Monday 8 September 2014

जब बिहार विधान सभा के अध्यक्ष ने ‘ जान दे देंगे पर जमीन नहीं देंगे’ का नारा बुलंद करने लगें


एक वर्ग 180 से 200 रू. देकर मिनिरल वाटर पीते हैं

तो दूसरी ओर आज भी लोग गंदे पानी पीने को बाध्य हैं

गया। मगध प्रमंडल क्षेत्र के विधायक मुख्यमंत्री और अध्यक्ष जी हैं। दोनों के बीच में युगलबंदी है। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी स्वीकार करते हैं कि कार्यापालिका में खुद ही हैं। बिहार विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी विधायिका में हैं। अब तीसरे जोड़ीदार की खोज हो रही है,जो न्यायापालिका क्षेत्र से हो। फिलवक्त सीएम मांझी और अध्यक्ष चौधरी के बीच गहरी पैठ हैं। जो 2015 के चुनाव के बाद किसी दलित को मिशन सीएम बनाने में जुट गए हैं।

राजनीति में आने के पहले उदय नारायण चौधरी एनजीओ चीफ थे। उनका कार्यक्षेत्र पटना और गया जिले होते थे। समाज के वंचित समुदाय मुसहरों के बीच में सेवा करने और मेवा खाने के बाद विधायक और मंत्री तक बने। अभी बिहार विधान सभा के अध्यक्ष हैं। श्री चौधरी को मुसहर समुदाय के साथ कार्य करने का खासा अनुभव है। अब मुसहर समुदाय के मुख्यमंत्री श्री मांझी हैं। दोनों मिलकर महादलितों को रिझाने का कार्य कर रहे हैं। एनजीओ चीफ के समय में अंधविश्वास के खिलाफ उदय नारायण जागरूकता गीत गाते थे।भरम के हवऽ भटका हो भरम के हवऽ भटका, सुनऽ मोरा चाची सुन मोरा दीदी, डाक बाबा मुरगा मांगे बरछी बाबा सुअरा, देवी मांगे पुआ-पूरी तइवो बबुआ के आवे फरका..... इस गीत से अध्यक्ष जी ने लोगों का दिल मोह लिया। लोग गीत गुनगुना रहे थे और जमकर ताली बजा रहे थे।

चुल्हाई चक मुसहरी की शीला देवी स्वयं को रोक नहीं पा रही थीं। अध्यक्ष जी के साथ मद्यपान के खिलाफ महुआ दारू बनाने वाले भट्टी को तोड़ने में सहयोग देती थीं। मौके पर उन्होंने महिलाओं का आह्वान किया कि महुआ दारू पीने वालों को सबक सिखाएं। उनको डंडा से पीटे और घर के अंदर घुसने नहीं दें। आगे कहा कि जो लोग ग्रामीण क्षेत्र से नगर निगम क्षेत्र में गए हैं। उनका विकास रूक गया है। उनको आवासीय प्रमाण-पत्र बनवाने में दिक्कत हो रही है। उनको वासगीत पर्चा निर्गत नहीं किया जा रहा है। हम हमलोगों को करना है। जहां पर हमलोग रहते हैं। वहां से हिलना-डुलना नहीं है। हमलोगजान दे देंगे और जमीन नहीं देंगे इस नारा को बुलंद किया। लोग भी जोरदार ढंग से नारा लगाने लगे। वहीं आजादी के 68 साल के बाद एक वर्ग सक्षम हो गया है। 180 से 200 रूपए में मिनिरल वाटर खरीदकर वाटर पीने के लिए। वहीं अन्य वर्ग गंदे पानी पीने को बाध्य हैं। नहाने के लिए भगवान दिवाकर पर आश्रित होना पड़ता है। सभी बच्चों को स्कूल भेजने पर बल दिए।

इस अवसर पर पूर्व मध्य रेलवे परियोजना से विस्थापित होने वाले लोगों ने पुनर्वास की मांग को लेकर आवेदन पेश किए। खगौल से दीघा तक निर्मित सड़क से विस्थापित होने वाले लोगों ने पुनर्वास की मांग की है। इसके अलावे सैकड़ों की संख्या में समस्याओं का आवेदन दिया गया।

इस अवसर पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव श्रीव्यास जी, दलित अधिकार मंच के अध्यक्ष कपिलेश्वर राम आदि उपस्थित थे। एक्शन एड के प्रबंधक ने धन्यवाद ज्ञापन किया।


आलोक कुमार

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