पटना। कुर्जी दियारा क्षेत्र में विस्थापितों को पुनर्वासित किया गया। पूर्व मध्य रेलवे परियोजना से विस्थापित लोगों को फोर लाइन बनने वाली जगह के बगल में बसाया गया। यहां पर हरेक साल गंगा बहती है। मामूली मिट्टी भराई करने के बाद जबरन बसा दिये गये। यह कहा गया कि आप लोगों को 42 लाख रू0की जमीन दे रहे हैं।
खैर, 5 जनवरी,2016 से विस्थापित बसने लगे। जो संभावना थी वह पूरी हो गयी। पुनर्वासित जमीन पर गंगा नदी का तांडव होने लगा। जिला प्रशासन के आदेश पर न्यू बिन्द टोली से लोग हटे। बाढ़ से विस्थापित कोई बिहार विद्यापीठ में, कोई कुर्जी मंदिर में, कोई अपार्टमेंट में और कोई जहां से विस्थापित होकर आये थे वहीं पर जाकर बांध पर रहने लगे। जिनके पास मवेशी था वे पशुपालक बिन्द टोली में ही रह गये।
बिहार विद्यापीठ में रामप्रवेश महतो रहते हैं। इनके पास 6 लड़की और 1 लड़का साथ रहते हैं। धर्मपत्नी भी रहती हैं। बाढ़ पीड़ित रामप्रवेश महतो मजदूरी करने निकले थे। ईट ढोने के कार्य में ईट हटाने के दरम्यान करैत सांप ने डंस लिया। बिहार विद्यापीठ में है चिकित्सा शिविर। यहां के चिकित्सक डा0 ए0 के0 झा ने रामप्रवेश को पीएमसीएच रेफर कर दिये। वहां इलाज किया गया। 24 घंटे निगरानी में रहना था। मगर कुछ ठीक होने के बाद रामप्रवेश भाग खड़ा हुए। वृहस्पतिवार को देह कालापन और मदहोशी आने पर पीएमसीएच में भर्त्ती किया गया। इसके बाद घर जाने की इजादत दी गयी। अभी बेहतर महसूस कर रहे हैं।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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