Monday 6 October 2014

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का तेवर गर्म



एक ही झटके में अधिकारियों को हटाया

पटना। ऐतिहासिक गांधी मैदान में रावण का पुतला दहन किया गया। जबतक मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी रहे। तबतक अधिकारी सलामी देने के लिए उपस्थित रहे। जैसे ही मुख्यमंत्री का काफिला बाहर गया। वैसे ही अधिकारी आजाद हो गए। मनमौजी करने पर उतर गए। हद तो उस समय हो गया कि लाखों की संख्या में रामभक्तों को छोड़कर जिलाधिकारी बेटे के बर्थ डे मनाने चले गए। खुद भी गए और अनेकों अधिकारियों को लेकर चले गए।

इधर रामभक्त चीत्कार मारकर रोते रहे। उधर डीएम साहब और अन्य अधिकारी ताली और गीत गाकर आनंद उठाते रहे। शानदार होटल में ताली बजती रही और बदइंतजाम गांधी मैदान में जमीन पर गिरे लोग दबकर मरते चले गए। एम्बुलेंस की आवाज और लोगों के जोरजोर के क्रंदन के बाद भी अधिकारी जान बचाने नहीं आए। जबतक आते तबतक रामभक्तों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया। इस भगदड़ से 33 रामभक्तों की मौत हो गयी है। 30 से अधिक घायलों का इलाज चल रहा है।

मौके पर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि संपूर्ण हादसा की रिपोर्ट 24 से 48 घंटे में आ जाएगा। जांच कमिटी बनी। छठ के समय 2012 में भी गृह सचिव आमिर सुबाहनी को और एडीजीपी गुप्तेश्वर पांडे को जांच करने का जिम्मेवारी सौंपा गया है। इन लोगों ने 4 अक्तूबर को गांधी मैदान और 5 अक्तूबर को पटना के जिलाधिकारी और एसएसपी से पूछताछ किए। आम जनता और प्रत्यक्षदर्शियों से 7 अक्तूबर को 11 बजे से पूछताछ करेंगे। ऐसे में 24 से 48 घंटे में रिपोर्ट नहीं आ सकती है। मुख्यमंत्री का कहना कि जल्द से जल्द रिपोर्ट आ जाएगी। वह मन बहलाने वाला साबित हुआ।

अभी यह सब चल ही रहा था कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक ही झटके में पटना प्रमंडल के प्रमंडलीय आयुक्त, आईजी,पटना जिले के जिलाधिकारी,वरीय आरक्षी अधीक्षक आदि को हटा दिए। इस तरह विपक्ष के द्वारा मांग दोषी अधिकारियों को दंडित देने का सिलसिला शुरू हो गया। इसके बाद मुख्यमंत्री घायलों का कुशलक्षेम जानने और पीएमसीएच का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल की कुव्यवस्था देखकर भड़क गए। यहां के जिम्मेवार अधीक्षक को बुलाया गया। मगर अधीक्षक महोदय अधीक्षक की कुर्सी में फेविकोल लगाकर बैठे थे। टस से मस नहीं हुए। उन्होंने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आगमन को ही तवज्जों नहीं दिया। इस लिए मौके पर उपस्थित ही नहीं हुए। इस तरह विभागाध्यक्षों और अन्य वरीय चिकित्सकों का भी रहा। जो मुख्यमंत्री के आगमन पर इधर-उधर भागे-भागे नजर आए।

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी घायलों से मिलकर अन्य वाडों का भी निरीक्षण किए। वार्ड तो वार्ड बाथरूम में भी झांका और देखा कि सभी जगहों में अव्यवस्था का आलम है। अस्पताल के लोग नियमानुसार कार्य नहीं करते हैं। चिकित्सक दौरा लगाकर चले जाते हैं। तीन हिस्से दवाई बाहर से खरीदनी पड़ रही है। नर्सेंस सूई देकर ही कार्य इतिश्री कर लेती हैं। बेडशीट को मनमर्जी के अनुसार बदला जाता है। इस व्यवस्था से खिन्न होकर मुख्यमंत्री उच्च स्तरीय बैठक बुलाने वाले हैं। मुख्यमंत्री के आवास पर बैठक चल रही है। मुख्य सचिव अंजनि कुमार सिंह, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार आदि शामिल हैं। लगभग अस्पताल के अधीक्षक को जाना निश्चित है। इसके अलावे अन्य विभागाध्यक्ष और चिकित्सक भी कोपभाजन बनेंगे।

तब सवाल उठता है कि सूबे के स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह किधर हैं? क्या स्वास्थ्य मंत्री जिम्मेवारी से कार्य अंजाम दे रहे हैं। इनके और अन्य लोगों के इशारे पर मीडिया के लोगों को अस्पताल के अंदर जाने पर पाबंदी लगा दी गयी। फिर भी न्यूज कवर करने में काफी परेशानी नहीं हुई। हरेक आवाजाही करने वाले नेता घायलों की परेशानी और प्रशासनिक लापरवाही की भगदड़ के बारे में विस्तार से जानकारी दे जाते।

ऐतिहासिक गांधी मैदान में 1955 से रावण वध करने का सिलसिला जारी है। आजतक गांधी मैदान में रावण वध के बाद हादसा नहीं हुआ। इस बार बड़ा हादसा हो गया। इससे पहले 19 नवम्बर 2012 को पटना के पीरबहोर थाना अंतर्गत अदालत घाट के समीप छठ पूजा के अवसर पर मची भगदड़ में 17 लोगों की मौत हो गई थी। इसी तरह लोकसभा चुनाव से पहले 27 अक्तूबर 2013 को भाजपा की ‘हुंकार रैली’ के दौरान पटना के गांधी मैदान में हुए सिलसिलेवार धमाकों में 6 लोगों की मौत हो गई। 80 से अधिक लोग घायल हो गए। इस बार 3 अक्तूबर 2014 को पटना के गांधी मैदान में दशहरा पूजा के अवसर पर रावध वध के बाद भगदड़ में 33 लोगों की जान चली गयी। सैकड़ों घायल हुए। अब ऐसा प्रतीक हो रहा है कि सूबे की सरकार और नौकरशाह बड़े और भव्य आयोजन को निभा पाने में अक्षम हो गए हैं।

आलोक कुमार

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