फिलहाल, 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में कांग्रेस के 19 विधायक हैं. जबकि, जदयू के 43 विधायक हैं. इसके अलावा राजद के सदस्यों की संख्या 79 और सीपीआई एमएल के 12 विधायक हैं. इनके अलावा सीपीआई और सीपीआई (एम) के दो-दो सदस्य, जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के चार और निर्दलीय विधायक है. जबकि, सीट खाली है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में बीजेपी के नेताओं का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी,लालकृष्ण आडवाणी और जौर्ज फर्नांडिस के द्वारा 1996 में निर्मित एनडीए के द्वारा नीतीश कुमार सीएम छह बार और महागठबंधन के द्वारा दो बार सीएम बने हैं.कुल मिलाकर आठ बार सीएम की शपथ ले चुके हैं. महागठबंधन से दो बार उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव बने हैं.
एनडीए से महागठबंधन में आने में जो कुछ भी हुआ वो ऑपरेशन लोटस से कितना अलग है! न कैश पकड़ा गया, न ईडी की छापेमारी हुई.न असम के सीएम की जरूरत पड़ी, न रिजॉर्ट की.सब कुछ सभ्य तरीके से हुआ.सीएम को सबसे बड़ी पार्टी और अन्य दलों का समर्थन मिला. महाराष्ट्र में बीजेपी ने दलबदल किया, बिहार में उसे बेदखल कर दिया गया.
नीतीश कुमार के मंगलवार यानी 9 अगस्त को इस्तीफा देने बाद 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. पटना स्थित राजभवन में राज्यपाल फागू चौहान ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.उनके साथ राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव ने भी मंत्री पद की शपथ ग्रहण की है. वे दूसरी बार राज्य के डिप्टी सीएम बने हैं. शपथ लेने के बाद तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पैर छूकर आशीर्वाद लिया.उन्होंने नीतीश कुमार से हाथ भी मिलाया. अभी केवल नीतीश और तेजस्वी ने ही शपथ ली है. बिहार सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार बाद में किया जाएगा.इस मौके पर तेजस्वी यादव अपनी पत्नी राचेल उर्फ राजेश्वरी यादव से साथ पहुंचे. नीतीश कुमार सबसे पहले साल 2000 में सात दिन के मुख्यमंत्री बने थे. जिसके बाद 22 साल के सफर में वह अब तक एनडीए के द्वारा छह बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं.दो बार महागठबंधन के द्वारा शपथ ली है.
बीजेपी और एनडीए से अलग होकर नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव और राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन के समर्थन से आठवीं बार बिहार के सीएम पद की शपथ ली तो इस मौके पर पुराने गिले-शिकवे भी भुला दिए गए. शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचीं तेजस्वी यादव की मां और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार के सवाल पर कहा कि ' सब माफ है.'
नीतीश कुमार का 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना अपने आप में ही एक बड़ा रिकॉर्ड है. देश के सबसे लंबे समय तक सीएम रहने वाले कोई भी इतनी बार शपथ नहीं ले पाए हैं.बता दें कि 2015 के चुनाव में वह आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़े और इस महागठबंधन को बड़ी जीत हासिल हुई. आरजेडी ने जेडीयू की सीट कम होने के बाद भी मुख्यमंत्री का पद नीतीश कुमार को सौंपा और पांचवी बार मुख्यमंत्री बने.
नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार में उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद साल 2017 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, कुछ देर के भीतर ही बीजेपी के समर्थन से एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए. नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक चुनौती के तौर पर देखने वाले लोगों ने नीतीश कुमार के इस कदम विपक्षी गठबंधन की एकता को तगड़ा झटका लगा था.
नीतीश ने बीजेपी के साथ बाकी बचे ढाई साल का कार्यकाल पूरा किया और फिर 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी व जेडीयू मिलकर चुनाव लड़ी. इस चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी रही. इसके बाद भी बीजेपी ने उन्हें ही मुख्यमंत्री का पद दिया. 2022 में इतिहास फिर से दोहराया गया और अब नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़कर आरजेडी और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने जा रहे हैं.
