गरीबी के कारण बदल गया है लोगों का भोजन
सड़ा आलू |
पटना। आज विश्व खाद्य दिवस है।इस अवसर पर देश-विदेश-प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित किए गए। विशेषकर गरीबों की थाली में भोजन उपलब्ध कराने की चर्चा की गयी। इसके उलट गरीबों की थाली में भात,दाल और सब्जी नदारद है। गरीब पेट भरने का वैकल्पिक व्यवस्था कर लिए हैं। चूहा,मेढ़क,केकड़ा,सितूहा,घोंघा,मुर्गी की चमड़ी आदि खा रहे हैं। आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है। वहां पर आलू सड़ने लगता है। तो कोल्ड स्टोरेज के लोगों द्वारा सड़ा आलू को फेंक देते हैं। गरीब लोग उन सड़े आलू को घर में लाते हैं। उससे तरकारी बनाकर खाते हैं।
मुर्गी की चमड़ी |
दीघा थानान्तर्गत नाच बगीचा मुसहरी के बगल में कोल्ड स्टोरेज है। यहां पर किसान लोग आलू रखते हैं। बीच-बीच में आलू की देखभाल किया जाता है। जब आलू सड़ने लगता है तो अच्छे आलू को अलग कर सड़ा आलू को फेंक दिया जाता है। आजकल दोपहर में प्रत्येक दिन आलू फेंका जाता है। इस समय महादलित मुसहर समुदाय की महिलाएं और बच्चे आलू हासिल करने के लिए टूट पड़ते हैं। मारामारी की नौबत आ जाती है। जिसको जितना मिलता है हड़प लेते हैं। उसे घर लाकर धूप में सूखाने लगते हैं। उसी आलू को काटकर पकाकर खाते हैं।इसको खाकर पेट भर लेते हैं।
तो इस तरह केन्द्र सरकार के द्वारा अच्छे दिन लाया जा रहा है। आज भी लोग प्याज के आंसू गिराने को बाध्य हैं। इसके बाद दाल भी रूलाने लगी है। आखिर किस तरह गरीब और मध्ययम लोग जिन्दगी बिता पाएंगे? केन्द्र सरकार के मंत्री और उनके समर्थकों के द्वारा बीफ बैन लगाने पर ध्यान केन्द्रित कर रखे हैं। चिकित्सकों के द्वारा लोगों को ‘डायट’ के बारे में जानकारी दे रहे हैं। वहीं केन्द्र सरकार बीफ का आयात और निर्यात करने की दिशा में कदम नहीं उठा रही है।
आलोक कुमार, मखदुमपुर बगीचा, दीघा घाट,पटना।
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