990 मनरेगा मेट में 80 फीसदी वंचित समुदाय से
जहानाबाद।
जहानाबाद जिले के
जिलाधिकारी,पूअरेस्टर एरिया सिविल
सोसायटी और प्रगति
ग्रामीण विकास समिति के
साथ मनरेगा मेट
बनाने को लेकर
हस्ताक्षर किया गया।
इस तरह लगातार
सालभर की मेहनत
शिखर पर चढ़
गया।
केरल की सीख से बिहार में मनरेगा मेट बनाओ अभियान-
प्रधान
मंत्री विकास योजना को
नक्सल प्रभावित क्षेत्र
में जोरदार ढंग
से धरती पर
उतारने के लिए
आनंद और प्रियंका
को जहानाबाद में
नियुक्त किया गया
है। दोनों ने
मिलकर जहानाबाद में
शानदार कार्य कर रहे
हैं। केरल से
आनंद आए हैं।
मनरेगा 2006 के तहत
केरल में बेहतर
ढंग से काम
हो रहा है।
यहां जन प्रतिनिधि
शिक्षित और जागरूक
हैं। छोटे से
छोटे ग्राम पंचायत
में मुखिया चार
करोड़ तक की
राशि की योजना
बनाकर केन्द्र सरकार
से रकम ले
रहे हैं। यहां
पर मनरेगा को
प्रभावशाली बनाने के लिए
महिलाओं को मनरेगा
मेट बनाने की
चुनौती ली गयी।
यह बहुत ही
सफल रहा। बिहार
में मनरेगा मेट
बनाओ अभियान शुरू
करने का निश्चय
किया गया। जहानाबाद
के जिलाधिकारी के
द्वारा आनंद को
सहयोग मिला। तब
जाकर आनंद सफल
हो सके।
जहानाबाद जिले के पूर्व जिलाधिकारी ने किया शुरूआत-
पूर्व
जिलााधिकारी बालामुरूगन डी ने
मनरेगा मेट बनाओ
अभियान को साल
2012 में जहानाबाद में लागू
करने का मन
बनाया था। इसमें
आनंद का सहयोग
लिया गया। उसने
डीएफआईडी पैक्स को अधिकृत
किया गया। पैक्स
के राजपाल और
आरती ने मिलकर
प्रगति ग्रामीण विकास समिति
को कार्यारंभ करने
का दायित्व दिया।
प्रगति ग्रामीण विकास समिति
के सचिव प्रदीप
प्रियदर्शी ने इस
ऑफर को स्वीकार
किया। मनरेगा मेट
बनाओ अभिायन में
महिलाओं को अधिकाधिक
सहभागिता सुनिश्चित करना है।
इसको मूर्तरूप दे
दिया गया है।
डी.एम.का हस्तान्तरण होने से फर्क नहीं पड़ा-
बिहार
सरकार के द्वारा
मनरेगा मेट बनाओ
अभियान में महिलाओं
को शामिल करने
के बारे में
सोचन वाले डीएम
बालामुरूगन डी को
गया जिले के
डी.एम.नियुक्त
कर दिया। खुशी
की बात है
कि जहानाबाद में
ही रहकर आनंद
कार्य करते रहे
और अपने उद्देश्य
को लागू करने
में पीछे नहीं
हटें। उन्होंने पूर्ण
मुस्तैदी से वर्तमान
डी.एम.को
विश्वास में लेने
में सफल हो
गये। दोनों विश्वास
के बंधन में
शामिल होकर मकसद
को आगे बढ़ाते
चले गये। सालभर
के प्रयास के
बाद 6 अगस्त,2013 को
एमओयू पर हस्ताक्षर
किया जा सका।
इसके साथ ही
जहानाबाद जिले में
मेट बनाने का
नयापन कार्य शुरू
हो गया।
इस जिले में कार्यरत पैक्स की सहयोगी संस्था काम का अंजाम देंगे-
अभी
जहानाबद जिले में
पैक्स की सहयोगी
संस्था प्रगति ग्रामीण विकास
समिति, सेन्टर फोर अल्टरनेटिव
मीडिया कदम, मुजफ्फरपुर
विकास मंडल और
प्रयास ग्रामीण विकास समिति
कार्यरत हैं। इनके
द्वारा 43 पंचायतों के 143 गांवों
में कार्य किया
जाता है। इनके
सहयोग से मनरेगा
मेट बनाओ अभियान
