Saturday 11 March 2017

शराबबंदी के बाद वेतनबंदी से बेहाल हैं राज्यकर्मी


पटना। शराबबंदी है बिहार में। सूबे में वेतनबंदी की मार से राज्यकर्मियों की हालत चरमरा गयी है। सीएम नीतीश कुमार कहते हैं कि महिलाओं के निवेदन पर ही शराबबंदी का ऐलान किया गया। जो सफलतापूर्वक लागू है। प्रशासन सचेष्ट है। कार्यरत महिला राज्यकर्मी भी निवेदन और दुखड़ा सुनाते-सुनाते थक गयी हैं कि सालभर से वेतनादि नहीं मिल पा रहा है। मगर राज्यकर्मियों के निवेदन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र,धनरूआ में 2 .एन.एम. को 14 माह से वेतनादि नहीं मिल पा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र,मसौढ़ी 28 .एन.एम. को 11 माह से वेतनादि नहीं मिल पा रहा है। इसका मतलब है कि हाल में नवनियुक्त .एन.एम. को वेतनादि मिलने में दिक्कत है। इनसे मोटी रकम ली गयी है। आवंटन नहीं होने की सरकारी अलाप अलापा जा रहा है। इसके कारण आफत पुराने .एन.एम.को भुगतना पड़ रहा है। कहीं पर अक्टूबर माह से तो कहीं दिसम्बर माह से वेतनादि नहीं मिल पा रहा है। इसका मतलब है कि राज्यकर्मी आवंटन नहीं होने की मार से अपाहिज हो गये हैं। घर में पैसा नहीं रहने के कारण बच्चों का स्कूल में दाखिला नहीं हो पा रहा है। जो अध्ययनरत हैं उनकी फीस नहीं दी जा रही है। महाजनों के चगुंल में कर्मी जा रहे हैं। व्याज पर राशि लेकर घर चलाया जा रहा है। इतना तो तय है कि रंगों के त्योहार होली के अवसर पर राज्यकर्मियों को वेतन मिलने वाला नहीं है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी कहते हैं कि राशि आवंटित है। वहीं केन्द्र के बड़ा बाबू कहते हैं कि आवंटन नहीं आया है। जबतक हम नहीं चाहेंगे तबतक वेतन नहीं मिलेगा। इससे साबित होता है कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से कद में बड़ा बाबू हैं जो आदेश चलाते हैं। इनके मनमर्जी के कारण ही राज्यकर्मियों को होली के अवसर पर राशि के नाम पर ठेंगा दिखाया गया।

राज्यकर्मियों का कहना है कि छठा वेतनमान देने में दिक्कत हो रही है तो सातवां वेतनमान में क्या होगा? आवंटर नीति के कारण दिल कांपने लगा है। सीएम नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव सुनिंिश्चित करें कि मासिक वेतन नियमित ढंग से मिलेगा।

कहा जाता है कि सूबे के अधिकांश कार्यक्रम योजना आधारित है। जो केन्द्र से राशि विमुक्त होती है। केन्द्र की राशि पर निर्भर रहने से राज्यकर्मियों को बेहाल नहीं होना चाहिए। यह भी केन्द्र और राज्य सरकार की गेंद पर कर्मियों को नहीं खेलने को बाध्य नहीं करें।


आलोक कुमार

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