Wednesday 5 August 2015

पुलिसिया लाठी चार्ज से घायल प्रोफेसर कुमार धीरेन्द्र

पटना। आर.ब्लॉक पर आंदोलनकारी धरना और प्रदर्शन किया करते थे। आंदोलन करने से प्रायः मार्ग अवरूद्ध हो जाता था। इसके आलोक में पटना उच्च न्यायालय ने जिला प्रशासन को आदेश दिया कि आर.ब्लॉक के बदले किसी अन्य स्थान पर आंदोलन करने की जगह निर्धारित कर दें। जिला प्रशासन ने गर्दनीबाग थाना के पीछे और गर्दनीबाग हॉस्पिटल के सामने रणभूमि निर्धारित कर दिया।

शनिवार 1 अगस्त 2015 से आंदोलनकारी निर्धारित स्थान पर ही आंदोलन करने लगे। आंदोलन करने वालों में वित्तरहित कर्मी भी हैं। बुधवार को नगधड़ग आंदोलन तय किया गया। सैकड़ों की संख्या में वित्तरहित कर्मी मोर्चा संभालकर आगे बढ़ने लगे। संवेदनशील क्षेत्र में वित्तरहित कर्मी प्रवेश करना चाह रहे थे। मौके पर मौजूद कर्मियों को आगे बढ़ने नहीं दी। आंदोलनकारियों के द्वारा अवरोद्धक घेरा तोड़ने पर पुलिसकर्मियों ने लाठी चार्ज करने लगे। दर्जनों की संख्या में कर्मी घायल हो गए। पुलिसिया लाठी चार्ज से प्रोफेसर कुमार धीरेन्द्र घायल हो गए। अपने सहकर्मियों के सहयोग से प्रोफेसर साहब चल पा रहे थे।

प्रोफेसर अरूण कुमान ने बताया कि अंग्रेजी के प्रोफेसर हैं प्रो0 कुमार धीरेन्द्र। आदर्श महाविघालयघैलाडजीवसपुरमधेपुरा में सेवारत हैं। कोई 35 साल से वित्तरहित शिक्षा से जुड़े हैं। लगभग 1 हजार से अधिक वित्तरहित संस्थाएं हैं। जिसमें माध्यमिक विघालय, इंटर एवं डिग्री कॉलेज शामिल हैं। कई हजारों की संख्या में वित्तरहित कर्मी हैं। सैकड़ों की संख्या में वित्तरहित कर्मियों का अर्थाभाव में दम तोड़ दिए हैं। हजारों वित्तरहित कर्मी बिना वेतन के ही प्रतिवर्ष सेवामुक्त होने को बाध्य हैं।

प्रोफेसर अरूण कुमान ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्य है कि विद्वान शिक्षकों एवं कुशल शिक्षोत्तर कर्मचारियों को जीवन जीने के लिए वेतन मयस्सर नहीं, क्या इन्हें अपने ज्ञान-दान के पावन कर्म के आलोक में रोटी पाने का संवैधानिक अधिकार भी नहीं? वहीं दूसरी ओर जन प्रतिनिधियों को विलासिता संबंधी सुविधाओं, वेतन भत्ता एवं आजीवन पेंशन सहित विभिन्न बहुतायत सुविधाओं की बहुलता, क्या लोकतांत्रिक समाज की सामाजिक आर्थिक खाई की गहराई को बढ़ा नहीं रही है? यदि ये बातें यथोचित एवं मानवीय दृष्टि से समीचीन,सोचनीय एवं विचारणीय है तो आप तमाम महानुभावों से सादर आग्रह है कि इस आर्थिक एवं सामाजिक गहराई को पाटने के लिए ,बिहार की शैक्षणिक रीढ़ को मजबूत करने वाली सभी संसाधनों से युक्त वित्तरहित संस्थाओं के कर्मियों के वेतनमान,सेवाशर्त, बकाये अनुदान के एक मुश्त भुगतान, अवकाश प्राप्ति की उम्र सीमा 65 साल एवं अवकाश प्राप्त कर्मियों के पेंशन की सुनिश्चिता के लिए सहयोग करने का आग्रह सरकार से की गयी है।

आलोक कुमार

No comments: