अपने-अपने घरों में नौकरी की खुशी का हनीमून खत्म भी नहीं हुई
20 फरवरी,2012 को विशेष प्रशिक्षण हेतु चयनित टोला स्वयं सेवकों को सेवामुक्त
पटना।
बिहार सरकार के द्वारा गाँवघर में ‘उत्थान केन्द्र’
सृजित किया गया। उत्थान केन्द्र के माध्यम से गाँवघर के 0 से 14 साल के बच्चांे
की देखभाल करने की जिम्मेवारी दी गयी। इन बच्चों को सुचारू ढंग से देखभाल करने के
लिए बिहार शिक्षा परियोजना के द्वारा 20 हजार टोला
स्वयं सेवकों का पद सृजन किया गया। वित्तीय वर्ष 2009-2010 और 2013-2014 में 19 हजार 419 टोला स्वयं सेवकों का चयन कर पद
स्थापन किया गया। शेष 581 का चयन नहीं
किया गया।
विशेष प्रशिक्षण हेतु चयनित टोला स्वयं सेवक सुधीर कुमार |
विशेष
प्रशिक्षण हेतु चयनित टोला स्वयं सेवक सुधीर कुमार बताते हैं कि उत्थान केन्द्र के
टोला स्वम सेवकों के अनुसार 2 हजार रू. का
मानदेय दिया गया। बिहार सरकार ने वर्ष 2009-2010 और 2013-2014 में चयनित 19 हजार 419 टोला स्वयं सेवकों को सम्मान दे रही
है। उनका मानदेय 8 हजार कर दिया गया है। 60 साल तक कार्य करते रहेंगे।
इस बीच
बिहार शिक्षा परियोजना के द्वारा वित्तीय वर्ष 2010-2011 में विशेष प्रशिक्षण हेतु 4 हजार टोला स्वयं
सेवकों का चयन किया गया।पश्चिमी चम्पारण, मधेपुरा,
पूर्णिया,पटना आदि जिले
में कार्य करने के लिए विशेष प्रशिक्षण हेतु चयनित टोला स्वयं सेवकों का चयन किया
गया। इनको एक दिवसीय गैर आवासीय प्रशिक्षण दिनांक 20 फरवरी,2011 को किया गया। इसी दिन यानी 20 फरवरी,2011 से कार्य शुरू
कर दिया गया। हमलोग पूर्ण तन्मयता से गांवघर के बच्चों को पोषण और शिक्षा की
व्यवस्था कराते रहे। बच्चों को 2 घंटे गांवघर में
पढ़ाने के बाद बच्चों को स्कूल ले जाते और स्कूल से घर ले आते हैं। इन बच्चों को
मिड डे मिल उपलब्ध करवाते।
अपने-अपने
घरों में नौकरी की खुशी का हनीमून खत्म भी नहीं हुई कि 20 फरवरी,2012 को विशेष प्रशिक्षण हेतु चयनित टोला
स्वयं सेवकों को सेवामुक्त कर दी गयी। केवल हमलोगों के साथ अन्याय किया गया है।
मात्र 1 साल कार्य करने के बाद सड़क पर खड़ा कर दिया
गया। उन्होंने कहा कि नौकरशाहों ने कहा कि अगले आदेश तक सेवामुक्त कर दी गयी है।
इस तरह साढ़े तीन साल से विशेष प्रशिक्षण हेतु चयनित टोला स्वयं सेवक सडक पर आ गए
हैं।हां, इतना करने के बाद भी हमलोगों के साथ अन्याय
किया गया। अगले आदेश को निर्गत करने वाले मसीहा की तलाश कर रहे हैं।
हमलोग 24 जुलाई से भूख हड़ताल पर हैं। कई बार जनता दरबार में गए।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते रहे कि आपलोग विशेष प्रशिक्षण हेतु चयनित टोला स्वयं
सेवकों को बहाल कर दें। खुद शिक्षा मंत्री और उनके नौकरशाह मुख्यमंत्री के आदेश के
बाद हां-हां में माथा हिलाते रहे। 27 अगस्त को
प्रदर्शन करते वक्त उमापति राम घायल हो गये। पुलिस की लाठी उमापति राम के सिर पर
लगी। पी.एम.सी.एच. में भर्त्ती हुए। वक्त की मांग है कि बिहार शिक्षा परियोजना के
अधिकारी विशेष प्रशिक्षण हेतु चयनित टोला स्वयं सेवकों के पक्ष में निर्णय लेकर
नौकरी में बहाल कर लें।
आलोक
कुमार
No comments:
Post a Comment