Thursday 29 January 2015

संघर्ष, संवाद एवं रचना से होगा नवनिर्माण



तिल्दा/रायपुर। एकता परिषद के रजत जयंती समारोह का दूसरा दिन संघर्ष, संवाद एवं रचना पर केंद्रित रहा। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि अपने अधिकारों के लिए संघर्ष के साथ संवाद पर भी ध्यान देना होगा। इसके साथ ही हमें उस समाज की रूपरेखा भी रखनी होगी, जिसकी हम कल्पना कर रहे हैं। यदि हम सरकार के विकास के वर्तमान मॉडल को नकार रहे हैं, तो हमें अपन जनपक्षीय मॉडल को सामने रखना होगा और इसके प्रयोग भी दिखाने होंगे। समारोह में आज बिहार विधानसभा के अध्यक्ष श्री उदय नारायण चौधरी, किसान संघर्ष समिति के संस्थापक अध्यक्ष और पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम्, आदिवासी एकता परिषद के अशोक चौधरी, शिक्षाविद् एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव श्री शरदचंद्र बेहार सहित कई वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। तिल्दा स्थित प्रयोग आश्रम में देश-विदेश से आए कार्यकर्ताओं ने जमीन के मुुद्दे पर आगामी संघर्ष के लिए अपने अनुभवों को साझा किया।


श्री चौधरी ने कहा कि आजादी के 68 साल बाद भी देश में समानता नहीं है। सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जनसंगठनों ने अहिंसात्मक रूप से आवाज बुलंद किया। कुछ ने कहा कि जरूरत पड़ने पर डंडा भी उठाएंगे। समारोह में एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजगोपाल पी.व्ही. ने कहा कि एकता परिषद सिर्फ आंदोलन नहीं है, बल्कि 25 सालों में इसने दिखाया है कि संघर्ष के साथ-साथ संवाद एवं रचना के प्रति भी समर्पित है। संवाद एवं रचनात्मकता के बिना कोई भी संघर्ष अधूरा है। लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक स्थिति में बदलाव लाना जरूरी है। पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम् ने कहा कि संघर्ष, संवाद एवं रचना जैसे शब्द आजादी के आंदोलन से निकले हैं, पर सरकारों का रूख इसके खिलाफ रहा है। यही कारण रहा है कि आज 8000 से ज्यादा लोग गोली कांड में मारे गए। सरकार को संघर्ष करने वालों के साथ संवाद करना चाहिए।

श्री बेहार ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि सत्ता का चरित्र ऐसा है कि वह संवाद को महत्व नहीं दे रही है। ऐसे में सिर्फ संवाद से काम नहीं चलेगा, बल्कि आंदोलन भी करना होगा। आदिवासी, दलित एवं भूमिहीन के मुुद्दों को अलग करके देखने के बजाय सभी को एक साथ जोड़कर आंदोलन करना होगा। जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर परिचर्चा में नेपाल से आए सी.एस.आर.सी. के श्री जगत बसनेट ने कहा कि नेपाल में भी भूमिहीनों की स्थिति बेहतर नहीं है। वहां भी भारत की तरह ही अहिंसक आंदोलन को खड़ा किया गया है। समारोह में एक्षन एड, दिल्ली की सुश्री सहजू, छत्तीसगढ़ के श्री गौतम बंदोपध्याय, सर्व सेवा संघ के श्री आदित्य पटनायक, उत्तरप्रदेश के वाणी के श्री भारत भूषण, तेलांगना के श्री चार्ल्स सहित कई सामुदायिक मुखियाओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।



अनीश,
  समन्वयक जनपैरवी,
  एकता परिषद
मोबाइल - 09755988707

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