पटना। दीघा थानान्तर्गत मखदुमपुर बगीचा में रहते हैं दिव्यांग विक्टर केरोबिन। पहले यह क्षेत्र दीघा
ग्राम पंचायत में था। अब पटना नगर
निगम के नूतन राजधानी
अंचल में है। वार्ड नम्बर- 22 ए है।दिव्यांग विक्टर
केरोबिन ने आपबीती बयान
किया और 20 दिसम्बर,2016 को बिहार मानवाधिकार
आयोग से कहा गया
कि ‘दिव्यांग को सामाजिक सुरक्षा
पेंशन में विलम्ब होने पर प्र्र्रस्ताव पारित
करें। बिहार मानवाधिकार आयोग से 80 दिनों के बाद मोबाइल
पर 1 मार्च को मैसेज आया।
आवेदक प्राप्तांक 30253/2016 है। केस नम्बर- सीओएमपी/300/2017 है। माननीय चेयरपर्सन जस्टिस बिलाल नजकी के बेंच में
है।
आवेदन के विषय के
आलोक में कहना है कि मैं
विक्टर केरोबिन हूं। स्व0 केरोबिन सोलोमन के पुत्र हूं।
इस समय गांव मखदुमपुर बगीचा,शिवाजी नगर,(रामस्वरूप ठेकेदार के मकान के
सामने ), पो0दीघा घाट,
थाना दीघा, पंचायत पश्चिमी दीघा, प्रखंड पटना सदर,जिला पटना और बिहार का
निवासी हूं। मेरा आधार संख्या 3801 2000 6204 है। निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देकर
दिव्यांग को सामाजिक सुरक्षा
पेंशन में विलम्ब होने पर प्रस्ताव पारित
करने का कष्ट करेंगे।
01.04.1986 सामाजिक
सुरक्षा पेंशन की स्वीकृति। लेखा
संख्या 1102/1986-87 है। 16 साल मिलने के बाद 2002 में
बंद कर दिया गया।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन की पुस्तिका खो
जाने से बंद कर
दिया गया। सामाजिक सुरक्षा पेंशन की पुस्तिका की
छाया प्रति उपलब्ध है। 18 मार्च 2010 में जिलाधिकारी पटना को सामाजिक सुरक्षा
पेंशन चालू करने का आग्रह स्वरूप
आवेदन दिया गया। जिलाधिकारी महोदय के कार्यालय से
राज्यकर्मी घर पर आये।
आवेदन और उपलब्ध सामाजिक
सुरक्षा पेंशन की पुस्तिका की
छाया प्रति के आधार पर
पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत अन्तर्गत वार्ड नम्बर 13 की वार्ड सदस्य
गुड़िया देवी को निर्देशित किया
कि पश्चिमी दीघा ग्राम पंचायत की मुखिया ममता
देवी जी के पास
जाकर दिव्यांग को सामाजिक सुरक्षा
पेंशन शुरू करा दें। मगर वार्ड सदस्य गुड़िया देवी ने किसी तरह
का कदम नहीं उठाया।
पटना से प्रकाशित साप्ताहिक
विवरण टाइम्स ने दिव्यांग विक्टर
केरोबिन के बारे में
‘ शारीरिक चुनौती झेलने वाले विक्टर केरोबिन को मिला 16 साल
पेंशन’,
वह 14 साल से महज पेंशन
पुस्तिका नष्ट हो जाने से
पेंशन लेने से महरूम हो
रहा है, वार्ड संख्या 13 की वार्ड सदस्या
गुड़िया देवी ने जिलाधिकारी कार्यकर्मी
के गुप्त मंत्रणा को पालन नहीं
की। सब टाइटल्स से
सचित्र समाचार प्रकाशित 19 से 25 अप्रैल 2015 अंक में प्रकाशित किया।
काफी इतंजार करने के बाद पेंशन
शुरू नहीं होने पर 27.05.2015 को अनुमंडल पदाधिकारी
महोदय को आवेदन दिया
गया। उनको 18 मार्च 2010 को जिलाधिकारी महोदय
के पास प्रेषित आवेदन की छाया प्रति
संलग्न किया गया। इसके अलावे उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा पेंशन की पुस्तिका की