बिहार में महागठबंधन की नई सरकार बन चुकी है.नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली है. शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भारी संख्या में आरजेडी कार्यकर्ता राजभवन के बाहर जुटे हुए थे.तेजस्वी की ताजपोशी होने के बाद उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव जब राजभवन से बाहर निकले तो उन्होंने अपने पिता और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को वीडियो कॉल किया और जनता का दर्शन कराया.
बताते चले कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा बीजेपी के विधायक हैं और मार्च के महीने में सीएम नीतीश कुमार से सदन के अंदर उनकी तीखी बहस हो गई थी. विजय सिन्हा लखीसराय से ताल्लुक रखते हैं और वहीं के एक पुलिस केस को लेकर सदन में सवाल-जवाब ने ऐसा रूप ले लिया कि नीतीश ने आपा खो दिया और स्पीकर को भी संविधान की याद दिलाने लगे.वहीं दूसरी ओर भाजपा नेता राम नारायण मंडल की अध्यक्षता वाली विधानसभा की आचार समिति के सदस्यों ने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से मुलाकात की और रिपोर्ट सौंपी.रिपोर्ट पिछले साल मार्च की एक घटना के बारे में थी जब विपक्षी राजद विधायकों ने अध्यक्ष को बंधक बना लिया था और पुलिस को बुलाया गया था. सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट में करीब 18 विधायकों के बारे में बताया गया है.
राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि राजद, जदयू, कांग्रेस, माले, सीपीआई, सीपीएम और हम ने स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि जब भाजपा सरकार में नहीं है और एनडीए सदन का विश्वास खो चुका है तो फिर श्री सिन्हा का विधानसभा अध्यक्ष बने रहना उचित नहीं.
इसके पहले सुबह में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सभी सहयोगी दलों के नेताओं के साथ विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव देने पर विचार-विमर्श किया.अंत में उनमें इस पर सहमति बनी. इसके बाद प्रस्ताव की कॉपी तैयार कर उन पर सबके हस्ताक्षर लिए गए. सचिव को सौंपी गयी.
अविश्वास प्रस्ताव के तहत अब विजय कुमार सिन्हा को अध्यक्ष के रूप में अपना पद बरकरार रखने के लिए विधानसभा के अंदर बहुमत साबित करना होगा. यदि उनके पास पर्याप्त संख्या नहीं है, तो उन्हें पद से इस्तीफा देना होगा.बता दें कि वर्तमान समय में, भाजपा के पास 77 विधायक हैं, जो विजय सिन्हा के लिए विधानसभा अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.इस बीच बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी, अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष सिसिल साह ने महागठबंधन के बैनर तले नीतीश कुमार जी आठवीं बार बिहार का मुख्यमंत्री तथा तेजस्वी यादव जी का उपमुख्यमंत्री बनने पर हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बधाई दी है.
सिसिल साह ने बिहार में महागठबंधन को मजबूती देने के लिए मा० सोनिया गांधी जी, राहुल गांधी जी, बिहार प्रभारी भक्त चरण दास जी, प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा जी समेत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी बधाई दी है.
सिसिल साह ने आगे कहा कि नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनने से प्रदेश के अल्पसंख्यक खासकर ईसाई समुदाय के लोग गौरवान्वित महसूस कर रहा है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार अच्छे तरीके से अपना कार्यकाल पूरा करेगी और प्रदेश का चहुंमुखी विकास होगा.
राजद नेता पप्पू राय,उमेश कुमार,धमेंद्र,धमेंद्र यादव आदि ने बिहार में साम्प्रदायिक शक्तियों को परास्त करने में हिम्मत दिखाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव को बधाई और शुभकामनाएं दी है.यह आशा व्यक्त किये कि महागठबंधन की राह पर चलकर अन्य प्रदेश के नेता भी साम्प्रदायिक शक्ति को परास्त करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाएंगे.
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