Wednesday 18 September 2013

श्रीगणेश जी की पत्नी अकली देवी के मरने के बाद बेटी पत्नी बनकर राशि प्राप्त की


बी.पी.एल.में एक समान स्कोर वाले को इंदिरा आवास योजना की राशि मिल
बस टुकुर-टुकुरअनीता देखती ही रह गयीं
गया। महादलित मुसहर समुदाय के श्रीगणेश भुईया की पत्नी अकली देवी की असामयिक मौत हो गयी। वह आजीवन झोपड़ी में ही रही। इंदिरा आवास योजना की राशि मिले। इसके लिए भागदौड़ भी की थीं। खैर,जीते जी अकली देवी को इंदिरा आवास योजना की राशि मंजूर नहीं की गयी। उसकी मौत के कई साल के बाद योजना की राशि स्वीकृत की गयी। इसको लेकर  श्रीगणेश भुईया काफी खुश हुआ। वहीं दुख के मंजर में फंस गया। आखिर अकली देवी के नाम से मंजूर की गयी राशि को कौन प्राप्त करेंगा? किसी तरह श्रीगणेश जी जुगाड़ लगाने लगे। जुगाड़ के तहत अपनी पुत्र को ही असली अकली देवी बना डाले। इस अक्ल से नकली अकली देवी ने खुरापाती दिमाग से असली अकली देवी बनकर रकम प्राप्त कर ली।
 इसे आप क्या कहेंगे? जी हां, गया में जमकररिश्वत दो और राशि लो की खेल जारी है। इसमें अगर सीधे तौर पर जन प्रतिनिधि और सरकारी प्रतिनिधि शामिल हो जाए तो अपार कष्ट होता हैं। जन प्रतिनिधि पंचायत के मुखिया और सरकारी प्रतिनिधि विकास मित्र की मिलीभगत से गरीबों की हिस्से में सेंधमारी की जा रही है। दोनों मिलकर गरीबों को चूना लगाने में तूले हैं। इसके खिलाफ डी.एम.साहब के पास आवेदन पत्र दिया गया है।
ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्रा का स्पष्ट आदेशः
ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्रा का स्पष्ट आदेश है कि इंदिरा आवास योजना के संभावित लाभान्वितों को शिविर लगाकर बैंक का पासबुक निर्गत कर दिया जाए। इसके बाद लाभान्वितों के खाते में सीधे राशि भेज दिया जाए। इस सरकारी आदेश को ठेंगा दिया जा रहा है। बी.पी.एल. सूची के अनुसार वरीयता सूची तैयार करके इंदिरा आवास योजना की राशि देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। इसी प्रक्रिया वाली सूची के आधार पर संभावित लाभान्वितों से मुलाकात करके समझाया और बुझाया जाता है। इंदिरा आवास योजना की राशि दिलवा देंगे। इसके एवज में रकम देनी होगी। अगर उनके झांसा में लाभान्वित पड़ जाता है। तो मोटी रकम ऐंठ ली जाती है। अगर राशि देने में आनाकानी की गयी तो उसको लटका दिया जाता है।
बढ़चढ़ कर उगाही करने की लिखित शिकायत डी.एम.कोः
गजरागढ़ गांव के बादो भुईया की पत्नी अनीता देवी ने जिलाधिकारी को आवेदन पत्र लिखी हैं। 8 अगस्त,2013 को प्राप्ति कमांक 112 है। उसमें उल्लेख है कि साल 2007 की सूची में आरोही क्रमांक 40 पर अंकित है। पारिवारिक पहचान संख्या 80994 है और कुल प्राप्तांक 10 (दस) है। आठ हजार रूपए की मांग की गयी। रिश्वत की मांग करने वालों में काहुदाग पंचायत के मुखिया बसंत पासवान और बुल्लू कुमार हैं। आगे लिखा गया है कि नन्दल भुईया पिता स्व. हुसैनी का प्राप्तांक ग्यारह (11) है। उसको इंदिरा आवास योजना की राशि प्राप्त हो गयी है। इस पर उच्चस्तरीय जांच कर कानूनी कार्रवाही करने की मांग की गयी है। इस संदर्भ में न्याय करने का गुहार लगाया गया है।
एक नहीं पूरे बारह लोगों का मामला हैः
एक आवेदक रहे तो समझा जा सकता है। कि वह व्यक्तिगत द्वेष के कारण और मुखिया जी को बदनाम करने के लिए डी.एम.साहब को आवेदन दिया होगा। यहां तो एक नहीं पूरे बारह आवेदक हैं जो व्यक्तिगत आवेदन 8 अगस्त,2013 को डी.एम.साहब को पेश किये हैं। यह भी नहीं कि सिर्फ महिलाएं ही आवेदन दी हैं बल्कि पुरूष भी आवेदन दिये हैं। इसका मतलब दूर तक निकाला जा सकता है।  रामदेव भुईया, करमी देवी, राजेन्द्र भुईया, देवा भुईया, बालेश्वर भुईया, बरती देवी, रमरतीया देवी, चिन्ता देवी, अनीता देवी, सुदमीया देवी और कारी देवी हैं।
 पूर्व वार्ड सदस्य रामदेव भुईया का क्या कहना है?
