प्रेरणादायक, उर्जादायक और
शक्तिवर्धक मूल्य-चेतना का आनंद
‘मूल्य बाइबिल के’ में
जाहिर तौर पर, बाइबिल के
मूल्य ईसा मसीह की महान शख्सियत और तालीम से उभरे हुए मूल्य हैं। ईसा के मूल्य जीवन की एक समग्र अनुभूति पेश करते हैं और काव्य-शैली ‘दोहा’एक
सशक्त अभिव्यक्ति भी। मूल्य -चेतना को
अभिव्यक्त करने के लिये जहां एक ओर दोहा ही सबसे उपयुक्त काव्य-विधा है, वहां दूसरी
ओर
भाव-रस को जाहिर करने के लिए रागों से बढ़कर कोई जरिया भी नहीं है।
मूल्य बाइबिल के बाइबिल के सार्वभौम मूल्यों का काव्य और संगीत रूप है। यह 1010 दोहों और
11 संगीत-रचनाओं की प्रस्तुतियों का एक अद्भुत समाहार है। दोहों की रचना रहस्य-साधक कबीर की शास्त्रीय,लोकप्रिय और विशिष्ट शैली से प्रेरित है और आधुनिक हिंदी काव्य के अंदाज में की गयी है तथा संगीत-रचनाएं हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के विविध रागों की भाव-भंगिमा लिए बनी हुई हैं।
जाहिर तौर पर, बाइबिल के
मूल्य ईसा मसीह की महान शख्सियत और तालीम से उभरे हुए मूल्य हैं। ईसा के मूल्य जीवन की एक समग्र अनुभूति पेश करते हैं और काव्य-शैली ‘दोहा’एक
सशक्त अभिव्यक्ति भी। मूल्य -चेतना को
अभिव्यक्त करने के लिये जहां एक ओर दोहा ही सबसे उपयुक्त काव्य-विधा है, वहां दूसरी
ओर
भाव-रस को जाहिर करने के लिए रागों से बढ़कर कोई जरिया भी नहीं है।
मूल्य बाइबिल के ऐसे अंदाज में तैयार किया है कि इसे ‘ईसाई बाइबिल
का
एक
नया संस्करण’ ही कहा
जा
सकता है। इसमें विविध समुदायों के लोगों को सामने रखकर मूल्यों का सार्वजनिक व्याख्या की गयी है और मूल्यों का प्रतिपादन विषय-बद्ध, व्यवस्थित और
सिलसिलेवार ढंग से किया गया है। ऐसा लगता है कि हजारों भाषाओं में पाये जाने पर भी संभवतः दुनिया की किसी भी भाषा में अभी तक बाइबिल का ऐसा एक काव्य और संगीत रूप उपलब्ध नहीं है।
प्रस्तुत काव्य-ग्रंथ में ‘1010’की संख्या
भारत के आम लोगों की धारणा पर आधारित हैं, जिसके अनुसार
‘धन एक’पूर्णता तथा निरंतरता के प्रतीक है और 101 के दस
गुना 1010 बनते हैं। तात्पर्य यह है कि मूल्य मानव जीवन की निरंतरता के साथ-साथ पूर्णता भी प्रदान करता है। संगीत रचनाओं में प्रयुक्त ‘11’ की संख्या
के
पीछे बस यही तर्क है ।हां, जीवन के
आखिरी लक्ष्य के रूप में निरंतरता और पूर्णता की दिशा तय करने में इस काव्य-ग्रंथ और संगीत-सीडी की सार्थकता है।
बोलनेवाले और जाननेवाले लोगों की तादाद के मद्देनजर हिंदी को दुनिया की चैथी सबसे बड़ी भाषा होने की प्रतिष्ठा हासिल है। यह भारत की राष्ट्र-भाषा तो है ही। हिंदी को एक अंतरर्राष्ट्रीय मान्यता भी प्राप्त है। साथ ही, 10 से अधिक
देशों में हिंदी एक महत्वपूर्ण भाषा है और ज्यादातर देशों में हिंदीभाषी लोग रहते हैं। सबसे खास बात यह है कि उर्दू के लफ्जों की बहुतायत से हिंदी एक बहुत ही काव्यात्मक और स्वरात्मक भाषा के रूप में उभरी हुई है तथा बोलनेवाले और सुननेवाले दोनों को भीतर से बांधने की क्षमता रखती है।