चलाया जाएगा। 11 माह
के अंदर 990 महिला
मेट बनाना है।
सर्वप्रथम गांवघर से संचालित
ग्राम ईकाई, महिला
बचत समूह आदि
जन आधारित संगठन
सीबीओ का चयन
किया जाएगा। इनको
प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रशिक्षण के दौरान
प्रभावशाली महिलाओं का चयन
किया जाएगा। इनको
प्रशिक्षण देने के
लिए प्रशिक्षकों का
प्रशिक्षण दिया जाएगा।
जो 990 महिला मेट को
समय-समय पर
प्रशिक्षित करेंगे। इन मेट
को मिलाकर राज्य
स्तरीय सम्मेलन किया जाएगा।
इनके कंधे पर है मनरेगा मेट बनाओ अभियान-
गैर
सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण
विकास समिति के
सचिव और पैक्स
की परियोजना पदाधिकारी
आरती ने मिलकर
रंजन प्रसाद को
जिला समन्वयक मनोनीत
किया। इसके अलावे
ब्रजेश यादव को
रिसोर्स ऑसिसर बनाया गया
है। जहानाबाद सदर
प्रखंड की जिम्मेवारी
दिनेश कुमार को
दिया गया है।
शैल देवी को
रतनी प्रखंड, ज्योति
कुमारी काको प्रखंड,
ममता कुमारी हुल्लासगंज
प्रखंड, स्वर्ण लता सिन्हा
को मोदनगंज और
संगीता कुमारी को घोषी
प्रखंड की जिम्मेवारी
दी गयी है।
प्रथम चरण में
450 मेट बनाएंगे।
आखिर मनरेगा में महिला मेट क्यों जरूरी?
यह
सोच है कि
अगर महिला काम
करेगीं तो काम
का दाम सीधे
परिवार को मिलेगा।
महिला मेट बनने
से महिलाओं के
बारे में मेट
सोचेंगी और समझेंगी।
जन प्रतिनिधि और
पदाधिकारियों के समक्ष
महिला की समस्याओं
को रखेंगी। अनपढ़
महिलाओं का आवेदन
लिखेंगी। एक प्रति
पीआरएस को एक
प्रति देकर दूसरे
प्रति पर हस्ताक्षर
करवाकर रखेंगी। अगर 15 दिनों
के अंदर मनरेगा
में काम नहीं
मिलता है तो
बेरोजगारी भत्ता के लिए
आवेदन पेश करेंगी।
महिला मेट की
नेतृत्व क्षमता विकसित होगा।
हां, यह सुनिश्चित
करना है कि
80 फीसदी महिला मेट वंचित
समुदाय से ही
हो। दलित,मुस्लिम
और विकलांग को
प्राथमिकता दी जाएगी।
20 फीसदी महिला मेट पिछड़ी
जाति से हो
सकती हैं।
मुखिया पति की तरह मेट पति को बर्दाश्त नहीं करेंगे-
एसपी
सचिव पति,डब्ल्यूपी
वार्ड पति,एमपी
मुखिया पति आदि
की तरह मनरेगा
में एमपी मेट
पति को बर्दाश्त
नहीं किया जाएगा।
इसे मुस्तैदी से
लागू किया जाएगा।
गांवघर में महिलाओं
की वास्तविक नाम
रसातल में चला
जाता है। मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार के
गृह क्षेत्र नालंदा
जिले के कमता
पंचायत के कमता
गांव में स्थित
मुसहरी में खाना
खाते समय अजम
हो गया। खाना
खिलाने बैठे धर्मेन्द्र
मांझी ने हां
में हां मिलाने
के क्रम में
अपनी बीबी से
कहा कि यह
सही है न
मझली। तपाक से
सवाल किया गया
कि मझली कौन
हैं? धर्मेन्द्र मांझी
का कहना था
कि हम परिवार
में मझला हैं।
तो मेरी पत्नी
मझली हो गयी।
सभी लोग उपनाम
से ही पुकारते
है। संजय की
माई, बगही बोलने
वाली, पटनइया बहु
आदि पुकारे जाते
हैं। अब मनरेगा
में उपनाम चलन
नहीं होगा।
आलोक कुमार