स्व. कारू भुईया के पुत्र रामदेव भुईया हैं। वर्ष 2006 के त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत के चुनाव में जीतकर वार्ड सदस्य बने। वर्ष 2007 की सूची के अनुसार आरोही क्रमांक 66 है। वार्ड सदस्य और रामदेव भुईया और मुखिया बसंत पासवान के बीच में संबंध ठीकठाक नहीं था। मेरे पिताश्री के नाम से इंदिरा आवास योजना से मकान बना था। उसी में एक कोठरी में रहता हूं। इस समय वह टैªक्टर चलाकर मियां-बीबी और 6 बच्चों का जीविका चला रहे हैं। इतना करने से माली हालत में सुधार होकर खराब हो गया है। जब मुखिय जी से इंदिरा आवास योजना से मकान बनाने की चर्चा की गयी तो राशि की मांग होने लगी। खुद तो नहीं परन्तु मुखिया जी के इशारे पर विकास मित्र बुल्लू कुमार के 5 हजार रू. की मांगने करने लगे। पहले पैसा फेंको तब जाकर तमाशा देखों की नीति अपना लिये। इसके खिलाफ जहां जाना है चले जाओ।
आगे पूर्व वार्ड सदस्य ने गंभीर आरोप लगायेः
जिलाधिकारी को 8 अगस्त,2013 में लिखे आवेदन में वार्ड सदस्य रामदेव भुईया ने लिखा है कि मेरे क्रमांक 66 के बाद वाले क्रमांकधारी कुसुर भुईया को क्रमांक 75 रहने के बावजूद भी इंदिरा आवास योजना से मकान की राशि विमुक्त करने से वह बना लिया है। इससे अधिक गंभीर आरोप लगाया कि आरोही 2009 में क्रमांक 42 की अकली देवी पति गणेश भुईया को राशि विमुक्त कर दी गयी है। जो कई साल पहले ही परलोक सिधार चुकी है। स्व0 अकली देवी की बेटी को नकली अकली देवी बनाकर राशि हासिल की गयी है। उसके आगे लिखते हैं कि क्रमांक 45 में शांति देवी का नाम है। उनके पतिदेव चंदर भुईया स्वर्गवासी हो गये हैं। शांदि देवी के पुत्र सरकारी नौकरी भी करता है और साथ में सरकारी पेंशन भी मिलता है। उसे भी इंदिरा आवास योजना के तहत राशि दी गयी है।
जिला प्रशासन को चाहिए त्वरित जांच करके कार्रवाई करें:
समाज के किनारे ठहरे महादलित मुसहर समुदाय के लोगों ने आखिरकार आजादी के 66 साल के बाद अन्याय के खिलाफ उठे हैं। अब गांव की कारी देवी, अनीता देवी, रमरतीया देवी आदि खुद के ऊपर होने वाले अन्याय को टुकुर-टुकुर देखेंगी नही। इसके खिलाफ जन आवाज उठाएंगी ताकि जन अधिकार प्राप्त हो सके। गांवघर में आने वालों के समक्ष समस्याओं को रखती हैं। उनके इशारे करने और उनको समर्थन करने के लिए गांव विकास यात्रा में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से आवेदन लिखती हैं। अपने डी.एम.साहब को आवेदन पत्र पेश करती हैं। अब डी.एम.साहब का कर्त्तव्य बनता है कि मिले आवेदनों पर त्वरित कार्रवाही करें। इस आवेदन में रिश्वत मांगने की बात है। इसमें महादलितों को खुश और नाखुश करने की बात भी है। समय रहते इस गंभीरता को पहचान करें जिसे निकली चिंगारी को शोला बनने के पहले ही शांत कर दें। ऐसा करने से आपसी जंग की गुजाइंश है।
आलोक कुमार