बाइबिल के मूल्य,वह भी काव्य और संगीत के रूपों में, अपने विशाल,विविध
और
समृद्ध ग्रंथ-समाहार में सम्मिलित हुए हैं,यह हिंदी भाषा,साहित्य,काव्य,संगीत और संस्कृति के खजाने के लिये गौरव की बात है। यह बात इस तथ्य से मजबूत होती भी है कि बाइबिल को सबसे ज्यादा भाषाओं में , वह भी
हजारों की संख्या में अनुवादित होने की खिताब प्राप्त है। साथ ही, वह नैतिक
मूल्यों के विश्व-स्तर के मानवीय और ईश्वरीय दर्शन है। उसे अपने में समेटने की हिंदी की यह विशिष्ट उपलब्धि,वास्तव में, हिंदीभाषियों का
तकाजा ही है।
मूल्य बाइबिल के की आधार-ग्रंथ वाल्द(पुराना विधान)-बुल्के(नया
विधान) द्वारा अनुदित सत्प्रकाशन केंद्र,इंदौर, द्वारा 1990 में
प्रकाशित‘पवित्र बाइबिल’ है। इसकी
रचनात्मक ढांचा इस प्रकार है- हर दोहे
के
आधार को बाइबिल की पुस्तक,अध्याय,वाक्य और पृष्ठ संख्या इस क्रम से तद्संबंधी पृष्ठ पर दोहे के साथ-साथ अंकित किया गया है। इसमें ग्रंथ की प्रामाणिकता सिद्ध तो होती है,साथ ही, इससे शोधकर्ताओं
को
अपने शोध-कार्य में सुविधा प्राप्त होती है।
इस ग्रंथ को बनाने की आधिकारिक क्षमता‘कबीर और ईसाई दर्शन में ईश्वर-परिकल्पना का सामाजिक आशय’ पर काशी
हिंदु विश्व विघालय,वाराणसी,के हिंदी विभाग में डाॅक्टर आॅफ फिलाॅसफी के लिए एम0डी0 थोमस द्वारा
किये गये तुलनात्मक शोध से उभरती है। वे ही इस ग्रंथ के शिल्पकार हैं। ‘कबीर और
ईसाई चिंतन’ उपर्युक्त शोध-कार्य
का
संशोधित पुस्तक-रूप है,जिसके लिए हिंदी अकादमी,दिल्ली, ने उन्हें‘साहित्यिक
कृति सम्मान-2003-2004’ से
पुरस्कृत भी किया है। प्रस्तुत काव्य-ग्रंथ उपर्युक्त अध्ययन को आधार मानकर किया गया एक रचनात्मक,नया और विशिष्ट कार्य है।
मूल्य बाइबिल के अनुवाद नहीं है, बल्कि बाइबिल
के
चयनित मूल्यों पर बने काव्य-प्रस्तुतियों का एक समाहार है। यह कार्य आम तौर पर पूरे बाइबिल को अपने में समेटता है,लेकिन खास तौर पर पहले पृष्ठ से आखिरी पृष्ठ तक नहीं, शब्द-शब्द
का
अनुवाद भी नहीं। चयन का मापदण्ड इस प्रकार है-‘सुसमाचार’ की
4 पुस्तकों से सिर्फ संबंधित अंश। अर्थात्,यह कहा जा सकता है कि बाइबिल का लगभग विशुद्ध ईसाई रूप, जो कि
ईसा की जीवनी और तालीम पर आधारित है,प्रबल रूप से समाहित किया गया है।
इस ग्रंथ की मौलिकता इस बात में निहित है कि इसमें बाइबिल के मूल्यों पर काव्य-पंक्तियां विषयवार क्रम में सजायी गयी है। और यह क्रम उसके गद्य-रूप से हटकर है, जो कि
पुस्तक और अध्याय के क्रम से है। उन्हें दो भागों के भीतर उप-भाग,शीर्षक,उप शीर्षक और विचार -बिन्दु के
क्रम में समायोजित किया गया है। अब तक हिंदी में ही नहीं किसी भी भाषा में बाइबिल के सिर्फ छिट-फुट काव्यानुवाद ही पाये जाते हैं। बाइबिल की उद्भावनापूर्ण और मूल्य-केंद्रित पुनर्रचना इस ग्रंथ की अहमियत है।
मूल्य बाइबिल के
के दो भाग हैं- ईसा की
