Friday 20 February 2015

9 माह के दरम्यान तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार होंगे



दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केसरीवाल की तरह

भावी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता से माफी मांगे

पटना। बिहार में 7 फरवरी से ही अटकले तेज और सियासी दांव पेंच जारी हो गया। आम से खास आदमी चाय की दुकानों में चर्चा होती रही, कैसे महादलित मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी विश्वासमत हासिल कर पाएंगे? जबकि उनके पास मात्रः 2 दर्जन विधायकों का सहयोग और बल मिल रहा था। किस तरह मुठ्टीभर विधायकों के बल पर चुनौती पेश कर पाएंगे?एक उपाय खोज लिए। गर्वनर साहब से कह दिए कि साहब विधान सभा में गुप्त मतदान की व्यवस्था करा दें।गुप्त मतदान होने से 117 विधायकों को जुगाड़कर 20 फरवरी को विश्वासमत हासिल कर लेंगे।

वहीं भावी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 130 विधायकों के समर्थन प्राप्त कर गदगद थे। जदयू के 98,राजद के 24,कांग्रेस के 5,सी.पी.आई.के 1 और निर्दलीय 1 विधायकों का समर्थन प्राप्त कर कभी गर्वनर साहब तो कभी प्रेसींडेंट साहब के समक्ष विधायकों का परेड करा दिए। इसके बाद नियमित ढंग से विधायकों के समर्थन में रहे। उनको सुस्वादिष्ट भोजन खिलाने की रणनीति के तहत डिनर डिप्लोमेसी शुरू कर दी गयी।

इस बीच मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समक्ष समस्या आने लगी। महामहिम राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने संविधान के हवाले देकर कह दिया कि विधान सभा में गुप्त मतदान से विश्वासमत हासिल करने का प्रावधान नहीं है। वहीं मुख्यमंत्री के बिहार विधान सभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के दोस्त ने साथ छोड़ दिया। गया जिले से संबंध रखने वाले मुख्यमंत्री और अध्यक्ष अलग हो गए। उन्होंने समर्थन देने के बदले अनर्थ करने लगे। विधान सभा में विरोधी दल के नेता नन्द किशोर यादव को नेता नहीं माना। विपक्ष के विधायकों के बैठने का प्रबंध भी नहीं किए।

महादलित मुख्यमंत्री को अलग-थलग देखकर बीजेपी ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही बीजेपी के 87 और मुख्यमंत्री के 12 विधायकों का समर्थन प्राप्त हो गया। जादुई संख्या से पीछे देखकर मुख्यमंत्री परेशान हो गए। सुबह में विश्वासमत हासिल करने विधान सभा जाने के बदले जीतन राम मांझी गर्वनर साहब के घर चले गए। वहां पर जाकर महामहिम केसरीनाथ त्रिपाठी के समक्ष इस्तीफा पेश कर दिया। इस आशय की जानकारी ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू ने मीडियाकर्मियों को दी। महामहिम ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। उनसे कहा कि वैकल्पिक व्यवस्था तक कार्यकारी मुख्यमंत्री बने रहे।

इसके बाद कांग्रेस, राजद, जदयू के नेताओं के साथ राजभवन नीतीश कुमार गए। महामहिम केसरीनाथ त्रिपाठी ने नीतीश कुमार को 22 फरवरी को 5 बजे शपथ ग्रहण करने को कह दिए। शपथ ग्रहण करने के 3 हफ्ते के अंदर सदन में विश्वासमत प्राप्त कर लेने का आदेश दिया। इसके साथ ही नाटकीय ढंग से सियासी हलचल शांत हो गयी। भावी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 20 फरवरी से आहुत बजट सत्र को सत्रावसान घोषित कर देंगे। नये सिरे से बजट सत्र आहुत करेंगे। वह पूर्ण बजट सत्र होगा। उसी में विश्वासमत हासिल कर लेंगे।तब पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हो जाएंगे। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी तब पूर्व मुख्यमंत्री हो जाएंगे। 9 माह के दरम्यान तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार होंगे। दो बार नीतीश कुमार और एक बार जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे। बिहार के मुख्यमंत्री चौथी बार बनेंगे। पहली बार 2000 में,दूसरी बार 2005 में,तीसरी बार 2010 में और चौथी बार 2015 में शपथ ग्रहण करेंगे। इस बीच राजद और कांग्रेस के नेताओं ने नीतीश जी के मंत्रिमंडल में शामिल होने की इच्छा जाहिर किए है। अलबता हाई कमान हरी झंडी दे दें।


आलोक कुमार

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