
राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित डालफिन संरक्षण के निबंध प्रतियोगिता में देश में दूसरा स्थान प्राप्त कर बिहार का परचम लहराया।
राष्ट्रीय
स्तर पर आयोजित राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता में मध्य विघालय डुमरी के वर्ग सात के
छात्र सुनील कुमार और वर्ग छह की छात्रा रितु कुमारी शामिल हुए। राष्ट्रीय स्तर पर
दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले सुनील कुमार कहते हैं कि जब वह प्रतियोगिता हाल में
गया तो वहां पर पूरे देश के हाईप्रोफाइल स्कूलों से आये बच्चों को देख पहले तो डर
गया और जब सारे बच्चे अंग्रेजी में बात कर रहे थे तो रही सही हिम्मत भी जवाब देने
लगी।
वह आगे
बताते हैं कि प्रतियोगिता में शामिल होने से पहले ही वह हाल से निकल जाना चाहता
था। परन्तु शिक्षिका अनुपमा सिंह के काफी साहस देने के बाद वह प्रतियोगिता में
शामिल हुआ। और जब परिणाम सुना तो पहले तो उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसने पूरे
देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। आज वह हिम्मत से परिपूर्ण हो गया है।
शिक्षिका
अनुपमा सिंह कहती हैं कि सुनील और रितु .... तुम दोनों मेरी आँखों में जुगनू की तरह
झिलमिलाते उन हज़ारों सितारों में से हो जिसके लिए मेरे मन के हर कोने में असीम
स्नेह और दुलार है.. सचमुच.. 27 अगस्त को बाल
भवन में प्रतियोगिता कक्ष के सामने तुम्हारे चेहरे पर शिकन की रेखा देखकर कुछ पल
के लिए मेरा मन भी विचलित हो उठा था.. मन ही मन उस समय सरकारी स्कूलों के प्रति आम
धारणा में गहरे बैठ चुकी अव्यवस्था को जी भर कर कोसने लगी थी....।
कुछ पल के
लिए भूल ही गयी थी, कि अभी इस चकाचौंध भरे अनजान से
वातावरण में बड़े-बड़े निजी स्कूलों से आये फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते अपने समकक्ष
और ज्यादा प्रवीण प्रतीत हो रहे प्रतियोगी बच्चों को देख, अपने मन में उत्पन्न कुंठा, झिझक एवं भय को
जीत कर उनको पीछे छोड़ सकने के लिए तुम्हें सबसे ज्यादा मेरे सम्बल की जरूरत
है..मुझे स्मरण है कि किस मुश्किल से गुजरते हुए मैंने क्षण के सौवें हिस्से के
भीतर खुद को संभाल, तुम्हारे सर पर स्नेहाशीष भरा हाथ
रखकर तुम्हारी आँखों में विजय हासिल कर सकने की झलमिल सी उदास आशा को जीवन देने की
कोशिश की थी.. ओह.. तत्क्षण, तुम्हारी आँखों
में मुझे आश्वस्त करने की वो मौन अभिव्यक्ति मुझे कितनी खुशी दे गयी मेरे बच्चे कि
मैं बयां नहीं कर सकती..!! और वो परिणाम सुनकर हर्ष आह्लादित तुम्हारा विजय के
गर्व से दीप्त होकर दमकना मेरे जीवन के अनमोल पन्नों में सहसा ही आकर जुड़ गया और
कितना संतोष मुझे मिला ये भी बयां करना मुश्किल है..!! अभी तुम्हारे जीवन के
सहस्रों स्वप्न साकार होने हैं..!!तुम्हारे लिए उपलब्धियों का अनंत आकाश चूम लेने
की आखि़री जिद अभी पूरी करनी है....!!!

आलोक
कुमार
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