Wednesday 22 March 2017

आखिरकार 636 के बाद लक्खी कुमार मिला


पटना। दीघा थानान्तर्गत दीघा मुसहरी में रहने वाले मारूति मांझी और सुनीता देवी के पुत्र लक्खी कुमार (4 साल) लापता हो गया। इस बाबत दीघा थाने में 20 मई, 2015 को लापता लक्खी कुमार के बारे में सूचना दी गयी। पुनः 12 दिसम्बर,2015 को थाना में लिखित शिकायत की गयी । तब भी थानाध्यक्ष ने रिश्तेदारों के पास जाकर खोजने की सलाह दी। अपना घर से 636 दिनों के बाद 15 फरवरी, 2017 को लक्खी कुमार बरामद हो सका। 

सुनीता देवी कहती हैं कि जानकारी मिलने के बाद अपना घर गये। आरंभ में लक्खी कुमार ने मां सुनीता देवी और पिता मारूति मांझी के साथ घर जाने से इंकार कर दिया। 3 दिन साथ में रहने के बाद घर आने को राजी हो गया। अब वह घर आ गया है। मगर व्यवहार में काफी अंतर है। हिंसक प्रवृति का हो गया है। बात-बात में अश्लील बातों का बौछार करने लगता है। इस बीच दीघा मुसहरी के पुराने दोस्तों के साथ हिलमिल गया है। उनके साथ बैठकर बातचीत और खेलता भी है। 

इस तरह है संपूर्ण मामलाः पटना नगर निगम के नूतन राजधानी अंचल के वार्ड नम्बर-1 पड़ता है दीघा मुसहरी। काफी संख्या में महादलित मुसहर समुदाय के लोग रहते हैं। यहां पर पटना-दीघा रेलखंड के दीघा हॉल्ट है। शहीद सवारी गाड़ी नामक रेलगाड़ी पटना घाट से चलकर दीघा घाट आती है। इस हॉल्ट पर बच्चे खेलते हैं। शहीद सवारी गाड़ी से अज्ञात व्यक्ति 20 मई, 2015 को उतरा। समय सुबह 10 बजकर 30 मिनट का होगा। उसने बच्चों को चॉकलेट खिलाया और अधिक चॉकलेट खिलाने के बहाने मारूति मांझी और सुनीता देवी के पुत्र लक्खी कुमार (4 साल) और स्व. नन्की मांझी और रिंकु देवी के पुत्र बैजू कुमार (7 साल) झांसा में आ गया। जब गाड़ी जाने लगी तो अज्ञात व्यक्ति के साथ लक्खी कुमार और बैजू कुमार साथ चले गये। उसी दिन जाकर दीघा थाने में सूचना दी गयी। 636 दिनों के बाद लक्खी मिला।अपना घर में एक व्यक्ति गया था। उससे लक्खी कुमार ने आपबीती बतायी थी। तब जाकर परिजनों को जानकारी मिली।

672 दिनों के बाद भी बैजू नहीं मिलाः जी हां, आज 22 मार्च,2017 है। रिंकु देवी का लाल बैजू कुमार 672 दिनों के बाद भी नहीं मिला। ममतामयी मां काफी परेशान हैं। पड़ोसी के पुत्र मिल जाने से विश्वास कर रही हैं कि उसका भी पुत्र मिल ही जाएंगा। अब देखना है कि उसे कितने दिनों तक धीरज रखना पड़ेगा। इस बाबत दीघा पुलिस और लापता/लावारिश बच्चों को रखने वाले भी बच्चों के परिजनों की खोजबीन नहीं करते हैं। जिसके कारण उन घरों में बच्चे बिलबिलाते रहते हैं। 

आलोक कुमार

No comments: