इसके बावजूद भी दयाल शरण घबराते नहीं हैं। सामाजिक कार्य करने का कार्य करते रहते हैं। इसके आलोक में बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार के तहत पैक्स निर्वाचन -2009 के  प्रबंध समिति के सदस्य बनाए गए। इसके बाद 2012 में सिविल डिफेंस कोप्स, पटना के बेसिक फाउंडेशन कोर्स में भाग लिए। वर्तमान समय में बिहार राज्य निर्वाचन प्राधिकार के तहत पैक्स निर्वाचन -2015 में प्रबंध समिति के सदस्य हैं।

सिविल डिफेंस कोप्स, पटना के स्वयंसेवक दयाल शरण कहते हैं कि साल में 5 दिन ही स्वयंसेवक का कार्य दिया जाता है। दुर्गा पूजा के समय में 2 दिन, महाछठ पर्व के अवसर पर 2 दिन और गंगा दशहरा के समय 1 दिन का दायित्व सौंपा जाता है। दायित्व सौंपने के दिन का मात्र 100 रूपए की राशि मजदूरी के रूप में दी जाती है। वर्ष 2014 में 5 दिनों की मजदूरी 500 रू.नहीं दी गयी है। दयाल शरण चाहते हैं कि हमलोगों को 365 दिनों का कार्य मिले। मजदूरी में 200 रू. मिले। यातायात को व्यवस्थित करने में सहयोग कर सकते हैं। आगे कहते हैं कि भले ही गरीबी के दलदल में फंसे हैं। सामाजिक कार्य करते रहेंगे।


आलोक कुमार

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