Tuesday 1 October 2013

अनुसूचित जनजातियों ने हर्षोल्लास माहौल में ‘करमा’ त्योहार मनाया


मांदर की थाप पर थिकरते रहे लोग

नवयुवती जवां फूल को बाल में लगा मचलती रहीं

दानापुर। संत स्टीफन चर्च में हर्षोल्लास माहौल मेंकरमा त्योहार मनाया गया। इस अवसर भारी संख्या में अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया। मांदर की थाप पर लोग थिरकते रहे। वहीं नवयुवती जावां फूल को बाल में लगाकर मचलती रहीं। सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामूहिक भोज का लुफ्त उठाया।

 दानापुर में स्थित संत स्टीफन चर्च में माहौल खुशनुमाः
संत स्टीफन चर्च परिसर में करमा पेड़ है। पेड़ को लाल धांगा से बांधा गया। यह संघर्ष का प्रतीक है। वहीं पीला कागज चिपकाया गया। यह हल्दी का रंग है जो शुद्धिकरण का घोतक है। फादर आनंद केरकेट्टा और फादर पीटर को परिघणा करके चर्च के अंदर लाया गया। मतलब स्वागत नृत्य करते फादरों को चर्च बलिवेदी तक पहुंचाना है। इस बीच करमा के बारे में विस्तार से बताया गया। दोनों फादर ने मिलकर धार्मिक अनुष्ठान चढ़ाया और परमप्रसाद वितरण किये। इस अवसर पर सुजैन मिंज,सृष्टि मिंज और रश्मि गाड़ी नामक नवयुवतियों ने 24 घंटे का उपवास रखा। नृत्य सीखाने और अन्य कार्य करने अहम भूमिका मार्गेट तिर्की और रेजिना एक्का ने निभाया। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन महिला संगठन के बी. कंडूलना ने किया। चर्च के सचिव पप्पू पौल हैं। आयोजन किया। सजावट आशियाना बास्की ने किया। इस बात की जानकारी मंजू डूंगडूंग ने दी है।

दीघा में स्थित कुर्जी पल्ली गिरजाघर में हर्षित माहौल में मना त्योहारः
प्रकृति के साथ रहने वाले अनुसूचित जनजाति के द्वाराकरम त्योहार बनाया। इसका आयोजन आदिवासी सांस्कृतिक एवं कल्याण संघ ने किया। यहां पर भी मांदर की थाप पर परिघना करके फादर राजेश लकड़ा और फादर राजेश लकड़ा और एडवर्ड डुंगडुंग को चर्च के अंदर लाये। इसके बाद धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुआ। बीच में फादर ने उपदेश दिये। इसके बाद परमप्रसाद वितरण किये। धार्मिक आयोजन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया गया। आगत लोगों के बीच मेंप्रसाद वितरण किया गया। इसका आयोजक थोमस केरकेट्टा,लाजरूस लकड़ा,पोलिकार्प जोजो आदि ने किया। सामाजिक कार्यकर्ता जोवाकिम टोप्पनों ने कहा कि जो जवां के फूल को लेकर युवतियां और महिलाएं सिर में लगायी हैं। वह मां के गर्भ में 9 माह तक रहने का प्रतीक है। कहीं लाल तो कहीं सफेद धांगा बांधा जाता है। यहां पर सफेद धांगा बांधा गया।

                                                                      आलोक कुमार