Sunday 19 March 2017

तू मिट्टी हो और मिट्टी में मिल जाओंगे

पटना। मानुष! तू मिट्टी हो और मिट्टी में मिल जाओंगे। यह कथन भी संतोष राज के साथ हुआ। शनिवार 18 मार्च,2017 को मौत के मुंह में समा गये। रविवार 19 मार्च,2017 को कुर्जी कब्रिस्तान में दफन कर दिये गये। इस मौत से सवाल उत्पन्न होने लगा है? बालूपर कुर्जी में रहने वाले संतोष राज के पिताश्री स्व0 राजकुमार कार्यरत थे नवज्योति निकेतन में और माताश्री मटिल्डा राज कार्यरत थीं कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में। नवज्योति निकेतन और कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल के फादर और सिस्टरों का दर्शन ही नहीं हुआ। दोनों स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधि भी नहीं आयें। वहीं संत विन्सेंट डी पौल समाज के कर्ताधर्ता भी नहीं आये। इससे साफ जाहिर होता है कि जनता के बीच से हाशिए पर चले गये हैं।

नवज्योति निकेतन और कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में कार्य करने वाले पिता स्व0 राजकुमार और माता मटिल्डा राज के परिवार लोग गरीबी से लड़ने लायक नहीं बन सके। इसका नतीजा सामने हैं कि 40 वर्षीय संतोष राज की मृत्यु हो गयी। वह बिस्तर का पर्याय बन गया था। शरीर के कई हिस्सों में बेड सोर ( बिस्तरी घाव) हो गया। समुचित इलाज नहीं हो सका।

खैर, कहा जाता है कि संत विंसेंट डी पौल समाज के द्वारा घर और अस्प्ताल में जाकर लोगों से अभ्यागमन किया जाता है। स्थिति के अनुसार मदद करते हैं। जो इस समय नहीं हो रहा है। चर्चा यह है कि प्रत्येक रविवार होने वाली बैठक भी बंद है। संत विंसेन्ट डी पौल समाज कागज पर ही चल रहा है। किसी तरह की गतिविधि देखने को नहीं मिलती है। केवल क्रिसमस के अवसर पर ही गरीब याद आते हैं। उनको सामूहिक भोजन कराकर रस्म अदायगी कर दी जाती है।

आज रविवार को कुर्जी चर्च में फादर सुशील साह ने मिस्सा अर्पित किये। मिस्सा के बाद कुर्जी कब्रिस्तान में संतोष राज का दफन कर दिया गया। इस अवसर पर फादर जोनसन भी उपस्थित थे। फादर जोनसन को भी सोचना चाहिए कि केवल धार्मिक दायित्व निभाने से कार्य नहीं होगा। सामाजिक और आर्थिक कार्य करने की भी जरूरत है। ऐसे अनेक लोग होंगे जो गरीबी के दलदल में फंसे हैं। उनको गरीबी में राहत पहुंचाने की जरूरत है। केवल पल्ली परिषद के सदस्यों को प्रमाण-पत्र निर्गत करने वाली अनुशंसा नहीं चाहिए बल्कि उनके आदेश को भी अमल करने की जरूरत है।



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आलोक कुमार


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