Friday 3 June 2016

जब ईसाई परिवार के बच्चे और परिजन बिलबिलाने लगे


पटना। और मिशनरी स्कूलों में नामांकन करते समय में स्कूल के मुख्य नोटिस बोर्ड पर नोटिस चस्पा दिया जाता है कि स्कूल के सभी अहर्ताओं के रहते हुए ही सभी ईसाई बच्चे और अमुख स्कूल में कार्यरत कर्मियों के बच्चों को नामांकन में प्रमुखता दी जाएगी।वहीं 2 किलोमीटर की परिधि में रहने वाले बच्चों को प्रमुखता दी जाएगी। 33 प्रतिशत सीट बच्चियों के लिए सुरक्षित रहेगी।

जानकारी के अनुसार मिशनरी स्कूलों की तमाम अहर्ताओं को रखने के बाद भी मिशनरी स्कूलों में ईसाई परिवार के बच्चों का नामांकन नहीं हो पा रहा है। इसको लेकर ईसाई समुदाय में आक्रोश व्याप्त है। नामांकन नहीं होने से बिलबिलाने वाले बच्चों का कहना है कि अंकल हमलोगों ने बपतिस्मा संस्कार लिया है। पापस्वीकार संस्कार,परमप्रसाद संस्कार और दृढ़करण संस्कार भी ले रखा है। पल्ली में आयोजित धर्मशिक्षा की क्लास में शिरकत किये हैं। और तो और बेदी सेवक भी बने हैं। इतना करने के बाद भी मिशनरी स्कूलों में नामांकन नहीं हो पा रहा है। वहीं बच्चों के परिजनों का कहना है कि मिशनरी स्कूलों के बायलॉज में उल्लेख है कि अपने धर्म के अल्पसंख्यक बच्चों को नामांकन में प्रमुखता देंगे। नोटिस बोर्ड में भी चस्पा दिया जाता है। उस समय बहुसंख्यक कटाक्ष भी करते हैं कि ईसाई बच्चों को आसानी से नामांकन हो जाएगा। यहां यह बताना उचित है कि हमलोग पिंजरे की पक्षी है। हमलोगों का कोई दुख समझने वाले नहीं हैं। साहब, हमलोगों ने बपतिस्मा प्रमाण-पत्र और पल्ली पुरोहित की अनुशंसा-पत्र भी पेश किये हैं।बावजूद,इसके संत माइकल हाई स्कूल,लोयोला हाई स्कूल, नोट्रेडम एकेडमी आदि स्कूलों में नामांकन ही नहीं हो पा रहा है। अब जाएं तो जाएं कहां की स्थिति बन गयी है।

पटना महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष विलियम डिसूजा पहल करके बच्चों का नामांकन सुनिश्चित करें। इसमें पल्ली पुरोहित भी अहम भूमिका अदा कर सकते हैं। वहीं पल्ली परिषद के सलाहकार सदस्य दबाव डालकर बच्चों का नामांकन करा दें। ऐसा नहीं करने से ईसाई लोकधर्मियों के बीच में आक्रोश उत्पन्न होगा। जो भयानक रूप धारण कर सकता है।

बताते चले यह बीमारी प्रत्येक साल की है। मुखर लोगों के बच्चों का नामांकन नहीं होने पर सवाल उठाकर बवाल किया जाता है। सामान्य लोग तो औकांत समझकर हंगामा नहीं कर पाते हैं। इसका नतीजा सामने है। सभी ईसाई बच्चों का नामांकन होना जरूरी है। अगर स्कूल के अधिकारी चाहे तो ईसाई बच्चों को शिक्षा के अधिकार के घेरे में भी लेकर नामांकन करा सकते हैं। मगर बच्चों के धार्मिक ‘फादर’ नामांकन नहीं करवाना चाहते हैं। इसके चलने सांसारिक ‘फादर’ को दिक्कत हो रही है। यह ध्यान रखा जाये कि बाल्यावस्था में उत्पन्न समस्याओं का असर ताउम्र रह जाती है। इसके आलोक में बच्चों का नामांकन हो। वहीं कुछ साल पढ़ाने के बाद कमजोर साबित कर बच्चों को ड्रॉप आउट भी नहीं करें। संपूर्ण शिक्षा देने की जरूरत है।

आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।

No comments: