Monday 10 November 2014

नौवी मांझी के घर में कोहराम


पहले मां,पिता,बच्ची और पत्नी को खो दिया दिया

पटना। गंगा अपार्टमेंट के सामने है एल.सी.टी.घाट मुसहरी। यह उत्तरी मैनपुरा ग्राम पंचायत के अधीन है। यहां पर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बिरादरी मुसहर समुदाय के लोग रहते हैं। इनके घर-घर में टी.वी. है। उसी तरह मुसहरों के घर-घर में टी.बी.रोग समा गया है। शान से जीने वाले यक्ष्मा रोग से प्राण त्यागने को मजबूर हैं।

महादलित नौवी मांझी के पिता का नाम रामजी मांझी और माता जी का नाम मिनता देवी है। दोनों कूड़ों के ढेर पर जाकर रद्दी कागज आदि चुनते और बेचते है। इससे प्राप्त पैसा से घर का खर्चा चलाते। इन दोनों को यक्ष्मा बीमारी हो गयी। पहले मिनता देवी रोगग्रस्त हो गयी। आसपास से दवाई खायीं। दवा खाती और ठीक होने पर छोड़ देती। इसका परिणाम मौत सामने आ गयी। इसके बाद रामजी मांझी बीमार पड़े। वह भी दवा के साथ दारू का सेवन करता। इस बीच अपने पुत्र नौवी कुमार की शादी करने में कामयाब हो गया। इसके बाद रामजी मांझी की भी मौत हो गयी।

इस बीच नौवी मांझी की पत्नी अंजू देवी गर्भवर्ती हो गयीं। मगर जन्म देने के बाद नवजात शिशु की मौत हो गयी। कुछ दिनों के बाद अंजू देवी भी परलोक सिधार चुकीं। अंजू देवी की मौत जगदेव पथ मुसहरी में हो गयी। नौवी मांझी कहते हैं कि टी.बी.से प्रभावित होने से उसका एक तरफ का फेफड़ा खराब हो गया था।

महादलित रेखा देवी का कहना है कि हमलोग गरीबी के कारण परेशान हैं। कूड़ों के ढेरों पर रद्दी कागज आदि चुनने जाते हैं। उसे बेचकर खाना बनाकर खाते हैं। अगर आमदनी नहीं हुई तो भूखे भी सो जाना पड़ता है। मुसहरी का वातावरण खराब होने के कारण से भी मुश्किल होता है। यहां-वहां थूका जाता है। टी.बी.रोगी के बलगम को भी बेहतर से फेंक नहीं पाते हैं। बलगम को मिट्टी के अंदर गाड़ देना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर बलगम को आग में जला देना चाहिए। ऐसा करने से जीवाणु मर जाते हैं। इसका जीवाणु हवा में विचरण करते हैं। कमजोर शरीर में प्रवेश करके शरीर में घर बना लेते हैं। जो दवा लेते और बीच में दवा छोड़ देते हैं। इसका परिणाम मौत हो जाती है।

सरकार ने डॉटकार्यक्रम संचालित है। जगह-जगह पर डॉटकार्यक्रम सेन्टर बनाया गया है। इसके तहत दवा खाने के लिए सेन्टर में जाना पड़ता है। जो गरीब रोगी के लिए मुश्किल है। समय के अनुसार सेन्टर पर दवा नहीं लेने पर दवा ही नहीं दी जाती है। रेखा देवी का कहना है कि सरकार को चाहिए कि टी.बी.रोगियों को स्वस्थ होने पर मोटी रकम दी जाएगी। ऐसा प्रोत्साहन करने से रोगी बीच में दवा नहीं छोड़ेंगे। मौत पर विराम भी लगेगा।


आलोक कुमार       

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