Saturday, 12 September 2015

राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित डालफिन संरक्षण के निबंध प्रतियोगिता में देश में दूसरा स्थान प्राप्त कर बिहार का परचम लहराया

बेगूसराय। पर्यावरण शिक्षण केंद्र, लखनऊ और वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा डालफिन संरक्षण विषय पर राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गयी। नयी दिल्ली के बाल भवन में डालफिन संरक्षण करने में जुड़े निजी और सरकारी स्कूलों के बच्चों ने भाग लिए। डुमरी स्थित मध्य विघालय डुमरी के छात्र सुनील कुमार ने

राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित डालफिन संरक्षण के निबंध प्रतियोगिता में देश में दूसरा स्थान प्राप्त कर बिहार का परचम लहराया। 

राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता में मध्य विघालय डुमरी के वर्ग सात के छात्र सुनील कुमार और वर्ग छह की छात्रा रितु कुमारी शामिल हुए। राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले सुनील कुमार कहते हैं कि जब वह प्रतियोगिता हाल में गया तो वहां पर पूरे देश के हाईप्रोफाइल स्कूलों से आये बच्चों को देख पहले तो डर गया और जब सारे बच्चे अंग्रेजी में बात कर रहे थे तो रही सही हिम्मत भी जवाब देने लगी।

वह आगे बताते हैं कि प्रतियोगिता में शामिल होने से पहले ही वह हाल से निकल जाना चाहता था। परन्तु शिक्षिका अनुपमा सिंह के काफी साहस देने के बाद वह प्रतियोगिता में शामिल हुआ। और जब परिणाम सुना तो पहले तो उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसने पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। आज वह हिम्मत से परिपूर्ण हो गया है।

शिक्षिका अनुपमा सिंह कहती हैं कि सुनील और रितु .... तुम दोनों मेरी आँखों में जुगनू की तरह झिलमिलाते उन हज़ारों सितारों में से हो जिसके लिए मेरे मन के हर कोने में असीम स्नेह और दुलार है.. सचमुच.. 27 अगस्त को बाल भवन में प्रतियोगिता कक्ष के सामने तुम्हारे चेहरे पर शिकन की रेखा देखकर कुछ पल के लिए मेरा मन भी विचलित हो उठा था.. मन ही मन उस समय सरकारी स्कूलों के प्रति आम धारणा में गहरे बैठ चुकी अव्यवस्था को जी भर कर कोसने लगी थी....।

कुछ पल के लिए भूल ही गयी थी, कि अभी इस चकाचौंध भरे अनजान से वातावरण में बड़े-बड़े निजी स्कूलों से आये फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते अपने समकक्ष और ज्यादा प्रवीण प्रतीत हो रहे प्रतियोगी बच्चों को देख, अपने मन में उत्पन्न कुंठा, झिझक एवं भय को जीत कर उनको पीछे छोड़ सकने के लिए तुम्हें सबसे ज्यादा मेरे सम्बल की जरूरत है..मुझे स्मरण है कि किस मुश्किल से गुजरते हुए मैंने क्षण के सौवें हिस्से के भीतर खुद को संभाल, तुम्हारे सर पर स्नेहाशीष भरा हाथ रखकर तुम्हारी आँखों में विजय हासिल कर सकने की झलमिल सी उदास आशा को जीवन देने की कोशिश की थी.. ओह.. तत्क्षण, तुम्हारी आँखों में मुझे आश्वस्त करने की वो मौन अभिव्यक्ति मुझे कितनी खुशी दे गयी मेरे बच्चे कि मैं बयां नहीं कर सकती..!! और वो परिणाम सुनकर हर्ष आह्लादित तुम्हारा विजय के गर्व से दीप्त होकर दमकना मेरे जीवन के अनमोल पन्नों में सहसा ही आकर जुड़ गया और कितना संतोष मुझे मिला ये भी बयां करना मुश्किल है..!! अभी तुम्हारे जीवन के सहस्रों स्वप्न साकार होने हैं..!!तुम्हारे लिए उपलब्धियों का अनंत आकाश चूम लेने की आखि़री जिद अभी पूरी करनी है....!!!

आगे कहती हैं कि जिनके प्रयत्नों से ये अवसर मिला, आभारी हूँ अजय कुमार पाण्डेय जी (जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्वशिक्षा अभियान बेगूसराय) का जिन्होंने अंतिम समय में प्रतियोगिता में शामिल होने हेतु विशेष उद्यम करके ये आदेश जारी किया जिससे हमारा ससमय दिल्ली पहुंच पाना सम्भव हो सका.. आभार जिलाधिकारी श्रीमती सीमा त्रिपाठी जी का जिन्होंने सफलता हासिल करने पर विशेष सन्देश भेज हमारा उत्साहवर्द्धन किया.. आभारी हूँ उन अभिभावकों का जिन्होंने संक्रमित समय में अपने बच्चों को काफी भरोसा करके मेरे साथ भेजा..आभार सभी शुभेच्छुओं और मीडियाकर्मियों का जिनके कारण इस परिलब्धि का गौरव और भी बढ़ गया.. और अंततः धन्यवाद विद्यालय परिवार के सभी सदस्यों का जिनके सहयोग के बिना यह संभव नहीं हो पाता..!!

आलोक कुमार



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