Monday 19 January 2015

मुसहरी से निकलता है सोना और चांदी

पटना। मुसहरी से निकलता है सोना और चांदी। आप जरूर ही इसको अध्ययन करके आश्चर्य में पड़ गए होंगे? आप सोचते होंगे कि सभी किस्मत का मारा इंसान हैं।जो शहर के गगनचुम्बी कूड़ों के ढेर मक्खियों की तरह मंडराते रहते हैं। वहां पर इंसान और अवारा कुत्तों के साथ दो-दो हाथ करने को बाध्य होते हैं। आप इस तरह की मुसीबत को देखकर संवेदनशील हो गये होंगे? तुरंत ही सरकार से सवाल करने लगे होंगे कि आजादी के 67 सालों के बाद भी इंसान को नारकीय माहौल में 2 जून की रोटी के लिए पापड़ बेलना पड़ता है? अगर कद से बड़ा बोरा लेकर चलने वाले बच्चों को देखकर कहने को मजबूर हो जाते होंगे कि जिस हाथ में कलम और किताब होनी चाहिए थी? उस मासूम बच्चे के कंधे पर पहाड़ की तरह परिवार के सदस्यों के पेट भरने की जिम्मेवारी आ गयी है।

कूड़ों के ढेर पर अजमाते हैं महादलित किस्मत: सुबह-सुबह मलाईदार समुह के लोग बाग-बगीचे में टहलने निकलते हैं। वहीं सुबह-सुबह 2 जून की रोटी की तलाश में महादलित मुसहर समुदाय के लोग घर से निकल जाते हैं। साथ में मासूम बच्चों को भी ले जाते हैं। हां, जितने हाथ उतने ही रद्दी कागज आदि बटोरने में सहायता मिलता है। मालिकों के कूड़ों में बहुत समान मिलता है।शराब के बोतल,दूध वाला प्लास्टिक, कागज, कलम, सोना और चांदी भी मिलता है। केवल कूड़ों के ढेर पर किस्मत अजमाने वाले फटेहाल व्यक्ति का दिन होना चाहिए। अगर दिन अनुकूल हुआ तो बोरा भर के रद्दी चुनकर घर लाते हैं। घर लाकर रद्दी का वर्गीकरण करते हैं। उसी समय सोना और चांदी नजर आता है। महादलित पारखी की तरह परखकर सोना और चांदी जमा कर लेते हैं। उसे घर में संभालकर रखते हैं। जब फेरी करने वाले व्यक्ति आते हैं तो सोना और चांदी को बेच देते हैं।

हरेक मुसहरी में जाकर फेरी करते हैंः अलग-अलग व्यक्ति मुसहरी में जाते हैं। महादलित व्यक्ति से वाकिफ हैं। उनको बुलाकर संग्रहित सोना और चांदी दिखाते हैं। तब वह सोना और चांदी को परखता है। इसके बाद बैंग से सिल्वर के चारकोना समान को निकालता है। एक में एसिड और दूसरे में सोना और चांदी को साफ करने वाला लोशन रहता है। उसके बाद सोना और चांदी की कीमत बताता है। उसके बाद तराजू निकालता है। उसे तौलने लगता है। आज दीघा मुसहरी में चांदी को व्यक्ति तौल रहा है। उसने चांदी परखकर कीमत तय कर दिए। कीमत तय किया 140 रूपए भरी। चांदी और अन्य समान 70 रू.का हुआ। ठग प्रवृत्ति के कारण 60 रू.ही दे रहा था। तब मुसहरनी के द्वारा 10 रू. और देने को कहने के बाद ही शेष राशि दिया।

 अब आप जरूर ही समझ गए होंगे? इस बोलती तस्वीर को देकर ही आप जरूर ही सहज ढंग से विश्वास कर लिए होंगे।  अब आप भी हां-हां कहकर कहने लगे होंगे कि आम लोगों की लापरवाही के कारण ही कूड़ों के साथ सोना और चांदी भी कूड़े में चला जा रहा है। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। अगर आप सचेत नहीं होंगे तो आपके घर से सोना और चांदी निकलकर गरीब महादलितों के पास चला जाएगा। मुसहरों के घर से ही सोना और चांदी निकलता ही रहेगा। 


आलोक कुमार

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