शख्सियत से उभरे मूल्य और ईसा की तालीम मेेें मौजूद मूल्य। पहले भाग में ईसा की जीवनी,मसीही शक्ति,दृष्टांत और करामात से जुड़े मूल्य सम्मिलित किये गये हैं और दूसरे भाग में व्यवहार, नीति, ईश्वर,
इंसान, अधर्म, धर्म, जिंदगी,
समाज, सर्व जन, बदलाव और
समन्वय पर आधारित ईसा के सार्वभौम मूल्य। शुरू में बाइबिल का परिचय और आखिरी में बाइबिल का सार भी विविध नजरियों से दिया गया है। दोनों भागों में मूल्य ही केंद्र-बिंदु है,पहले भाग में आम तौर पर और दूसरे भाग में खास तौर पर ।
इस काव्य -ग्रंथ की
अवधारणा, शोध, व्याख्या, निर्देशन,
संपादन और संगीत-रचना डाॅक्टर एम0 डी0 थोमस
द्वारा किया गया है, जो कि
साहित्य, दर्शन, काव्य, संगीत,
कला आदि के समीक्षक ही नहीं, बाइबिल, अन्य
धर्म-ग्रंथ और आध्यात्मिक विचारों के अनुभवी विद्वान भी हैं। इसकी काव्य-प्रस्तुतियां पंडित हरिराम द्विवेदी द्वारा तैयार की गयी हैं, जो कि
हिंदी और भोजपुरी के गुणी और मशहूर कवि हैं। दोनों के संयुक्त और प्रतिबद्ध प्रयास से ही यह सपना साकार हुआ है।
प्रस्तुत पुस्तक के जरिये बाइबिल के मूल्यों को काव्य और संगीत रूप में हिंदी के विशाल जगत में प्रस्तुत करने से दो उद्देश्य चरितार्थ हुए है- एक हिंदीभाषी
सर्वसाधारण तक पहुंचना, जो कविता
और
संगीत से बेहद लुफ्त उठाते हैं। दो, समाज के
सभी विचारधाराओं , परम्पराओं और
संस्कृतियों के लोगों तक पहुंचना, जो ‘ अच्छे
विचार कहीं से भी आयें,स्वागत है’ (ऋग्वेद 1.89.1) ऐसे
भाव के धनी है।
मूल्य बाइबिल के की एक अव्वल खासियत यह है कि इसमें काव्य और संगीत का एक अनूठा समन्वय किया गया है और ग्रंथ के भीतर ओडियो-सीडी का संगीतिक एल्बम ने अपनी जगह पायी है। इस एल्बम में काव्य-प्रस्तुतियों के 11 खास अंशों
पर
विविध रागों में बनी 11 संगीत-रचानाएं
सम्मिलित हैं,जो कि एम0 डी0 थोमस
द्वारा की गयी हैं। इंदिरा कला संगीत विश्व विद्यालय, खैरागढ़, से
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में प्रथमा, मध्यमा और
बी0
म्यूज का अध्ययन इनकी संगीत-रचनाओं की पृष्ठभूमि है। कविता और संगीत की यह जुगलबंदी किसी को भी गद्-गद् कर देगी वह निश्चित है, बशर्तें पाठक
और
श्रोता भीतर पेठने की क्षमता रखते हो।
प्रस्तुत काव्य-ग्रंथ से बाइबिल के विचारों के सस्वर पाठ और गायन की एक नयी तहजीब उद्घाटित होती है, जो कि
पाठक ,श्रोता या गायक को पंथ-निरपेक्ष तौर पर भीतरी एहसास से छूने,भरने और प्रेरित करने का दम रखती है। बाइबिल सांस्कृतिक संध्याएं (काव्य -संध्या
और
संगीत संध्या) विविध समुदायों
के
लोगों को एक दूजे के करीब लाने का सफल माध्यम हो सकती हैं। यदि इस ग्रंथ की चयनित पंक्तियां मूल्य-शिक्षा के तहत पाठ्यक्रमों में जगह पायें तो विद्यार्थियों में जीवन मूल्य-चेतना विकसित करने में बेहद मददगार भी साबित होंगी।
सबसे अहम बात यह है कि प्रस्तुत काव्य-ग्रंथ ईसा और बाइबिल के सार्वभौम मूल्यों को खुली और सर्व-समावेशी व्याख्या के साथ व्यापक धरातल पर घटित करने का एक पहला प्रयास है। उम्मीद है, यह ग्रंथ
