Sunday 27 July 2014

राज्य मानवाधिकार आयोग को स्वतः संज्ञान ले


 पटना। बिहार में राजद , जदयू और कांग्रेस में गठबंधन होने से लोग खुशी मना   रहे हैं। दूसरी ओर राजद से संबंधित एक जाति विशेष के लोग अत्याचार करने पर तुल गए हैं। जो राज्य को जंगल राज की ओर ढकेलने में सहायक हो जाएगा।
पटना में आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका को कुदाल से मारकर हत्या कर दिए। सेविका का नाम माण्डवी देवी था। इनके पतिदेव का नाम चन्द्रदेव दास है। सुबोध कुमार , पिता - चन्द्रदेव दास , ग्राम नेऊरी , पो . नेऊरी , थाना - बिहटा , जिला - पटना का रहने वाला हूं। दिनांक 20-07-2014 समय 4 : 30 बजे शाम में मेरी मां माण्डवी देवी , समेकित बाल विकास केन्द्र ( नेऊरी ) झोपड़ी के पास बैठी हुई थीं कि झोपड़ी से पूरब - दक्षिण कोने पर ही गांव के श्री राजदेव राय , पिता - स्व . रामप्यारे राय , सुरेन्द्र राय , पिता राजेन्द्र राय , उमेश राय , पिता राजदेव राय , सुनील राय , पिता राजदेव राय ये सभी चारों व्यक्ति आए और मेरे जमीन पर शीशम का पौधा लगाने लगे। तो मेरी मां ने उसे पौधा लगाने से मना किया। तो ये सभी लोग अभद्र भाषा का प्रयोग कर चमार , डोम कहकर गाली देने लगे। उनलोगों ने बोला कि तुम चमार लोगों को यहां नहीं रहने दूंगा। उसके बाद तीन आदमी ने पकड़ लिया और चौथा आदमी सुनील राय ने कुदाल से सर पर लगातार प्रहार कर सर को चुर डाला। जिसके कारण उनकी वही पर मृत्यु हो गई। हल्ला होने पर मेरे बगल के बगलगीर मुन्नी देवी , पति - जितू मोची , मारो देवी , पति - अनिल मोची तथा सुबोध कुमार , पिता - चन्द्रदेव दास , देखा कि सुनील राय हाथ में कुदाल लेते हुए भागने लगा। भागते समय यह कह रहा था कि तुम चमार लोग को नहीं रहने देंगे और वहां से भाग गया।
अभी - अभी खबर प्राप्त हुई। नवादा जेल में बंद दलित कैदी को जिन्दा जला दिया गया। जेल में बंद रूपेश पासवान ने बयान दिया है कि उसने आत्महत्या नहीं किया है। जेलर बाबु सिंह यादव के सहयोग और प्राप्तकर दो यादव कैदियों ने किरासन तेल डालकर जिन्दा जला दिया है। दोनों कैदियों के जलाने से शरीर बुरी तरह से झुलस गया है। अभी अस्पताल में भर्त्ती हैं। इसके विरोध में नवादा जेल में कैदियों ने बेमियादी अनशन शुरू कर दिया है।
पटना और नवादा कांड को सघन रूप से जांच करने की जरूरत है। दोनों घटनाओं को अंजाम देने वालों पर त्वरित कार्रवाई करना चाहिए। त्वरित कार्रवाई करने वाले कोर्ट में मामला दर्ज करके अपराधियों को कठोर से कठोर सजा देनी चाहिए। राज्य मानवाधिकार आयोग को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। आयोग को व्यवस्था करनी चाहिए कि दलितों पर अत्याचार कम से कम हो सके। उसी तरह राजनीति पार्टियों को भी अपने समर्थकों पर लगाम लगाना चाहिए। नेताओं को अपराधियों को संरक्षण करने वालों को पर्दाफाश करना चाहिए।
Alok Kumar



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