Thursday 9 March 2017

राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश साहनी हैं 4 दिनों से आमरण अनशन पर



सरकारी कारनामों से परेशान हैं निषाद विकास संघ

4 अनशनकारियों की हालत खराब

पटना। आजकल आंदोलन स्थल है गर्दनीबाग। आंदोलन आते हैं  और आंदोलन करके चल जाते हैं। आंदोलनकारी मांग करते हैं। मांग नहीं पूर्ण होने पर डटे रहते हैं। गांधी, विनोबा, जयप्रकाश और पी0व्ही0राजगोपाल के बताये मार्ग पर अंहिसक आंदोलन करते हैं। निषाद विकास संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश साहनी हैं। अभी 5 मार्च से ‘सन ऑफ मल्लाह’ मुकेश साहनी आमरण अनशन पर हैं। निषाद विकास संघ के बैनर तले जारी आमरण अनशन करने वालों की 9 सूत्री मांग है। 4 दिनों से जारी 4 अनशनकारियों की हालत खराब।

आंदोलनकारियों ने सीएम नीतीश कुमार को मांग सूत्री पेश किये हैं। विषय है निषाद समाज की समस्याओं और मांगों पर अविलम्ब ध्यान देकर निदान किया जाये। बताया गया कि 4 सितम्बर,2015 को निषाद विकास संघ द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण प्रदान करने के हेतु राजभवन मार्च के दौरान बिहार सरकार द्वारा बर्बरता से निषादों पर लाठीचार्ज किया गया। तदुपरांत राजनीतिक लाभ लेने के लिए 24 घंटों के अंदर ही बिहार सरकार ने राज्य में निषादों को आरक्षण देने की अनुशंसा केंद्र सरकार से की गयी। अनुशंसा किए जाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार से इथनोग्राफी रिपोर्ट ( नृवंशविज्ञान रिपोर्ट )की मांग की गई। परन्तु डेढ़ साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार द्वारा अबतक केंद्र सरकार को इथनोग्राफी रिपोर्ट नहीं भेजी गई है।

निषादों पर हुए लाठीचार्ज की जांच के लिए बनाई गई कमिटी के रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए निषाद समाज की मांगों को पूरा करने का आग्रह किया गया है।1. राज्य सरकार केंद्र को निषाद समाज के अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण के लिए मांगी गई इथनोग्राफी रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजे। साथ ही रिपोर्ट भेजने से पहले निषाद विकास संघ के पदाधिकारी शिववचन प्रसाद ( वंश विज्ञानी) से परामर्श लिया जाए। 2. राज्य सरकार पत्रांक 67 (11) दिनांक 05.09.2015 द्वारा अनुसूचित जनजाति घोषित करने हेतु केंद्र सरकार को भेजी गई निषाद समाज के सभी उपजातियों को विलोपित कर इन्हें बिहार हेतु अधिसूचित अत्यंत पिछड़ा वर्गों की सूची अनुसूची (1) ( मल्लाह /निषाद (क्रमांक 07, 21,28,36,52,64,67,73)एवं क्रमांक 42 को विलोपित कर क्रमांक ( मल्लाह/निषाद( केवट, गोड़ी,चांय,तीयर,बेलदार,बिंद,मोरियारी,वनपर) एवं नोनिया जाति को भी समावेशित किया जाय। 3. मत्स्य निदेशक निशात अहमद को निदेशक पद से हटाकर आईएएस निदेशक नियुक्त किया जाय। 4. मत्स्यजीवि सहकारी समिति में लागू आरक्षण नीति को वापस लिया जाय एवं गैर मछुआरों को समिति से बाहर निकालते हुए परंपरागत मछुआरों को सूची जारी की जाए। 5. मत्स्यजीवि सरकारी समिति चुनाव 2017 में ली जा रही निर्वाचन व्यय को निर्वाचन से मुक्त किया जाए। 6.मछुआरों के साथ जलकरों की बंदोबस्ती 7 सालों के लिए है इसलिए मत्स्यजीवि सहकारी समिति का निर्वाचन हर 7 सालों पर कराई जाए। 7. पंचायत स्तर पर मत्स्य/मीन मित्र की बहाली की जाए। 8. उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर बिहार सरकार भी निषादों को अनुसूचित जाति में शामिल करने हेतु केंद्र सरकार को पुनः अनुशंसा भेजे, चूंकि बिहार सरकार भी यह मानती है कि निषाद समाज को एससी या एसटी आरक्षण मिलनी चाहिए। अतः राज्य सरकार भी अपने स्तर पर मजबूती से निषादों को आरक्षण दिलाने का प्रयास करें। 9. जलकरों का सीमांकन,अतिक्रमण मुक्त एवं जीर्णोद्धार कर जलक्षेत्र के अनुपात में मछुआरों को ऋण उपलब्ध कराया जाए। 

आलोक कुमार

No comments: