Thursday 13 November 2014

पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 16 दिवसीय सर्म्पक यात्रा शुरू


बिहार से भेदभाव कर रही केन्द्र सरकार

बीजेपी झूठ की खेती करती है

पश्चिम चम्पारण। इस जिले के बेतिया से पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्म्पक यात्रा शुरू कर दी है। आम जनता से सर्म्पक नहीं कर रहे हैं। जदयू के कार्यकर्ताओं के साथ सर्म्पक कर रहे हैं। लोक सभा के चुनाव के समय बीजेपी के पीएम के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के वक्तव्यों को सुना-सुनाकर कार्यकर्ताओं को समझाने और बुझाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार से भेदभाव करने की हकीकतों का पर्दाफार्श कर रहे हैं। सत्ता पर काबिज अफवाह फैलाकर हो गए।कार्यकर्ताओं को सजग रहने पर बल दिए। वहीं आम जनता को कानफुसी करने वाले लोगों से बचाना है। अबतक से आने वाले चुनाव तक जनता के बीच रहे और उनको सजग और सचेत बनाकर रखे।

लगभग केन्द्र सरकार ने हाथ खींच ली है। इन्दिरा आवास योजना की राशि में कटौती कर दी है। गरीबों को रोजगार देने वाले मनरेगा को विराम कर दिया है।युवाओं को सब्जबाग दिखाने वाली सरकार ने नौकरी में बहाली बंद कर दी है। कालाबाजार में पर्याप्त धनराशि है। इस धनराशि से जनधन योजना के कार्डधारियों को 15 लाख रू. दिए जाएंगे। अभी तक चेक प्राप्त नहीं हुआ है। न कि धनराशि का स्थानान्तरण ही कर दी गयी है। आपलोग एनडीए के नेताओं से पूछताछ करें। बहुत उम्मीद जगा दिए। मगर हम लोग नाउम्मीद हो रहे हैं।

राज्य सरकार ने एक हजार करोड़ रूपए लगाकर सड़क निर्माण कर दी है। इस राशि को वापिस दिलवाने में पूर्व मंत्री सुशील कुमार मोदी और नन्द किशोर यादव प्रयास ही नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर गिला शिकायत करने में पीछे नहीं रहते हैं। प्रत्येक दिन नीतीश कुमार के बारे में चुंगली नहीं खाते हैं तबतक पेट नहीं भरता है। आप तो लोग समझ ही रहे हैं। आंख खोलकर हाशियार रहने की जरूरत है। नहीं तो लोगों को ठगने में सफल हो जाएंगे।

जब स्थानीय नेताओं के द्वारा भाषण दिया जा रहा था। तब सरकार और पार्टी पर कटाक्ष करना शुरू कर दिए। आठ साल के अंदर कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज कर दिया गया। मिल बैठकर बैठक नहीं की गयी। आम जनता की समस्याओं को लेकर कार्यकर्ता मंत्री और नौकरशाहों के पास जाते तो कार्यकर्ताओं का कार्य नहीं किया जाता। कमोवेश मोतिहारी की भी स्थिति समान देखा गया। पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी और पीएम की जमकर खिंचाई की। कहा कि पीएम कहते हैं कि डीजल और पैट्रोल की कीमत में कमी आ गयी है। सत्ता संभालते समय कच्चा तेल 115 रू.था। जिसमें 33 रू. कम होकर 85 रू. हो गया है। इसी के आलोक में तो रेल किराया में 33 रू.कम हो जाना चाहिए था। मगर केन्द्र सरकार रेल किराया में कमी करने नहीं जा रही है। जरा आप सोचे और समझे कहना है कि कीमत में कमी आ गयी है। मगर खुद के रेल किराया में कमी नहीं किया  जा रहा है।इन सब बातों को लोगों के बीच में प्रचार और प्रसार करना है।


आलोक कुमार

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