इंसानी समाज की अंतरात्मा को प्रेरित कर उसे मूल्य-चेतना से मजबूत करने और इंसान को व्यक्तिगत, सामाजिक और
आध्यात्मिक कल्याण की पटरी पर स्थापित करने में सक्षम होगा। इस ग्रंथ से जब हिंदीभाषी समाज के साथ-साथ अन्य भाषाएं बोलनेवाले समुदाय भी लाभान्वित होंगे, तो निश्चित
है,
परदे के पीछे संपन्न हुए विनम्र,कठिन,विस्तृत और बहु-आयामी परिश्रम सार्थक होगा।
मूल्य बाइबिल के एक गहन और समग्र साधना का फल है और वह किसी भी पुस्तकालय, दफ्तर या
घर
में एक सम्माननीय अतिथि हो सकता है। पुस्तक-सीडी का यह द्वय अपने किसी भी खास व्यक्ति के लिए ही नहीं, अपने संबंध
और
संपर्क-मंडल के किसी को भी, एक कीमती
उपहार हो सकता है। विशेष तौर पर ,एक निजी
पूंजी के रूप में यह किसी के लिये भी एक अभिन्न मानवीय-आध्यात्मिक साथी भी साबित हो सकता है। इस रूप में खुद को और औरों को लाभान्वित कर इंसानियत का मूल्य बढ़ाने तथा इंसानी समाज के नैतिक गुण को मजबूत करने की दिशा में हार्दिक सहयोग हो,यही, मुझे जचता
है,
इस
साधना का उचित जवाब है।
मूल्य बाइबिल के इंस्ट्ीच्यूट आॅफ हार्मनी एण्ड पीस स्ट्डीज, नयी दिल्ली
, के तत्वावधान में प्रकाशित है, जो कि
सर्व धर्म मैत्री, सर्व समुदाय
सहयोग, सार्वभौम मूल्य, नैतिक जीवन,
राष्ट्रीय समरसता और सामाजिक तालमेल के लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध है।‘खुली सोच और तालमेल से युक्त जीवन’ इसका लक्ष्य
है। विविध परपंराओं और संस्कृतियों में निहित मानवीय और आध्यात्मिक मूल्यों को एक सार्वभौम और साझी विरासत के रूप में आम लोगों तक पहुंचना इस संस्था की अह्म कार्यों में शुमार है।
यह काव्य-ग्रंथ पिल्ग्रिम्स पब्लिशिंग,वाराणसी/दिल्ली/काठमांडू द्वारा मुद्रित,प्रकाशित और वितरित किया जा रहा है। इंस्ट्ीच्यूट आॅफ हार्मनी एण्ड पीस स्ट्डीज, नयी दिल्ली,की
तरफ से काव्य-ग्रंथ और संगीत सीडी को एक साथ कुछ 50 फीसदी विशेष
छूट के साथ 300 रूपये में
उपलब्ध किया जा रहा है। इसके अलावा, प्रकाशक की
तरफ से 100 से अधिक
और
500 से अधिक बल्क-खरीदी के लिए क्रमशः 25 और 40 फीसदी
छूट दी जायेगी।
आप मूल्य बाइबिल के (काव्य-ग्रंथ
और
संगीत सीडी) की प्रतियां
आॅन लाइन मंगा सकते हैं- www.amazon.in or www.flipkart.com
इंस्ट्ीच्यूट आॅफ हार्मनी एण्ड पीस स्ट्डीज, नयी दिल्ली,
ग्रंथ और सीडी से संबंधित हर प्रकार की सेवा में सदा तैयार रहेगा।
आप लोग काव्य और संगीत के मधुर और मनमोहक माहौल में बाइबिल की प्रेरणादायक, उर्जादायक और
शक्तिवर्धक मूल्य-चेतना का आनंद लेते रहें तथा अपने जीवन को सुखी पायें। इन हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ ‘ मूल्य बाइबिल
के’
की
आपके ‘मूल्य-वान्’ हाथों में
अर्पित किया जा रहा है।
आलोक कुमार
मखदुमपुर बगीचा,दीघा घाट,पटना।
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