छाया भी आवेदन के
साथ लगाया गया। दुर्भाग्य से कार्यालय से
रिस्पोंस नहीं मिला।
बिहार में लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत 7 जून
2016 को दिव्यांग विक्टर केरोबिन ने आवेदन दिया।
सभी तरह की प्रतिलिपि संलग्न
किया गया। विभागीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी का कार्यालय समाज
कल्याण विभाग ने इंदिरा भवन
में कहा कि बिहार लोक
शिकायत निवारण अधिकार के तहत सामाजिक
सुरक्षा पेंशन की स्वीकृति/अस्वीकृति
करने का अधिकार अनुमंडल
अधिकारी को दिया गया
है।
विभागीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी महोदय ने स्पष्ट रूप
से कहा कि दिव्यांग विक्टर
केरोबिन को सामाजिक सुरक्षा
पेंशन मिलने के बाद बंद
कर दिया गया है। उसे तत्काल अनुमंडल पदाधिकारी दिलवाने में सक्षम हैं। उनके स्पष्ट उक्ति के आलोक में
21 07. 2016 को माननीय अनुमंडलाधिकारी महोदय,पटना सदर को आवेदन दिया
गया। अनुमंडलाधिकारी महोदय,पटना सदर कार्यालय ने प्रखंड विकास
पदाधिकारी,पटना सदर को अनुशंसा करके
पत्र प्रेषित किया।
प्रखंड विकास पदाधिकारी,पटना सदर कार्यालय कर्मियों का कहना है
कि दिव्यांग विक्टर केरोबिन की फाइल उपलब्ध
नहीं है। अंतिम भुगतान की तिथि वाले
फाइल की बात कर
रहे थे। यहां प्रेषित अंतिम भुगतान को मान्ययता नहीं
दिये। इस संदर्भ में
बीडीओ ने फाइल खोजवाने
की बात कहे। मगर ऐसा नहीं किये। तब जाकर कार्यालय
कर्मियों ने कहा कि
नये सिरे से आवेदन प्रेषित
करना होगा।
विकलांग पंजीयन आवेदन-पत्र पर प्रखंड विकास
पदाधिकारी महोदय ने 14.10.2016 को हस्ताक्षर किये।
इसके बाद न्यू गार्डिनर अस्पताल में विकलांग पंजीयन आवेदन-पत्र को प्रमाण- पत्र
निर्गत करने का आवेदन जमा
किया गया। कुछ जानकारी लेकर दिव्यांग विक्टर केरोबिन को क्षेत्रीय विकलांग
संयोजित पुनर्वास केन्द्र,विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग,भारत सरकार के पास अग्रसारित
कर दिया।
क्षेत्रीय विकलांग संयोजित पुनर्वास केन्द्र,विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग,भारत सरकार के कार्यालय में
200 रू0 लिया गया। यहां पर कार्यरत फिजियोथेरापीस्ट
ने दिव्यांग को देख और
पूछताछ करके संबंधित अस्पताल को विकलांग प्रमाण
-पत्र निर्गत करने की अनुशंसा 21 नवम्बर
2016 को कर दिया।
क्षेत्रीय विकलांग संयोजित पुनर्वास केन्द्र,विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग,भारत सरकार के कार्यालय में
कार्यरत फिजियोथेरापीस्ट की अनुशंसा पत्र
को न्यू गार्डिनर अस्पताल के कार्यालय में
दिया गया। जो 19 दिसम्बर को निर्गत किया।
विक्टर केरोबिन को स्थायी विकलांगता
है। चिकित्सकों के दल ने
40 प्रतिशत विकलांगता घोषित किये हैं।माननीय अध्यक्ष महोदय, बिहार मानवाधिकार आयोग के कार्यालय में
20 दिसम्बर 2016 को आवेदन पेश
किया गया।
आलोक कुमार
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