Sunday 16 August 2015

मांडर के लोग शहीद आलबर्ट चौक पर अंधविश्वास के खिलाफ धरना देते हुए

नारा लिखित नकाब पहने 
रांची। इस जिले के मांडर प्रखंड में डायन बिसाही के आरोप में 5 महिलाओं की हत्या कर दी गयी। इस तरह का आरोप लगाकर 10 साल के अंदर झारखंड में 12 सौ लोगों को मार डाला गया। शिक्षा की रोशनी का प्रसार नहीं होने के कारण लोगों की अकाल मौत हो जा रही है। इस और व्यापक कदम उठाने की जरूरत है। देश आजादी के 69 वां साल गिरह बना रहा था। तो मांडर के लोग शहीद आलबर्ट चौक पर अंधविश्वास के खिलाफ धरना दे रहे थे। मैं अकेली महिला हूं लेकिन डायन नहीं हूं। मैं विधवा हूं पर डायन नहीं हूं। मैं अपनी जिम्मेवारी समझती हूं तो क्या मैं डायन हूं? हमें आजादी चाहिए, अंधविश्वास से।नौजवान नारा लिखित नकाब पहने हुए थे। अपने हाथ से लोगों को नारों को पढ़ने का आग्रह कर रहे थे।

पति के मर जाने के बाद महिला अकेली हो जाती है। इसके बाद परिवार और समाज के लोग अत्याचार करने लगते हैं। घर में किसी तरह की संपत्ति में बंटवारा हो, इसकी साजिश परिवार वाले करने लगते हैं। परिवार वाले समाज वालों से सहयोग लेकर एकल महिला पर अत्याचार करने लगते हैं। इनको डायन घोषित करने से बाज नहीं आते हैं। तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता और जन प्रतिनिधियों के निकम्मेपन के कारण महिला पर अत्याचार होते रहता है। हालांकि कि सरकार ने कानून बना रखी है। इस कानून को पालन करवाने में खार्की वर्दीधारी भी पीछे रह जाता है। इस ओर साक्षरता अभियान चलाने की जरूरत है। लोगों के बीच में जागरूकता आने के बाद डायन घोषित कर महिलाओं की हत्या को रोका जा सकता है। अंधविश्वास प्रसार करने वाले भगत और भक्तिनी पर नजर रखने की जरूरत है। जो रोगी के परिवार के लोगों को बगल वाले पर इशारा करके शक पैदा कर देते हैं। इसी को आधार बनाकर रोगी के परिवार वाले महिला को जान मारने से डरते नहीं हैं। गांवघर में शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था दुरूस्त करने की भी जरूरत है।

आलोक कुमार 



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