Thursday 9 March 2017

गरीबी के दलदल में फंसने के कारण इलाज करवाने में अक्षम


पटना। पटना जिले के असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी हैं डाक्टर गिरीन्द्र शेखर सिंह। अंग्रेजी में सिविल सर्जन भी कहा जाता है। इनके पास स्व0 राजदेव मांझी की विधवा धर्मेन्दरी देवी ने 27 फरवरी,2017 को आवेदन दी थीं। आवेदन में विधवा धर्मेन्दरी देवी ने लिखी थीं कि हमलोग पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर-19 अन्तर्गत यारपुर मुसहरी में रहते हैं। मेरे छोटका बेटा चिंटू कुमार को किडनी के ऊपर झिल्ली हो गयी है। हमने अपने प्रयास से इलाज कराएं हैं। गरीबी के दलदल में फंसने के कारण इलाज करवाने में अक्षम साबित हो रही हूं। इसके आलोक में सरकार की ओर से इलाज की व्यवस्था कर दी जाए।

इस आवेदन के आलोक में सिविल सर्जन डाक्टर गिरीन्द्र शेखर सिंह ने निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य विभाग,बिहार,पटना के पास पत्रांक 1951 दिनांक 03.03.2017 के माध्यम से कहा है कि स्व0 रामदेव मांझी, की विधवा धर्मेन्दरी देवी, यारपुर मुसहरी,पटना के पुत्र चिन्टू कुमार से प्राप्त आवेदन एवं चिकित्सा पूर्जा की प्राप्त मूल प्रति संलग्न कर आपके पास सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्रवाई हेतु प्रेषित है।

अब देखना है कि चिन्टू कुमार को गोदी में बैठाने वाली धमेन्दरी देवी के रोगग्रस्त पुत्र की सुधि सरकारी अधिकारी किस तरह से ले रहे हैं। असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के लेखा विभाग के बड़ा बाबू का कहना है कि संभवतः बीपीएल कार्ड और आवासीय प्रमाण-पत्र की मांग होगी। इसके बाद निदेशक प्रमुख की बैठक होगी। इसमें तय करके राशि चिन्टू कुमार के नाम से राश्ज्ञि आवंटित की जाएगी। इसी राशि से इलाज होगा।


आलोक कुमार

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