Saturday 22 August 2015

असुविधाओं के बीच में आंदोलन करने को बाध्य

आंदोलन करने की अनुमति मांगने पर 7 सूत्री आदेश को करना पड़ता है पालन

सीएम ग्राम रक्षा दल के सदस्यों को ग्रामीण पुलिस के पद पर बहाल कर दें

पटना। ग्राम रक्षा दल के अध्यक्ष हैं सिकन्दर पासवान। 17 अगस्त को आवेदन दिए थे। 22 अगस्त से गर्दनीबाग में अनिश्चितकालीन धरना एवं तीन दिवसीय भूख हड़ताल के आयोजन की अनुमति मांगे थे। पुलिस निरीक्षक-सह-थानाध्यक्ष, गर्दनीबाग थाना के डी0आर0 सं0-2877/15,दिनांक- 21/08/2015 द्वारा अनुशंसा के आलोक में जिला दण्डाधिकारी का कार्यालय,पटना (जिला नियंत्रण कक्ष) का आदेश जारी किया गया। हरेक आयोजनकर्ता को 7 सूत्री आदेश को पालन करना पड़ता है।

धरना/प्रदर्शन/अनशन का आयोजना पूर्णतः शांतिपूर्ण ढंग से चिन्हित स्थल पर किया जायेगा। धरना/प्रदर्शन/अनशन के आयोजन के दरम्यान यातायात बाधित नहीं किया जायेगा। धरना/प्रदर्शन/अनशन के दौरान किसी भी तरह का उत्तेजक/भड़काऊ भाषण नहीं दिया जायेगा। धरना/प्रदर्शन/अनशन के दौरान सरकारी/अर्द्ध सरकारी सम्पति का किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचायेंगे। अनुमति प्राप्त धरना/प्रदर्शन/अनशन /समारोह के निर्धारित स्थल/जुलूस मार्ग के अतिरिक्त किसी अन्य मार्ग का प्रयोग नहीं करेंगे एवं प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेंगे। धरना/प्रदर्शन/अनशन स्थल पर प्रयोग हेतु ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी से अनुमति प्राप्त होने पर ही करेंगे। धरना/प्रदर्शन/अनशन का आयोजन आवेदन में अंकित अवधि तक के लिए मान्य होगा। किसी भी शर्त का उल्लंघन होने पर आदेश स्वतः रद्द समझा जायेगा तथा उल्लंघन करने वाले व्यक्ति/संस्था पर नियमानुसार विधि सम्मत आवश्यक कानून कार्रवाई की जायेगी।

भूख हड़ताल करने वाले रामविलास दास ने कहा कि प्रशासन के द्वारा आंदोलनकारियों की सुविधाओं का ख्याल नहीं किया गया है। काफी कम जगह पर आयोजन करने को कहा जाता है। अगर अकस्मात बारिस हो जाए तो आंदोलन करने वालों को पानी से भींगना पर जाता है। जमीन पर पानी पसर जाने से खड़ा होकर आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ता है। पेयजल और शौचालय भी उपलब्ध नहीं है। अगर शौचालय है तो पैसा फेंकना पड़ता है। किसी तरह की रियायत नहीं दी जाती है। रामप्रवेश कुमार का कहना है कि दोनों तरफ से प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर आंदोलनकारियों को पिटाई कर दी जाती है। रामानुज चौरसिया का कहना है कि हमलोगों को नक्सलियों से लोहा लेने के लिए 2012 में बहाल किया गया। सरकार के द्वारा एक पैसा भी नहीं दिया जाता है। केवल टार्च और लाठी थमा दिया गया है। इसके सहारे नक्सलियों की पहचान करके थानाध्यक्ष को सूचना देते हैं। गांव के चौकीदारों के साथ मिलकर कार्य करते हैं। उनको मोटी रकम मिलती है। और हम ग्राम रक्षा दल के सदस्यों से बेगारी करायी जाती है। विनोद कुमार ने सीएम नीतीश कुमार से आग्रह किए हैं कि हम ग्राम रक्षा दल के सदस्यों को ग्रामीण पुलिस के पद पर बहाल कर दें। अभी 60 हजार ग्रामीण पुलिस के पद खाली है। इसी पद पर बहाल कर दिया जाए।


आलोक कुमार

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