Tuesday, 9 June 2015

कैसे! गर्भवर्ती और कुपोषित बच्चों की थाली में तिरंगा भोजन परोसा जाएगा


सोहन कुमार कहते हैं कि पाँच रू.में चार पानी पूरी

पटना।केन्द्र सरकार के द्वारा अच्छे दिन लाने का प्रयास जारी है। देश में 13 लाख 42 हजार आंगनबाड़ी केन्द्र है। पहले गर्भवर्ती महिलाओं को सिर्फ 2.30 पैसा मिलता था। इसमें 3.70 पैसा इजाफा करके 6 रू.कर दिया गया है। पहले 3 से 6 साल के बच्चों को सिर्फ 2 रू.मिलता था। जो बरकरार है। अब कुपोषित बच्चों को 4 रू.दिया जाएगा।यह तैयारी की जा रही है कि मात्र 10 रूपए के बल पर गर्भवर्ती और कुपोषित बच्चों की थाली में तिरंगा भोजन परोसा जाए। गर्भवर्ती को 600 कैलोरी और कुपोषित बच्चों को 500 कैलोरीयुक्त आहार उपलब्ध कराना है।

इस संदर्भ में इन्द्रदेव कुमार कहते हैं कि पाँच रू.में एक लिट्टी, रामू कहते हैं कि पाँच रू.में एक सौ ग्राम मकई का सत्तू, सोहन कुमार कहते हैं कि पाँच रू.में चार पानीपुडी
 और लता देवी कहती हैं कि पाँच रू. में 2 केला होगा। एयर कंडिशन में बैठकर योजना और कार्यक्रम बनाने वाले नौकरशाह सोचो और समझे। आप तो पाँच सितारा होटल में बैठकर लंच में 9 सौ रू. उड़ा देते हैं। इसमें विभाग के बड़ा बाबू भी पीछे नहीं रहते हैं लंच में 7.5 सौ चटकर जाते हैं। आप ही लोग मिलकर गरीबी रेखा निर्धारित करते हैं। शहर वाले के लिए 2100 कैलोरी और ग्रामीण क्षेत्र वालों के लिए 2400 कैलोरी मापदंड तय कर रखे हैं। सामान्य लोगों में पुरूष 3800 कैलोरी और महिला 2925 कैलोरी ग्रहण करते हैं।
इस मसले पर आप खुद सोच समझकर निर्णय ले सकते हैं। कैसे ! बढ़ती मंहगाई समय में आंगबाड़ी केन्द्र के द्वारा एक कटोरा चावल और एक कटोरा दाल उपलब्ध करा सकेंगे। इसमें सब्जी और फल भी देना है। खैर, शुरूआत में केन्द्रीय पोषाहार कार्यक्रम के तहत 18 हजार करोड़ रूपए मंजूर किया जाता था। इसमें 42 फीसदी कमी करके 10 हजार करोड़ रूपए मंजूर किया गया है। इसका सीधा असर पड़ने लगा है महिला-बाल विकास योजना पर।इस पर विभागीय मंत्री को कहना पड़ा कि केन्द्र के द्वारा विरमित राशि से किशोरियों के लिए ‘सबला’ कार्यक्रम की शुरूआत करने में दिक्कत हो रही है। वहीं पाँच रूपए के दम पर कुपोषण को कम करने की दिशा में सरकार पहलकदमी कर सकेंगी ?।

इस समय संपूर्ण प्रदेश में कुपोषण मुक्त बिहार करने की कवायद तेज है।इसे ना आंगन और ना ही बाड़ी वाले आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से करना है। यहाँ पर 3 से 6 साल के बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा दी जाती है। अध्ययनरत प्रत्येक बच्चे को अल्पाहार दिया जाता है। दोपहर में बच्चों को 90 ग्राम भोजन दिया जाता है। कुल मिलाकर 3.2 किलोग्राम भोजन बनता है। केन्द्र सरकार से राशि विमुक्त नहीं होने के कारण आंगनबाड़ी केन्द्रों को मिलने वाली 15 हजार 7 सौ की राशि से महरूम हो जाना पड़ा। इसमें एक माह में 4 दिन बच्चों को अंडा देना है। बच्चों के पेट काटने से केन्द्र में शेष राशन से भोजन बनाया गया। किसी तरह से बच्चों को खिलाया गया। संविदा पर बहाल सेविका को बच्चों को पढ़ाने के लिए 3 हजार और बच्चों का भोजन बनाने वाली सहायिका को 1.5 हजार रूपए मानदेय में दिया जाता है। सेविकाओं का नारा है कि ‘3 हजार में दम नहीं 30 हजार से कम नहीं’। इस नारा को आंगनबाड़ी केन्द्रों से बुलंद किया जाता है।

तीन माह के गर्भधारण करने वाली 8 गर्भवर्ती महिलाओं को प्रत्येक माह 3 किलोग्राम चावल और 1.2 किलोग्राम दाल मिलता है। इसी तरह 8 जच्चा को प्रत्येक माह 3 किलोग्राम चावल और 1.2 किलोग्राम दाल मिलता है। प्रसवोपरांत 6 माह तक टेक होम राशन (टीएचआर) दिया जाता है।इसके बाद 7 माह से टीएचआर के रूप में 90 ग्राम चावल दिया जाता है। जो 3 साल तक दिया जाता है। 3 साल से बच्चों को केन्द्र में पढ़ाई शुरू कर दी जाती है। 28 कुपोषित बच्चों को 2.5 ग्राम चावल और 1.25 ग्राम दाल दिया जाता है।12 अति कुपोषित बच्चों को 4 किलोग्राम चालव और 2 किलोग्राम दाल दिया जाता है। 40 किशोरियों को 3 किलोग्राम चावल और 1.50 किलोग्राम दाल दिया जाता है। इसे बंद कर दिया गया है। अब एनडीए सरकार ने किशोरियों के लिए ‘सबला’ कार्यक्रम घोषणा की है। जो घोषणाओं तक ही सीमित है। इसको लेकर किशोरियों में आक्रोश व्याप्त है।

आलोक कुमार 

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